339 दिन के बाद फिर खा जाने वाली खामोशी

बस यही समझदारी हम दिखाते रहें…जैसी रविवार को दिखाई, लॉकडाउन का पालन करने में। अब भीड़ नहीं जुटने देंगे, आपस में दूरी रखेंगे, मास्क लगाएंगे…संडे लॉकडाउन जिस सन्नाटे में गुजर गया वह चकित करने वाला था। सुबह से ही लोग घरों से नहीं निकले। गली-मोहल्लों में दूध पहुंचा। दवा दुकानें खुली रहीं।

अस्पतालों में इलाज मिला। बंद था तो केवल बाजार। बेरिकेडिंग कर रास्ते रोके गए थे, पुलिस बल तैनात था लेकिन पुलिस को डंडे फटकारने का मौका नहीं मिला। इक्का-दुक्का लोग सड़कों पर निकले लेकिन जरूरी काम से। दोपहर में सड़कें इस कदर सूनी हो गई कि पुलिस जवान छाया में बैठकर सुस्ताने लगे।

कोई ज्यादा परेशान हुआ तो वह यात्री थे जो बसों से शहर आए। बसों को नाकों पर रोकने से यात्री या तो पैदल चल कर शहर में दाखिल हुए या फिर ज्यादा किराया देकर ऑटो-मैजिक से गंतव्य पर रवाना हुए। शाम को तोपखाना, महाकाल क्षेत्र में जरूर लोग बाहर निकल आए थे, जिन्हें पुलिस ने वापस घरों की ओर रवाना कर दिया। होली पूजन, शबे बरात के लिए प्रशासन द्वारा दी गई छूट में गाइड लाइन का पालन लोगों ने किया…सोमवार को भी हम धुलैंडी इसी समझदारी से मनाएंगे…

किसान सब्जियां लेकर नहीं आए, ट्रेन चली, लोक परिवहन नहीं मिला

संभाग की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी में रबी सीजन के दौरान रोज औसतन 5 से 10 हजार बोरी अनाज की आवक हो रही है। इसी परिसर में थोक आलू, प्याज और लहसुन मंडी के अलावा सब्जी व फल मंडी भी लगाई जाती है। अनाज मंडी रविवार और अवकाश के दिन बंद रहती है लेकिन सब्जी और फल मंडी में खरीद पर कोई असर नहीं पड़ता। यहां छुट्‌टी के दिन भी औसत 10 टन सब्जियों की आवक होती है। रविवार को मंडी के दोनों गेट बंद रहे। मंडी कर्मचारियों ने बताया पहला मौका है, जब किसान खुद नहीं आए।

ट्रेन का ही सहारा, घर लौटने में परेशानी
रेलवे स्टेशन पर सुबह 10.49 बजे डॉ. आंबेडकरनगर-भोपाल-दाहोद ट्रेन के आने की घोषणा की जा रही थी। प्लेटफॉर्म नंबर एक पर लोग ट्रेन के इंतजार में थे। जैसे ही ट्रेन आई तो सभी ने अपनी-अपनी सीट, जो कि पहले से रिजर्व थी, संभाल ली। जितने यात्री चढ़े, उससे दोगुने उज्जैन स्टेशन पर उतरे। यात्री बाहर आकर देखा तो घर तक पहुंचने के लिए इक्का-दुक्का साधन थे। मोल-भाव का वक्त नहीं था, ऑटो चालक ने जो कहा मानना मजबूरी थी। यात्रियों ने हां में हां मिलाई और सवार हो गए, शर्त रखी कहीं कोई रोकेगा तो आप देख लेना। ऑटो चालक ने भी पूरी गारंटी ली।

लॉकडाउन में फंसे यात्रियों को पुलिस ने पिलाया पानी, भोजन कराया
रविवार को अन्य शहरों से रेल और बस से यहां पहुंचे यात्रियों की मदद के लिए पुलिस जवान से लेकर अधिकारी तक तत्पर नजर आए। हरि फाटक ब्रिज पर जोधपुर से जीरा काटकर बस से लौटे सैकड़ों मजदूरों को पुलिस ने छांव में बिठाकर ठंडे पानी से उनका स्वागत किया।

अधिकांश इसमें घोंसला जाने के लिए हरिफाटक ब्रिज पर उतरे थे। तीन बच्चों के साथ मारवाड़ से सांवेर के लिए यात्रा कर रहे रेबारी समुदाय के राजू और उसकी पत्नी को यहां मौजूद ट्रैफिक के एएसआई भगवानसिंह सेंगर आरक्षक पंकज ने अपना भोजन दे दिया। लॉकडाउन में जो लोग सड़कों पर नजर आए, उनसे संयमित व्यवहार से उनके सड़क पर होने का कारण पूछा, जायज कारण पर उन्हें गंतव्य तक जाने भी दिया।

