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हड्डी चोरी के बाद सौदेबाजी:60-40 के तोड़ में हॉस्पिटल प्रबंधन, पिता बोले- कोर्ट में 50 लाख का दावा लगाऊंगा
बिजली कंपनी के रिटायर्ड सैक्शन ऑफिसर सुरेश परमार की पुत्र कीर्ति सिंह परमार निवासी ज्योतिनगर के ब्रेन की हड्डी इंदौर के सीएचएल हॉस्पिटल के मामले में अब हॉस्पिटल प्रबंधन 60-40 के तोड़ में है यानी प्रबंधन प्लेट लगाने का करीब 40 प्रतिशत खर्च उठाने को तैयार है और मरीज के परिजन को 60 प्रतिशत खर्च वहन करना होगा। जो कि ऑपरेशन खर्च व इलाज सहित करीब साढ़े तीन लाख होता है।
मरीज के पिता ने इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि मैं पहले ही ब्रेन के ऑपरेशन में 15 से 20 लाख खर्च कर चूका हूं। मेरे ऊपर कर्ज हो गया है। मैं तो कोर्ट में 50 लाख का दावा पेश करूंगा। मुझे और मेरे परिवार को भरोसा है कि कोर्ट से मेरे पुत्र को न्याय मिलेगा। बिजली कंपनी में बाबू के पद पर पदस्थ कीर्ति सिंह निवासी ज्योतिनगर की अचानक तबीयत खराब होने पर परिवार के लोग जून-2019 में उसे उज्जैन में हरिफाटक मार्ग स्थित सीएचएल मेडिकल सेंटर ले गए थे। जहां पर उसे प्राथमिक इलाज दिए जाने के बाद इंदौर सीएचएल हॉस्पिटल में रैफर किया गया था। जांच करने पर कीर्ति को ब्रेन ट्यूमर था। सीएचएल हॉस्पिटल के डॉक्टर्स के ऑपरेशन करने से हाथ खड़े करने पर परिवार के सदस्यों ने बाहर के न्यूरो सर्जन श्रीकांत रेंगे से संपर्क किया था। जिन्होंने ऑपरेशन किया था।
इसमें ब्रेन के ऊपर की हड्डी निकाल कर हॉस्पिटल में सुरक्षित रखवाई थी। मरीज के स्वास्थ्य में सुधार के बाद परिजन ने वापस हड्डी लगाने के लिए डॉक्टर से संपर्क किया था। डॉक्टर ने कहा कि हॉस्पिटल में रखी हड्डी लेकर आ जाओ, मैं लगा देता हूं। परिजन हॉस्पिटल पहुंचे तो यहां से यह कहते हुए हड्डी देने से इंकार कर दिया कि उसे तो हम डिस्ट्रॉय कर दिया है। उसके बाद सुरेश ने इंदौर के एमआईजी थाने में शिकायत की है। आरोप लगाया है कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने रुपए लेकर दूसरे मरीज को मेरे पुत्र के ब्रेन की हड्डी लगा दी है। पुलिस जांच कर रही है।
पिता बोले- अब हॉस्पिटल संपर्क कर प्लेट का खर्च उठाने को तैयार
सुरेश परमार ने बताया हॉस्पिटल प्रबंधन ने मुझसे संपर्क किया है जो कि प्लेट सहित करीब 40 प्रतिशत तक खर्च उठाने को तैयार हैं और हम लोगों को ऑपरेशन व इलाज सहित करीब 60 प्रतिशत खर्च उठाने के लिए कहा जा रहा है। जिसके लिए मैं तैयार नहीं हूं। मैं तो कोर्ट में हॉस्पिटल प्रबंधन के खिलाफ 50 लाख का दावा लगाउंगा।
सेवा में त्रुटि व धोखाधड़ी का मामला
एडवोकेट आशीष उपाध्याय कहना है पिता के आरोप के अनुसार उनके पुत्र की ब्रेन की हड्डी को दूसरे को लगाए जाने का यह मामला सेवा में त्रुटि के साथ में धोखाधड़ी का भी है। कोर्ट में दावा पेश किया जा सकता है। हॉस्पिटल प्रबंधन ने मरीज के परिजन की बगैर स्वीकृति के हड्डी को डिस्ट्रॉय भी किया है तो यह भी सेवा में त्रुटि का मामला बनता है।