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सिस्टम की आग पर बड़ा सवाल:पाटीदार की आग के धुएं से 3 दिन में दूसरी मौत
पाटीदार अस्पताल के आईसीयू की भीषण आग में झुलसे एक और मरीज की बुधवार शाम को इंदौर के निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। उनकी मौत की वजह भी लंग्स में धुआं घुसना बताया गया, जिसने सांस लेने की नली को ही जाम कर दिया। इधर प्रशासन की तरफ से अस्पताल प्रबंधन को लापरवाह मानते हुए चार प्रबंधकों के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया गया है। रविवार को पाटीदार अस्पताल में आग से चार मरीज गंभीर रूप से झुलस गए थे। मंगलवार को ऋषिनगर निवासी सावित्री देवी श्रीवास्तव की इंदौर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। बुधवार को इंदौर के ही निजी अस्पताल में कन्हैयालाल चौऋषिया 87 निवासी विवेकानंद ने भी दम तोड़ दिया।
इधर लक्ष्मीनगर निवासी नीलादेवी पटेल इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी हालत भी गंभीर बताई जा रही है। इधर एएसपी अमरेंद्रसिंह चौहान ने बताया जांच रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल प्रबंधक उमाशंकर पाटीदार, डॉक्टर महेंद्र पाटीदार, ज्योति पति महेंद्र पाटीदार, राधेश्याम पाटीदार पर लापरवाही का केस दर्ज किया है। हादसे के शिकार मरीज के परिजनों की तरफ से भी केस दर्ज किया जा रहा है। हालांकि सवाल अभी भी यह है कि उन लापरवाहों पर कार्रवाई क्यों नहीं, जो नोटिस देकर भूल गए और हादसा हो गया।
सावित्रीदेवी की मौत के मामले में भी केस दर्ज
पाटीदार अस्पताल के आईसीयू में जिस समय आग लगी तब ऋषिनगर निवासी सावित्री देवी 87 साल उपचाररत थी। उन्हें आग की लपटों के बीच से उनके निरीक्षक बेटे संजय श्रीवास्तव बाहर निकालकर लाए थे। कोरोना से तो वे ठीक होने की स्थिति में आ गई थी लेकिन अस्पताल की आग में झुलसने व फेफड़ों में धुआं घुसने की वजह से उनकी जान चली गई। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हत्या का केस दर्ज करने की मांग की थी, जिसमें बुधवार रात को मृतका सावित्री देवी के पुत्र संजय की रिपोर्ट पर अस्पताल संचालक उमाशंकर पाटीदार, डाॅक्टर महेंद्र पाटीदार, ज्योति पति महेंद्र पाटीदार, चंदन पाटीदार, राधेश्याम पाटीदार के खिलाफ धारा 304 ए, 337, 338 के तहत केस दर्ज कर लिया गया। माधवनगर थाना प्रभारी मनीष लोधा ने बताया अस्पताल प्रबंधन द्वारा लापरवाही बरती गई, जिसके फलस्वरूप आईसीयू वार्ड में शार्ट सर्किट से आग लगी।
दादाजी खुद चलकर अस्पताल गए थे, इलाज देने की बजाए जान ले ली
मे रे दादाजी कन्हैयालाल चौऋषिया रंगपंचमी की शाम 2 अप्रैल को बोले कि कमजोरी लग रही है, कुछ अच्छा नहीं लग रहा है, चलो डॉक्टर को दिखा देते हैं। हम उन्हें पाटीदार अस्पताल ले गए। दादाजी बिना किसी सहारे के खुद अस्पताल चलकर गए थे। उन्हें रात में ही अस्पताल वालों ने भर्ती कर लिया। उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई लेकिन सीटी स्कैन कराने पर लंग्स में थोड़ा इंफेक्शन बताया था। चार तारीख की दोपहर वे अस्पताल की आग में घिर गए। उन्हें पड़ोस के अस्पताल में शिफ्ट किया लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर हम उन्हें इंदौर ले गए। यहां बुधवार शाम उनकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने उनके फेफड़ों में अत्यधिक धुआं घुसना बताया। यह सब पाटीदार अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से हुआ है, उन्होंने जान बचाने की बजाए दादाजी की जान ही ले ली। अस्पताल के जितने जिम्मेदार है, सब के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और अस्पताल भी सील किया चाहिए ताकि अन्य अस्पतालों को सबक मिले कि लापरवाही की सजा क्या होती है।