अप्रैल फूल: हंसना गए भूल, ये कैसा अप्रैल फूल…

Ujjain News: – कोरोना ने जिंदगी में सन्नाटा घोल दिया, अलमस्तों के शहर में मनहूसियत पसर गई है

उज्जैन. सुबह से शाम और शाम से देर रात तक खिलखिलाने, चहचहाने वाला शहर इस समय सन्नाटे के आगोश में हैं। हर तरफ मनहूसियत पसरी है। कहीं रुदन है, तो कहीं मौत का भय मन में समाया है। ऐसा लगता है, जैसे हम हंसना ही भूल गए हैं। आज का दिन भले ही हास्य-विनोद और व्यंग्य के लिए जाना जाता हो, लेकिन हमारे देश में कोरोना ने रोना घोल रखा है। ऐसे में चंद लाइनों के माध्यम से पत्रिका के आग्रह पर अपै्रल फूल को समझाने का प्रयास किया है अपने चिर-परिचित अंदाज और पहनावे के लिए अलग पहचान रखने वाले शैलेंद्र व्यास (स्वामी मुस्कुराके) ने।

क्वारेंटाइन है दो सप्ताह का शूल, कोरोना है दोगले चायना की भूल।
अफवाहों के बाजार में मत झूल, घर पर ही रहो, मस्ती के साथ कूल-कूल।
सच मानिए कोरोना तो क्या, उसका बाप भी बन जाएगा अपै्रल फूल।
कोरोना के डर से सारी की सारी जवानी चली गई।
ऐसा लगने लगा है अब तो जैसे मोटर से कमानी चली गई।
कोरोना क्या तुम्हारी आंखें, विश्व भर में तुम्हारी बातें ही बातें।
कितनी पब्लिसिटी को तुमने पाया है, चीन की नाली से ड्रेगन भूत निकल आया है।

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