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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद…महाकाल में लागू हुई नई व्यवस्था
उज्जैन । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाकाल मंदिर में शनिवार को भस्मारती अलग तरीके से हुई। सुबह 4 बजे पूजा के पहले शिवलिंग को पूरी तरह से कपड़े ढंका गया। इतना ही नहींं, जल अभिषेक के वक्त आर ओ के पानी का इस्तेमाल किया गया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महाकाल शिवलिंग का अभिषेक के आर ओ जल से किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार सुबह भस्मारती में आर ओ के जल से शिवलिंग का अभिषेक किया इसके अलावा, शिवलिंग को कपड़े से ढंककर भस्म चढ़ाई गई और चीनी की जगह खांडसारी का इस्तेमाल किया गया।
प्रदीप पुजारी,
मंदिर समिति सदस्य
क्षरण से बचाने को लेकर लागू हुई है यह नई व्यवस्था
इसकी मात्रा आधा लीटर से ज्यादा नहीं होगी। बता दें कि चढ़ावे से शिवलिंग का आकार छोटा (क्षरण) होने को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट के आदेश से बनी एक्सपर्ट्स की कमेटी ज्योतिर्लिंग की जांच कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर प्रशासन को एक्सपर्ट कमेटी के 8 सुझावों पर अमल करने का आदेश है।
7 ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालु दूध-पंचामृत से अभिषेक नहीं कर सकता
देश में 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालु दूध-पंचामृत से अभिषेक नहीं कर सकता। इनमें ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, मल्लिकार्जुन, केदारनाथ और सोमनाथ शामिल हैं। यहां एक तय क्वांटिटी में पुजारी ही अभिषेक कर सकता है। बाकी 5 में से 3 ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ, रामेश्वरम और नागेश्वर में रोक तो नहीं है, लेकिन क्षरण न हो इसके लिए सावधानी भी बरती जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया अब इस तरह होगा महाकाल का अभिषेक?
अभिषेक को लेकर : आर ओ के जल से महाकाल का अभिषेक किया जाएगा। ये मात्रा 500 मिली लीटर से ज्यादा नहीं होगी। तय मात्रा से ज्यादा पंचामृत भी नहीं चढ़ाया जाएगा।
भस्म आरती : इस दौरान महाकाल शिवलिंग को सूती कपड़े से पूरी तरह ढकने के निर्देश दिए गए हैं।
चढ़ावे को लेकर:बेल पत्र और फूल आदि चढ़ावा केवल शिवलिंग के ऊपरी हिस्से पर चढ़ाया जाएगा। शाम 5 बजे का अभिषेक होने के बाद शिवलिंग की सफाई होगी
और इसके बाद सिर्फ सूखी
पूजा होगी।
अब इन पर रोक:शिवलिंग पर चीनी पाउडर के इस्तेमाल को रोकने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं। इसकी जगह खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
ड्रायर लगाएंगे:शिवलिंग को नमी से बचाने के लिए ड्रायर और पंखे लगाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीवर तकनीक अभी चलती रहेगी, क्योंकि ट्रीटमेंट प्लांट बनाने में अभी सालभर लगेगा।
दर्शनार्थियों ने किया नल के जल से अभिषेक
प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर शिवलिंग का क्षरण रोकने के लिये सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका पर कोर्ट ने नई व्यवस्था तय की है। इसी के अंतर्गत महाकालेश्वर भगवान के साधारण जल से अभिषेक को प्रतिबंधित कर सिर्फ आधा लीटर आरओ पानी से अभिषेक की अनुमति दी गई थी। इसे लेकर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने बीती रात ही पुजारियों को आदेश जारी कर दिये थे लेकिन उक्त आदेश का पालन सुबह श्रद्धालुओं पर दिखाई नहीं दिया।
शिवलिंग को क्षरण से बचाने के लिये मंदिर समिति के 8 सुझावों को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी है। इसी के अंतर्गत नई व्यवस्था में अधिकतम आधा लीटर आरओ पानी के अलावा दूध या पंचामृत के लिये अधिकतम 1.25 लीटर की मात्रा तय की है। शक्कर की जगह खांडसारी का उपयोग होगा। वहीं भस्मारती में शिवलिंग को सूती कपड़े से पूरा ढंकना होगा। मंदिर समिति के निर्देश तो जारी हुए लेकिन नियमों का पालन सिर्फ भस्मारती में हुआ, श्रद्धालु इससे अनभिज्ञ रहे।
विचित्र तर्क देते हैं दर्शनार्थी
महाकालेश्वर मंदिर में वर्षों से नियमित जल चढ़ाने वाले रामचंद्र निवासी मगरमुंहा से जल आरओ के जल से भगवान का अभिषेक करने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि हमें मंदिर प्रबंध समिति आरओ का जल उपलब्ध करा दे तो हम उसी से अभिषेक कर देंगे। श्यामाबाई निवासी बिलोटीपुरा आरओ के पीछे लगे नल से लोटे में पानी भर रही थीं। उनसे पूछा गया कि आरओ का पानी क्यों नहीं ले रहीं तो उन्होंने कहा कि आरओ में लगी नल की टोटियों से लोग मुंह लगाकर पानी पीते हैं। इस कारण टोटियां जूठी हो गई हैं और जूठे जल से भगवान का अभिषेक नहीं करते। महेश प्रजापति निवासी महारवाड़ी नियमित दर्शनार्थी हैं उन्होंने कहा कि मंदिर प्रबंध समिति दर्शनार्थियों को पहले सुविधा मुहैया कराये उसके बाद नियमों का पालन कराना चाहिये।
आरओ के पीछे नल का पानी
कोर्ट के निर्देश को अमल में लाने के लिये न तो कर्मचारी और न ही पंडे-पुजारी जागरूक नजर आये। आज सुबह नियमित दर्शनार्थी रोजाना की तरह घरों से लोटे लेकर मंदिर पहुंचे और परिसर में मुख्य पुजारी कक्ष के बाहर आरओ के पीछे के सादे पानी के नल से लौटे भर बाबा का अभिषेक किया। किसी ने रोकने-टोकने की जरूरत नहीं समझी।
गर्भगृह तक आया नल का पानी
महाकालेश्वर मंदिर के नंदीहॉल और गर्भगृह की सफाई के लिये पानी की पाइप लाईन गर्भगृह की देहरी तक डाली गई है। यहीं पर नल कनेक्शन से सफाई के लिये पानी लिया जाता है। सुबह नल के नीचे बाल्टी लगाकर कर्मचारी सफाई का पानी ले रहे थे, वहीं पर दर्शन के लिये हाथ में लौटे लेकर खड़े लोगों ने इसी नल के नीचे लोटा लगाकर पानी भरा और भगवान का अभिषेक कर दिया।
कुल मिलाकर महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिये गये सुझावों पर कोर्ट की मुहर लगने के बावजूद अधिकांश नियमों को अमल में लाना मंदिर प्रशासन के लिये मुश्किल साबित होगा क्योंकि परंपरानुसार वर्षों से होती आ रही भगवान की पूजा का विषय श्रद्धालु की आस्था से जुड़ा मामला है जिन्हें नियमों में बांधना मुश्किल ही नजर आ रहा है।