10 लाख की श्रेणी में उज्जैन ने स्वच्छता की ओर बढ़ाया कदम

16 कदम बढ़कर 34वें नंबर पहुंचे, देश की रैंकिंग में 90 पायदान लुढ़कर 336 वें स्थान पर उज्जैन

उज्जैन. स्वचछता सर्वेक्षण में शहर साल के दूसरे तीमाही में और पिछड़ गया है। प्रथम तीमाही में उज्जैन शहर के सभी शहरों में 246 वीं रैंकिंग पर था, दूसरी तीमाही में 90 पायदान लुढ़ककर 336 वी रैंक पर पहुंच गया है। हालांकि अपनी कैटेगरी के शहर (एक से 10 लाख की आबादी वाले शहर) 50 से 16 कदम बढ़कर 34वे नंबर पर पहुंचा है। इसके बावजूद स्वच्छता के मामले में स्थिति चिंताजनक है व शहर के लिए चुनौती और बढ़ गई है। शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 की दूसरी तीमाही (जुलाई से सितंबर-2019) के परिणाम घोषित किए हैं। इंदौर फिर देश में पहले पायदान पर है। वहीं उज्जैन की स्थिति कमजोर हुई है। ओवर ऑल रंैकिंग, यानी सभी कैटेगरी की कॉमन रैंकिंग में उज्जैन देश में 336 वे नंबर पर आया है, जबकि पहली तीमाही (अप्रैल से जून-2019) की रैकिंग में शहर 246 वे नंबर पर था। इसके विपरीत अपनी कैटेगरी के शहर में उज्जैन ने जरूर बढ़ोतरी की है। पहली तीमाही में उज्जैन की रैंक 50 थी वहीं दूसरी तीमाही के परिणाम में यह 34 वीं हो गई है। इस संबंध में निगमायुक्त व महापौर से चर्चा करना चाही लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए।

अपनी कैटेगरी में था नंबर-1

स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में उज्जैन अपनी कैटेगरी के शहरों में नंबर-1 बना था। इसके साथ ही ओवरआल रैंकिंग में उज्जैन को तीसरा स्थान मिला था। इस बार शहर पूरे देश में पहले पायदान पर आने की तैयारी कर रहा है लेकिन दूसरी तीमाही के परिणाम ने इन तैयारियों को बड़ा झटका दिया है।

नंबर वन के सामने यह चुनौती

कर वसूली- स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार संपत्तिकर-जलकर व यूजर्स चार्जेस वसूली के भी मायने हैं। निगम की स्थिति कमजोर है।
कचरा निष्पादन- कचरा निश्पादन की स्थिति निगम स्तर पर तो ठीक है लेकिन घरा में कचरे से खाद बनाने के मामले में उल्लेखनीय प्रगति नहीं है।

सफाई- कलेक्शन व सड़कों पर सफाई तो हो रही है लेकिन जगह-जगह नाले-नालियों में पसरी गंदगी, आवारा मवेशियों का जमावड़ा आदि सफाई व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है।

थ्री आर- कचरे का री-ड्यूज, री-यूज और री-साइकिल करने के मामले में भी कोई विशेष कार्य नहीं हुए हैं।

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