- एडीएम अनुकूल जैन बने महाकाल मंदिर प्रशासक, पहले भी संभाल चुके हैं जिम्मेदारी; शासन का आदेश आने तक देखेंगे कार्य ...
- भस्म आरती: महाकालेश्वर मंदिर में जयकारों के बीच हुई बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती, राजा स्वरूप में किया गया भगवान का दिव्य श्रृंगार!
- प्रयागराज कुंभ के लिए मुख्यमंत्री को मिला विशेष आमंत्रण! हरिद्वार से आए निरंजनी अखाड़ा प्रमुख ने मुख्यमंत्री यादव से की भेंट, उज्जैन में साधु-संतों के लिए भूमि आवंटन निर्णय को स्वामी कैलाशानंद ने बताया प्रशंसनीय
- भस्म आरती: मस्तक पर भांग-चंदन और रजत मुकुट के साथ सजे बाबा महाकाल, भक्तों ने किए अद्भुत दर्शन
- महाकाल के दर पर पहुंचे बी प्राक, भस्म आरती में शामिल होकर लिया आशीर्वाद; करीब दो घंटे तक भगवान महाकाल की भक्ति में दिखे लीन, मंगलनाथ मंदिर में भी की पूजा
विक्रम बेताल, कहानी_1
अंग देश के एक गाँव मे एक बहुत ही धनी ब्राह्मण रहता था। उसके तीन पुत्र थे। एक बार धनी ब्राह्मण ने एक यज्ञ करना चाहा। उसके लिए उसे एक कछुए की जरूरत हुई। उसने तीनों भाइयों को कछुआ लाने को कहा। वे तीनों समुद्र पर पहुँचे। वहाँ उन्हें एक कछुआ मिल गया। बड़े ने कहा, ‘‘मैं भोजनचंग हूँ, इसलिए कछुए को नहीं छुऊँगा।’’ मझला बोला, ‘‘मैं नारीचंग हूँ, मैं नहीं ले जाऊँगा।’’ सबसे छोटा बोल, ‘‘मैं शैयाचंग हूँ, सो मैं नहीं ले जाऊँगा।’’ वे तीनों इस बहस में पड़ गये कि उनमें कौन बढ़कर है। जब वे आपस में इसका फैसला न कर सके तो राजा के पास पहुँचे। राजा ने कहा, ‘‘आप लोग रुकें। मैं तीनों की अलग-अलग जाँच करूँगा।’’
इसके बाद राजा ने बढ़िया भोजन तैयार कराया और तीनों खाने बैठे। सबसे बड़े ने कहा, ‘‘मैं खाना नहीं खाऊँगा। इसमें मुर्दे की गन्ध आती है।’’ वह उठकर चला। राजा ने पता लगाया तो मालूम हुआ कि वह भोजन श्मशान के पास के खेत का बना था। राजा ने कहा, ‘‘तुम सचमुच भोजनचंग हो, तुम्हें भोजन की पहचान है।’’ रात के समय राजा ने एक सुन्दर वेश्या को मझले भाई के पास भेजा। ज्योंही वह वहाँ पहुँची कि मझले भाई ने कहा, ‘‘इसे हटाओ यहाँ से। इसके शरीर से बकरी का दूध की गंध आती है।’’ राजा ने यह सुनकर पता लगाया तो मालूम हुआ कि वह वेश्या बचपन में बकरी के दूध पर पली थी। राजा बड़ा खुश हुआ और बोला, ‘‘तुम सचमुच नारीचंग हो।’’ इसके बाद उसने तीसरे भाई को सोने के लिए सात गद्दों का पलंग दिया। जैसे ही वह उस पर लेटा कि एकदम चीखकर उठ बैठा। लोगों ने देखा, उसकी पीठ पर एक लाल रेखा खींची थी। राजा को ख़बर मिली तो उसने बिछौने को दिखवाया। सात गद्दों के नीचे उसमें एक बाल निकला। उसी से उसकी पीठ पर लाल लकीर हो गयी थीं। राजा को बड़ा अचरज हुआ उसने तीनों को एक-एक लाख अशर्फियाँ दीं। अब वे तीनों कछुए को ले जाना भूल गये, वहीं आनन्द से रहने लगे। इतना कहकर बेताल बोला, ‘‘हे राजा! तुम बताओ, उन तीनों में से बढ़कर कौन था?’’ राजा ने कहा, ‘‘मेरे विचार से सबसे बढ़कर शैयाचंग था, क्योंकि उसकी पीठ पर बाल का निशान दिखाई दिया और ढूँढ़ने पर बिस्तर में बाल पाया भी गया। बाकी दो के बारे में तो यह कहा जा सकता है कि उन्होंने किसी से पूछकर जान लिया होगा।’’ इतना सुनते ही बेताल फिर पेड़ पर जा लटका।