सिंधिया से मिलने के लिए खड़े रहे कमलनाथ के मंत्री, नहीं खुला गेट: बाहर आए तो मंत्री को देखा तक नहीं

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सोमवार को उज्जैन पहुंचे थे।

कमलनाथ सरकार में परिवहन मंत्री हैं गोविंद सिंह राजपूत।

उज्जैन. पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया  सोमवार को बाबा महाकाल की शाही सवारी में शामिल होने के लिए उज्जैन  पहुंचे। पालकी पूजन के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश सरकार  के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बीच दूरी नजर आई। बता दें कि गोविंद सिंह राजपूत सिंधिया खेमे के ही मंत्री माने जाते हैं, लेकिन सिंधिया और उनके बीच की दूरी की खबरें कांग्रेस नेताओं के बीच चर्चा की वजह बनी हुई हैं।

सिंधिया ने देखा भी नहीं

गोपाल मंदिर में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गोविंद सिंह राजपूत को कोई तज्जवो नहीं दी। जबकि दूसरे मंत्री तुलसी सिलावट  पूरी यात्रा के दौरान ही सिंधिया के साथ ही रहे। सिंधिया जब कार्यकर्ताओं के साथ मंदिर की गैलरी में पहुंचे तो गेट लगा दिया गया औऱ मंत्री गोविंद सिंह राजपूत 10 मिनट तक इंतजार करते रहे। उसके बाद भी गेट नहीं खोला गया और इस दौरान गोविंद सिंह राजपूत अलग-थलग दिखाई दिए।

तुलसी सिलावट के साथ पहुंचे थे सिंधिया

बाबा महाकाल की सवारी का पूजन करने राजस्व मंत्री गोविंद रात 8 बजे पहुंचे थे। करीब 15 मिनट बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया तुलसी सिलावट के साथ पहुंचे। सिंधिया, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के साथ ही इंदौर से कार में उज्जैन पहुंचे थे। इंदौर पहुंचते ही सिंधिया सीधे मंदिर के दर्शन के लिए पहुंच गए। सिंधिया पूजन के बाद मंदिर की गैलरी में पहुंचे इस दौरान उन्होंने गोविंद सिंह राजपूत की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।

बंद कर दिया गया गेट

जब गाविंद सिंह राजपूत को पता चला की सिंधिया मंदिर की गैलरी में हैं तो वो उनसे मिलने के लिए गैलरी में पहुंचे लेकिन वहां गेट बंद कर दिया गया। उन्होंने गेट खोलने के लिए कहा तो कोई सुनवाई नहीं हुई। 10 मिनट के इंतजार के बाद भी गेट नहीं खुले तो गोविंद सिंह राजपूत ने दोबारा गेट खोलने को कहा तो जवाब मिला कि महाराज गैलरी से नीचे आ रहे हैं। जब सिंधिया नीचे आए तो इस दौरान भी उन्होंने गोविंद सिंह राजपूत से मुलाकात नहीं की।

सिलावट के साथ पालकी पूजा की

गैलरी से नीचे आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया तुलसी सिलावट को लेकर पालकी पूजा करने के लिए चले गए। इस दौरान उन्होंने गोविंद सिंह को साथ नहीं रखा। गोविंद सिंह दूर खड़े रहे। हालांकि इस दौरान गोविंद सिंह राजपूत अपने हाव-भाव से निराश लग रहे थे।

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