दिगंबर जैन समाज का पर्युषण (दश लक्षण) पर्व शुरू, जिनालयों में सुबह से पहुंचे श्रद्धालु

उज्जैन:दिगंबर जैन समाज के पयुर्षण पर्व की शुरूआत आज मंगलवार से हुई। दस दिनों तक समाजजन आराधना, व्रत आदि करेंगे। वहीं पर्व की शुरूआत के साथ ही दिगंबर जैन जिनालयों में सुबह नित्य पूजन के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों की शुरूआत हुई। शहर में स्थित समाज के मंदिरों, जिनालयों आदि को आकर्षक रोशनी से सुसज्जित किया गया है।
महापर्व के पहले दिन मंगलवार की सुबह शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में मुनि श्री मार्दवसागर जी महाराज ने कहा कि क्षमा इस संसार का सबसे बड़ा धर्म है जो क्षमा करना सीख जाता है वह सबसे बड़ा मानव कहलाता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में क्षमा करना आना चाहिए। इसी तरह श्री महावीर तपोभूमि में श्रावक संस्कार शिविर भी प्रारंभ हुआ। तपोभूमि में ब्रह्मचारिणी प्रभा दीदी ने कहा है कि हमें अपने अंदर क्षमा का भाव लाना चाहिए और उसे पूरे वर्ष भर निभाना चाहिए। पंच इंद्रीय जीव से क्षमा मांग कर अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। क्षमा से अपनी आत्मा का कल्याण होता है।

 

मंदिरों में प्रमुख आयोजन
गौरतलब है कि शहर में दिगंबर जैन समाज के १६ मंदिर है। खाराकुआं, क्षीरसागर, नमकमंडी, जयसिंहपुरा, फ्रीगंज, ऋषि नगर, भैरवगढ़, लक्ष्मी नगर, नयापुरा स्थित मंदिरों में आज सुबह जिनेंद्र प्रच्छालन के बाद शांतिधारा, दस लक्षणा धर्म की पूजा और शास्त्र स्वाध्याय किया गया। वहीं दोपहर में मोक्ष शास्त्र तत्वार्थ सूत्र का वाचन होगा तथा शाम के समय सामायिक भक्ति और रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न किए जाएंगे।

 

क्या है दस लक्षण
1- उत्तम क्षमा, 2 – उत्तम मार्दव, 3- उत्तम आर्जव, 4- उत्तम शौच, 5- उत्तम सत्य, 6- उत्तम संयम, 7- उत्तम तप, ८ – उत्तम त्याग, 9- उत्तम अकिंचन्य, 10- उत्तम ब्रह्मचर्य ।

 

महत्वपूर्ण है यह पर्व
पर्यूषण पर्व, जैन समाज का महत्वपूर्ण पर्व है। जैन धर्म धर्मावलंबी भाद्रपद मास में पयुर्षण पर्व मनाते हैं। श्वेतांबर संप्रदाय के पयुर्षण 8 दिन चलते हैं। 8वें दिन जैन धर्म के लोगों का महत्वपूर्ण त्योहार संवतसरि मनाया जाता है। इस दिन यथाशक्ति उपवास रखा जाता है। पर्यूषण कि समाप्ति पर क्षमायाचना पर्व मनाते है। उसके बाद दिगंबर संप्रदाय के समाजजन 10 दिन तक इस पर्व को मनाते हैं। इसे दसलक्षण धर्म के नाम से भी संबोधित किया जाता है।

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