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अक्षय उर्जा दिवस विशेष : उज्जैन में सूरज देवता का इस तरह हो रहा उपयोग…
जिले में 75 से अधिक सरकारी व निजी भवनों में सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित, 30 फीसदी बिजली की हो रही बचत
कभी बिजली समस्या से जूझने वाले शहर के घर व सरकारी दफ्तर अब सूरज की तपिश को कैद कर रोशन हो रहे हैं। जी हां, ऐसा सौर ऊर्जा के चलते हो रहा है। पिछले सालों में जिले में 75 स्थानों पर सोलर सिस्टम स्थापित हुए है। इनमें कई सरकारी भवन तो कुछ जगह निजी घरों में लगे हैं। इनसे करीब 30 बिजली की बचत तो हो ही रही है उल्टे बिजली कंपनी को भी बिजली मिल रही है। उज्जैन प्रदेश का पहला शहर है, जहां फिल्टर प्लांट सोलर एनर्जी से संचालित हो रहे हैं।
बढ़ते प्रदूषण को लेकर ग्रीन एनर्जी अब महत्वपूर्ण होती जा रही है। शहर के स्मार्ट सिटी होने के चलते इस दिशा में पिछले दो-तीन सालों में तेजी से काम बढ़ा है। सौर ऊर्जा को लेकर प्रचार-प्रसार तो हुआ ही वही सरकारी महकमों में सोलर सिस्टम लगाना आवश्यक कर दिया गया है। जिले में स्मार्ट सिटी के तहत सोलर सिस्टम लगाने के लिए करीब 38 सरकारी भवनों की छतों का चयन किया गया है। इसमें स्कूल, शासकीय अस्पताल, पंचायत, कलेक्टोरेट भवन सहित अन्य जगह है। स्मार्ट सिटी कार्यालय के अधिकारी बता रहे हैं कि सभी ३८ छतों पर सोलर सिस्टम लगते हैं तो 300 किलो वॉट से अधिक बिजली का उत्पादन होगा। इसमें करीब1.25 करोड़ खर्च होंगे तो 22.7 साथ-साथ पूरी राशि भी वसूल हो जाएगी। वहीं जिन स्थानों पर सोलर सिस्टम लगे हुए हैं वहां से करीब 30 फीसदी बिजली की बचत हो रही है। शहर में उंडासा, गउघाट व अंबोदिया फिल्टर प्लांट पर 1.4 मेगावॉट के सिस्टम लगाए गए हैं।
दो तरह के लगते हैं सोलर सिस्टम
सूरज की रोशनी से बिजली उत्पादन के लिए लगाने वाले सिस्टम दो तरह के होते हैं। एक ऐसा जिसमें सीधे सोलर पैनल से बिजली बनकर बैटरी में समाहित होकर उसे चार्ज करती है। यह बैटरी दिनभर बिजली देती रहती है। वहीं दूसरे में उत्पादित बिजली में से बची बिजली को विद्युत कंपनी को वापस दिया जाता है। जितनी यूनिट बिजली कंपनी को जाती है उतना रिफंड मिल जाता है।
कृषि व घरों के लिए भी महत्वपूर्ण
सोलर एनर्जी सिस्टम कृषि व घरों के लिए भी महत्वपूर्ण है। सरकार द्वारा लगाए जाने वाले सोलर सिस्टम के लिए 60 से 70 फीसदी तक का अनुदान भी दिया जा रहा है। विशेषकर किसानों के लिए सोलर सबमर्सिबल पंप ज्यादा मुफीद है। इसमें बिजली कटौती बगैर मोटर चलाई जा सकती है। हालांकि किसान जमीन में पानी की गहराई के चलते इस सिस्टम के प्रति ज्यादा इच्छुक नहीं है।</p>
यह होते हैं फायदे
स्वच्छ एनर्जी उत्पादित होती है।
-सूरज की रोशनी से मुफ्त बिजली मिलती है।
– एक बार सोलर सिस्टम लगाने से 5 से 10 वर्ष तक निर्बाध बिजली मिलती रहती है।
– जिन घरों की छत 1200 से 1500 वर्ग फीट तक है वहां सोलर सिस्टम स्थापित करना फायदे का सौदा है।
इनका कहना
ग्रीन एनर्जी के लिए सोलर सिस्टम काफी मुफिद है। जिले में सोलर सिस्टम के 75 कनेक्शन लगे हुए हैं। यह सरकारी भवन व निजी स्थानों पर लगे है। इनसे करीब 30 फीसदी बिजली की बचत होती है।
– आशीष आचार्य, एसइ, विद्युत कंपनी