शिप्रा में डूबने से 7 दिन में सात मौत….

फोटो सेशन और सेल्फी के चक्कर में युवा चढ़ जाते है हाईरिस्क जोन में, इन्हें रोकने वाला कोई नहीं

उज्जैन। एक सप्ताह के दौरान शिप्रा नदी में डूबने से सात लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से दो केडी पैलेस व दो रामघाट व दो सिद्ध आश्रम घाट क्षेत्र और एक मंगलनाथ क्षेत्र में डूबे हैं। इसके बाद भी शिप्रा किनारे और नदी में पानी से अठखेलियां करने से बाज नहीं आ रहें हैं। खासकर युवा फोटो सेशन और सेल्फी के चक्कर में रिस्क लेते है और इन्हें रोकने वाला कोई नहीं उज्जैन में लम्बे समय बाद सोमवार बादल जोरदार बरसे। शाम तक शहर भीगा रहा।

शिप्रा में भरपूर पानी आने के बाद अनेक लोग इस मौके का सेलिब्रेट करने, मौसम का लुत्फ उठाने नदी किनारे कालभैरव मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, शनि मंदिर और कालियादेह पैलेस पर पहुंचे,लेकिन रिस्क के साथ। सुरक्षा के लिए तैनात होमगार्डस के ४-५ जवान रामघाट पर युवाओं के ग्रुप और शिप्रा स्थान के लिए आने वाली भीड़ के आगे बौने साबित होते हैं। दबी जुबान होमगार्डस के जवान कहते है यह काम कोई दो-चार जवान के बस का नहीं हैं। लागों को रोकने और नियंत्रत करने के लिए 20-25 जवान तैनात होना चाहिए।

घटना रोकने के लिए यह इंतजाम जरूरी

नदी में कमर तक पानी के बाद लोहे की रैलिंग लगाकर जंजीर लगाई जाए।

पर्व व स्नान के दौरान सीमित घाटों पर नहान की व्यवस्था हो तथा अन्य घाटों पर प्रतिबंध लगाया जाए।

घाट पर एंबुलेंस, डाक्टर व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाए।

होमगार्ड के अलावा मां शिप्रा तैराक दल के सदस्यों को भी घाटों पर तैनात किया जाए।

रामघाट व आसपास के घाटों पर लाइफ जैकेट, लाइफ बाय के अलावा बोट से सतत पेट्रोलिंग की जाए।

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