12 किलो सोना पहनने वाले और 25 बॉडीगार्ड की सुरक्षा में रहने वाले गोल्डन बाबा का निधन

करोड़ों रुपए का सोना पहनने वाले गोल्डन बाबा जब उज्जैन आए थे भक्तों का क्रेज देख अन्य साधू घबरा गए थे…।

गोल्डन बाबा (Golden Baba) के नाम से मशहूर सुधीर मक्कड़ (Sudhir Makkar) का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वे काफी समय से बीमार चल रहे थे। गल्ड को अपना इष्ट मानने वाले गोल्डन बाबा हमेशा ही सोने के आभूषणों से लदे रहते थे। वे उस समय चर्चां में आए थे जब उज्जैन में हुए सिंहस्थ में वे अपने 25-30 बॉडीगार्ड के साथ आए थे। उन्होंने भी सिंहस्थ के दौरान अपना आश्रम बनाया था। इस दौरान उनका क्रेज देख एक साधू ने त्रिशूल लेकर भक्तों पर चढ़ाई कर दी थी।

 

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सिंहस्थ में पहली बार लगाया था कैंप

उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ में पहली बार गोल्डनपुरी बाबा ने अपना कैंप लगाया था करीब तीन वर्ष पहले बाबा ने केदारनाथ त्रासदी के दौरान शरीर पर पहना पूरा सोना सहायता कोष के लिए दान कर दिया था। इसके बाद फिर सोने के आभूषण पहनना शुरू कर दिया था। वर्तमान में बाबा करीब 11.5 किलो सोने के आभूषण पहनते थे। उनका मानना था कि यह आभूषण उनके देवी-देवताओं के पूजन का माध्यम है, इसलिए मन तो रोज सोने के नए आभूषण पहनने का करता है। जब भी संभव होता है, वह देवी-देवताओं के नाम से सोने का नया आभूषण पहन लेते हैं। शुरुआत उन्होंने भोले बाबा का लॉकेट पहना था और अब गले में 21 लॉकेट हैं जिनमें मां लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा, हनुमानजी, दत्त भगवान आदि शामिल हैं। साथ ही हाथों में भी गोल्डन बाबा के नाम के बेल्ट पहने हुए हैं।

पूजन के बाद ही पहनते थे आभूषण

उज्जैन आए बाबा ने पत्रिका को बताया था कि सोने के आभूषण देवी-देवताओं के पूजन और उन्हें प्रसन्न रखने का माध्यम है। वह सुबह स्नान के बाद इनकी पूजा करते हैं और फिर इन्हें धारण करते हैं। दिन में यदि शौच जाते हैं तो इन्हें पहले उतारते हैं। शौच के बाद फिर स्नान व इनका पूजन कर ही धारण करते हैं।

बाबा का क्रेज देख अन्य साधू भड़क गए थे

उज्जैन में जब गोल्डन बाबा सिंहस्थ में शिरकत करने आए थे तो अन्य साधुओं की अपेक्षा गोल्डन बाबा में भक्तों का काफी क्रेज देखा गया था। इसके बाद कई साधु भड़क गए थे। दत्त अखाड़ा स्थित उनके पंडाल के आगे उनसे मिलने वालों की लंबी कतार लगी रहती थी। जबकि अन्य पंडाल सूने रहते थे। इसी बीच एक बाबा भड़क गए और वो त्रिशूल लेकर नसीहत देने खड़े हो गए कि यहां लाइन मत लगाओ, जाओ घर पर माता-पिता की सेवा करो। इसके बाद कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई थी।

 

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150 करोड़ का टर्न ओवर था

बताया जाता है कि वे गारमेंट्स के व्यापारी थे, जिसका टर्नओवर 150 करोड़ रुपए सालाना था। तब भी वह सोना पहनते थे। 1972-73, जब सोना 270 रुपए तोला था, तभी से उन्होंने पहनना शुरू कर दिया था। वर्ष 2012 में गुरु श्रीमहंत मछंदरपुरी महाराज ने इलाहाबाद में दीक्षा दी और तब से वह गोल्डन बाबा बन गए। बाद में जूना अखाड़े से जुड़कर वह गोल्डनपुरी बाबा बने।

इसलिए चर्चित रहते थे गोल्डन बाबा

-उज्जैन कुंभ में आने वाला गोल्डन बाबा हिस्ट्रीशीटर था।
-सुधीर मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा उर्फ बिट्टू भगत पर 34 केस दर्ज थे।
-गोल्ड (सोने) को अपना इष्ट मानने वाले गोल्डन बाबा हमेशा सोने से लदे रहते थे।
-साल 1972 से ही उनका यही रूप देखा जाता रहा है।
-गोल्डन बाबा हमेशा दसों उंगलियों में सोने की अंगूठी पहनते थे।
-इसके अलावा सोने के बाजूबंद और लॉकेट भी पहनते थे।
-अपनी सुरक्षा के लिए हमेशा उनके साथ 25-30 बॉडीगार्ड होते थे।

कई मुकदमे दर्ज थे बाबा पर

बताया जाता है कि गोल्डन बाबा के खिलाफ पूर्वी दिल्ली में अपहरण, फिरौती, जबरन वसूली, मारपीट, जान से मारने की धमकी देने जैसे कई संगीन अपराध थानों में दर्ज थे। सन्यासी बनने से पहले गोल्डन बाबा गारमेंट्स के कारोबार में थे। गांधी नगर के अशोक गली में उन्होंने एक आश्रम बना रखा था। इसके अलावा हरिद्वार के कई अखाड़ों से भी उनके नाम जुड़े रहे। बताया जाता है कि वे अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए अध्यात्म जगत में आए थे।

 

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