शहर की प्यास बुझाने के लिये गंभीर डेम तैयार

उज्जैन।प्रदेश में मानसून की देरी से दस्तक के बाद लगी पहली झड़ी में ही पूरी तरह सूखने की कगार पर पहुंचा गंभीर डेम अब लबालब हो चुका है। बीती रात इंदौर के यशवंत सागर का गेट खोलने के बाद गंभीर में तेजी से पानी की आवक शुरू हुई और 12 बजे तक डेम में 1800 एमसीएफटी पानी एकत्रित हो चुका था, जबकि पानी की आवक अब भी जारी है।

गंभीर बांध का पानी खत्म होने की कगार पर आने के बाद पीएचई अधिकारियों द्वारा मई माह से शहर में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय शुरू किया था। इस दौरान नर्मदा नदी का पानी शिप्रा में मिलाकर गंभीर और शिप्रा नदी के पानी से शहर में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय किया जा रहा था।

अधिकारियों का कहना था कि शहर में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय की व्यवस्था 30 जून तक हो सकती है, इसके बाद गंभीर का पानी पूरी तरह खत्म हो जायेगा। हालांकि प्री मानसून एक्टिविटी के चलते शिप्रा नदी और गंभीर बांध में पानी एकत्रित हुआ था जिससे पेयजल संकट गहराने की आशंका खत्म हो गई थी, जबकि प्रदेश में मानसून की दस्तक देरी से होने के कारण लोग परेशान थे। पिछले सप्ताह से शुरू हुई मानसून की बारिश ने सभी लोगों की चिंताएं दूर कर दीं।

मानसून पूरे मालवा बेल्ट में एक समान सक्रिय हुआ और इंदौर में बारिश के कारण यशवंत सागर पूरी क्षमता से भरने के बाद बीती रात पौने बारह बजे सागर का गेट नंबर 2 को खोला गया जो देर रात 3.30 बजे तक खुला रहा। यशवंत सागर का गेट खुलने का सीधा असर यह हुआ कि गंभीर बांध में पानी की आवक तेज हो गई और सुबह तक गंभीर बांध में करीब 1800 एमसीएफटी पानी एकत्रित हो गया। गंभीर बांध में पानी स्टोरेज की क्षमता 2250 एमसीएफटी है और मानसून की पहली झड़ी में ही डेम पूरी क्षमता से भरने जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यदि यशवंत सागर का गेट पुन: खोला जाता है तो गंभीर बांध पूरी क्षमता से भरने के बाद इसके गेट भी खोलना पड़ सकते हैं।

छोटे पुल से ऊपर बह रही शिप्रा
बीती रात से सुबह तक बारिश का क्रम थम चुका है लेकिन शिप्रा नदी अब भी उफान पर है। सुबह छोटे पुल से दो फीट ऊपर पानी बह रहा था जबकि नदी किनारे बने घाट पूरी तरह डूब गये थे और मंदिरों के सिर्फ शिखर नजर आ रहे थे। यदि दुबारा बारिश का दौर शुरू होता है तो पानी बड़े पुल तक पहुंचने की संभावना है।

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