महाकाल मंदिर दर्शन व्यवस्था वीआईपी कौन?

उज्जैन। लगता है महाकाल मंदिर के लिए उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों की समिति को मंदिर प्रबंधन में सुधार और आम श्रद्धालुओं की सुविधा से ज्यादा वीआइपी दर्शन की चिंता हैं। तभी तो इस पर निर्णय करने के लिए इंदौर में बैठक कर ली और वीआईपी दर्शन का समय एक से दो घंटा कर दिया। सवाल उठता है आखिर वीआइपी कौन है?


कानूनन केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा जारी प्रोटोकॉल सूची में उल्लेखित व्यक्ति ही वीआईपी माने जाते है। सेना, न्यायपालिका को वीआइपी माना जाता है लेकिन वीआईपी केवल पद धारक व्यक्ति ही होते है, व्यवहारिक तौर पर उनके परिवार को वीआईपी माना जा सकता हैं।

क्या प्रभारी मंत्री सज्जन वर्मा ने प्रोटोकॉल सूची में दर्ज लोगों के लिए यह व्यवस्था की है या मंदिर में दर्शन करने वाले कौन वीआईपी है या नही है, ये प्रशासन या प्रभावशाली तबके द्वारा तय होगा।मंदिर के नियम के अनुसार रसीद लेकर दर्शन करने वाले भक्तों को सुविधा देना जायज है लेकिन वीआईपी के नाम पर नेता-अधिकारी अपने मित्रों, परिजनों, परिचितों को दर्शन कराएंगे तब क्या होगा? अभी तक ऐसा ही होता रहा हैं। प्रोटोकॉल सूची के वीआईपी तो बहुत कम आते है, मंत्री जी के खास, नेताओं के खास, अधिकारियों के कृपापात्र और उनके खास लोग इस सुविधा का दोहन कर रहे है।

प्रभारी मंत्री सज्जन वर्मा को इस व्यवस्था के साथ यह भी निर्देश देना चाहिए कि प्रतिदिन कितने वीआईपी ने प्रोटोकॉल व्यवस्था से दर्शन किए, उनकी सूची सार्वजनिक की जाए। जब भस्मारती में शामिल भक्तों की सूची जारी हो सकती है तो वीआईपी की क्यों नही?वीआईपी के नाम पर प्रोटोकॉल का दुरुपयोग बंद होना चाहिए। कम से कम लोगों को यह तो पता चले कि कौन-कौन वीआईपी बाबा के दरबार मे माथा टेक रहे हैं।बहरहाल प्रभारी मंत्री सज्जन वर्मा जी से इस पारदर्शिता की उम्मीद तो की ही जा सकती हैं।

– प्रकाश त्रिवेदी

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