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शासकीय माधवनगर की ओपीडी में फेली अव्यवस्था
गंभीर मरीज के लिए उपलब्ध नहीं हो सके डॉक्टर्स…
उज्जैन।आज मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान उज्जैन पहुंचे। उनके आने से पूर्व उनके इंतजाम में लगे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों/सिपाहियों की कोरोना जांच के लिए दो दिन से शासकीय माधवनगर में आवाजाही रही। स्टाफ की कमी के कारण ओपीडी का कार्य जमकर प्रभावित हुआ। कम स्टाफ और अधिक लोगों के फार्म भरने के चलते रूटिन में आने वाले मरीजों का उपचार भी प्रभावित हुआ।
मुख्यमंत्री के उज्जैन आगमन के चलते भोपाल से निर्देश थे कि उनकी ड्यूटी में लगने वाले सभी पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों, सिपाहियों आदि का कोविड-19 टेस्ट अनिवार्य रूप से करवाया जाए। इसके चलते मंगलवार और बुधवार को करीब 200 की संख्या में पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी, सिपाही आदि पहुंचे और अपना कोविड टेस्ट करवाया। यह नियम है कि टेस्ट से पूर्व ओपीडी से पर्चा बनवाना होता है तथा ओपीडी में बैठे डॉक्टर्स द्वारा तापमान, ऑक्सीजन का प्रतिशत आदि के साथ ही पूरी जानकारी लेकर कम्प्यूटरीकृत फार्म में भरी जाती है। यही फार्म कम्प्यूटर में एंट्री का आधार बनता है तथा इसी आधार पर जांच रिपोर्ट आती है।
परिजनों के शोर के बाद दौड़ा स्टॉफ
चर्चा में ओपीडी में कार्यरत डॉक्टर्स एवं पेरा मेडिकल स्टॉफ ने पीड़ा व्यक्त की कि एक साथ इतने अधिकारी, सिपाही के टेस्ट हेतु आने पर दो दिन तक अस्पताल में अव्यवस्था फैली रही। ओपीडी में कम स्टाफ होने के कारण वे इनका वीआईपी ड्यूटी के चलते फार्म भरते रहे और रूटिन के मरीज उपचार के अभाव में गंभीर होते गए। चूंकि वीआईपी ड्यूटी में लगे लोगों के टेस्ट भी अनिवार्य रूप से करवाना थे, ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने तात्कालिक व्यवस्था नहीं की।
यही कारण रहा कि कुछ मरीज तो मौके पर ही गंभीर हो गए और उनको तत्काल व्हील चेयर पर बैठाकर ऑक्सीजन लगाई गई। ऐसे ही एक लड़की की स्थिति गंभीर हो गई। उसके परिजनों के अनुसार आधे घंटे तक बाहर बैठाकर रखा गया कि अंदर साहब लोगों की जांच चल रही है, बैठ जाओ। इसके बाद जब लड़की मुर्छित हो गई और परिजनों ने शोर मचाया तो डॉक्टर्स फार्म भरते हुए उठे और लड़की को ओपीडी में लाकर उपचार शुरू किया। व्हील चेयर पर बैठाकर ही उसे ऑक्सीजन शुरू की गई। उस समय उसका ऑक्सीजन का प्रतिशत 40 पर पहुंच चुका था।
इनका कहना है
इस संबंध में चर्चा करने पर प्रभारी डॉ.भोजराज शर्मा ने कहा कि कभी कभी ऐसी स्थिति बनती है। अलग से हमारे पास स्टाफ नहीं है। जो है, उसी से काम चलाना पड़ता है। वीआईपी ड्यूटी में जाने वालों का टेस्ट करना और फार्म भरना भी जरूरी था।