लॉकडाउन का विरोध: देवास गेट पर बड़नगर के फतेहपुर का दिव्यांग
किसान अखिलेश धाकड़ तिरंगा लिए लॉकडाउन के विरोध में प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करता रहा। समझाइश के बाद भी जब वो नहीं माना तो पुलिस ने उसे हिरासत में लिया।

बच्चे के लिए दूध को भटक रही दिल्ली की महिला को पुलिस ने दिलाई दूध की थैली
बाजारों में दुकानों के शटर डाउन रहे। इस बीच दिल्ली से महाकाल दर्शन को आए दंपत्ती चौबीस खंभा माता मंदिर के पास निजी होटल में रुके थे। यहां उन्हें बच्चे के लिए दूध नहीं मिला। महिला महाकाल क्षेत्र में पहुंची। वहां भी दुकानों पर दूध नहीं मिला। यहां तैनात प्रधान आरक्षक मनीष यादव और यदुसिंह से महिला ने मदद मांगी, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने एक होटल वाले से दूध की थैली ले जाकर महिला को दी।

उज्जैन में फंसी युवती, पुलिस ने भिजवाया

विदिशा निवासी युवती उज्जैन आ गई। बोली- महाकाल क्षेत्र में जिससे मिलने आई थी, वह परिवार रात को बाहर चला गया और घर पर ताला लगा है, मैं कैसे वापस जाऊं। पुलिस ने पहले तो उसे एक घंटे होटल में रुकवाया। इसके बाद ऑटो से नानाखेड़ा बस स्टैंड भिजवाया।

24 घंटे चहल-पहल वाले बस स्टैंड पर सन्नाटा, बस पार्किंग में, दुकानों पर ताले

नानाखेड़ा क्षेत्र में सुबह 11.10 बजे सन्नाटा था। 24 घंटे चहल-पहल बनी रहती है। लेकिन लॉकडाउन होने पर सन्नाटा पसरा है। बस स्टैंड पर यात्री बसें खड़ी हैं। बाहर के एक-दो यात्री यहां पहुंचे, जिन्होंने बस के कर्मचारियों से पूछा- आज बस चलेंगी क्या? हमें इंदौर तक जाना है। बस कर्मचारी ने कहा, आज तो लॉकडाउन है। कल से जरूर बसें चलेंगी। दुकानों पर ताले लगे हैं। इंदौर रोड पर ऐसे ही हाल हैं, केवल मेडिकल स्टोर्स संचालित हो रहे हैं, जहां एक-दो लोग दवाई लेते दिखे, बाकी दुकानें बंद हैं। महामृत्युंजय द्वार चौराहे पर पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर रास्ता बंद कर दिया है। मरीज व उनके अटेंडर और दूध की फेरी वालों व पानी की सप्लाई करने वालों को छूट है, उन्हें नहीं रोका गया, बाकी को रोककर पूछताछ की।

रामघाट और सिद्धवट घाट पर सन्नाटा, महाकाल मंदिर सूना

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में शनिवार रात तक श्रद्धालुओं की भीड़ थी लेकिन संडे लॉकडाउन में यहां सन्नाटा पसरा है। पूरा मंदिर चारों तरफ से बंद है। प्रवेश के हर रास्ते पर पुलिस तैनात है। मंदिर में केवल पूजन-आरती के समय पुजारियों को प्रवेश की अनुमति है। उनके अलावा मंदिर के कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी आ-जा रहे हैं। रविवार को दर्शन के लिए दी गई सभी प्री-परमिशन शनिवार को निरस्त कर दी थी। बावजूद बाहर के जो श्रद्धालु पहुंच गए थे, वे होटलों में रुके हैं। आसपास की होटलों में रुके लोग वहीं टहलते दिखे।

चामुंडा माता मंदिर पर भोजन वितरण

रामघाट और सिद्धवट पर सुबह से पिंडदान, तर्पण के लिए लोग पहुंचते हैं। लेकिन दोनों जगह घाट सुनसान थे। आसपास के कुछ बच्चे नदी में नहाने पहुंचे। इक्का-दुक्का शहरवासी पुलिस की नजर बचा कर घाट पर घूमने आ गए। दोपहर में देवासगेट स्थित चामुंडा माता भक्त मंडल ने जरूरतमंदों को भोजन वितरण किया। भोजन लेने के लिए सड़कों पर बसर करने वालों की कतार लगी। देवासगेट, इंदौरगेट, दौलतगंज सब्जी मंडी क्षेत्र, मालीपुरा, तोपखाना, बेगमबाग, पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, कंठाल, नई सड़क समेत सभी सड़कें सुबह से रात तक सुनसान ही रहीं।

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