नागपंचमी पर कालसर्प दोष निवारण के लिए उज्जैन के सिद्धवट पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा

नागपंचमी के अवसर पर उज्जैन में कालसर्प दोष निवारण की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन बिना मुहुर्त के भी यह पूजा की जा सकती है। इसकी पौराणिक मान्यता है। इसके चलते उज्जैन में नागपंचमी के अवसर पर शुक्रवार को हजारों की तादाद में श्रद्धालु मंदिर के दर्शन पहुंचे। पंडित द्वारकेश व्यास ने बताया कि नाग पंचमी के दिन पंचमी तिथि होने की वजह से किसी मुहुर्त की आवश्यकता नहीं होती। यह किसी भी कार्य के लिए शुभ तिथि मानी जाती है। फल की प्राप्ति के लिए भी यह दिन शुभ माना जाता है।

नाग पंचमी के दिन नाग देवता की विशेष पूजा का महत्व है। इसलिए यह दिन काल सर्प दोष निवारण के लिए विशेष माना जाता है। पंचमी को पूर्णा तिथि भी कहते हैं, इसलिए इस दिन किए भी गए किसी भी कार्य का पूर्ण फल प्राप्त होता है। यह परंपर उज्जैन में कई सौ सालों से की जा रही है। पूर्व में यहां यह पूजा नाग बलि और नारायण बलि के रूप में मनाई जाती थी। यह पूजा 5 दिन तक चलती थी। यह पूजा उज्जैन के पूर्व शासक सिंधिया परिवार के सदस्यों द्वारा भी की गई थी। पं. व्यास ने बताया कि करीब 30 वर्षों से नाग बलि व नारायण बलि पूजा की जगह संक्षिप्त रूप में कालसर्प दोष निवारण की पूजा की जाती है।

उज्जैन के मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु, शिप्रा में किया स्नान –

नागपंचमी के अवसर पर देशभर के श्रद्धालु इकट्ठा हुए। श्रद्धालुओं ने महाकाल सहित शहर के पौराणिक शिव मंदिरों, मंगलनाथ आदि के दर्शन भी किए। कई श्रद्धालुओं ने शिप्र में भी डूबकी भी लगाई। हालांकि प्रशासन की ओर से प्रमुख घाटों पर स्नान प्रतिबंधित किया गया था। सुरक्षा के लिहाज से नाविक भी नदी में मौजूद थे।

बिहार से परिवार के साथ कालसर्प दोष निवारण की पूजा कराने आए रघुबीरसिंह ने बताया कि मुझे इस दिन का विशेष महत्व बताया गया था। इस वजह से मैं परिवार के साथ यहां दर्शन करने आया हूं। पहले कालसर्प दोष निवारण पूजा करेंगे फिर उज्जैन के मंदिरों के दर्शन करने जाएंगे।

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