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श्रावण में उमड़ा महाकाल पर आस्था का सैलाब: उज्जैन में हर दिन टूट रहे दर्शन के रिकॉर्ड, पहले दो दिन ही 2.5 लाख भक्तों ने किए महाकाल दर्शन; 80 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
श्रावण मास का पवित्र आरंभ इस बार 11 जुलाई से हुआ, और इस अवसर पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था का अद्भुत सैलाब उमड़ पड़ा। पहले ही दिन 1 लाख 26 हजार और दूसरे दिन 1 लाख 29 हजार से अधिक भक्तों ने महाकाल के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया। बीते तीन दिनों में करीब 12 हजार श्रद्धालुओं ने चलित और अनुमति पास के माध्यम से भस्म आरती के दुर्लभ दर्शन भी किए। ऐसा अनुमान है कि इस पूरे श्रावण माह में 80 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंचेंगे।
श्रावण मास की महिमा तो विशेष है ही, इस बार इसमें चार सोमवार आ रहे हैं। पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा, जब महाकाल मंदिर के कपाट तड़के 2:30 बजे ही खुल जाएंगे। भगवान का पंचामृत अभिषेक कर भस्म आरती से दर्शन प्रारंभ होंगे, जो रात 10:30 बजे तक निरंतर चलते रहेंगे। इसी दिन बाबा महाकाल की प्रथम सवारी भी निकलेगी। इस सवारी में भगवान मनमहेश स्वरूप में पालकी में विराजमान होंगे और लाखों भक्त मार्ग में उनके दर्शन करेंगे।
इस बार की प्रथम सवारी विशेष रूप से “वैदिक उद्घोष” की थीम पर आधारित होगी। रामघाट और दत्त अखाड़ा पर बटुकों द्वारा भव्य वैदिक मंत्रोच्चार किया जाएगा। मार्ग में भी ये बटुक वैदिक उद्घोष करते हुए चलेंगे। साथ ही जनजातीय समूह भी मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे। सावन में प्रतिदिन शाम को महाकाल महालोक में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी होगा, जिसमें देशभर के प्रसिद्ध कलाकार अपने नृत्य और संगीत से माहौल को भक्तिमय बना देंगे।
इस बार महाकाल की सवारी नई चांदी की पालकी में निकलेगी। यह पालकी एक वर्ष पूर्व भिलाई के एक भक्त द्वारा गुप्त रूप से दान में दी गई थी। पालकी में 20 किलो 600 ग्राम चांदी का आवरण है, इसकी लंबाई 17 फीट, चौड़ाई 3 फीट, और ऊँचाई 5 फीट है। पालकी के हत्थों पर सिंह मुख की आकृति बनी है और चांदी पर सूर्य, स्वास्तिक, कमल पुष्प और शेरों की नक्काशी की गई है।
श्रावण-भादो मास में बाबा महाकाल की कुल 6 सवारियां निकाली जाएंगी।
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प्रथम सवारी 14 जुलाई,
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द्वितीय सवारी 21 जुलाई,
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तृतीय सवारी 28 जुलाई,
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चतुर्थ सवारी 4 अगस्त,
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पंचम सवारी 11 अगस्त,
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और राजसी सवारी 18 अगस्त को निकलेगी।
हर सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर विभिन्न स्वरूपों में दर्शन देंगे।
सवारी के मार्ग भी विशेष रहते हैं। पहली सवारी दोपहर 4 बजे महाकाल मंदिर से प्रारंभ होकर महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुँचेगी। वहाँ शिप्रा नदी के जल से अभिषेक व पूजन के बाद शाम 7 बजे पुनः मंदिर लौटेगी। वापसी मार्ग में रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार व गुदरी बाजार से गुजरेगी।
हर सवारी की थीम भी अलग-अलग होगी।
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प्रथम सवारी में वैदिक उद्घोष,
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द्वितीय सवारी में लोकनृत्य, जिसमें मध्यप्रदेश का मटकी नृत्य, राजस्थान का गणगौर, असम का बिहू, गुजरात का भवाई और कर्नाटक का पुलियाटम नृत्य होगा।
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तृतीय सवारी में सेना और पुलिस बैंड विशेष आकर्षण होंगे।
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चतुर्थ सवारी में पर्यटन थीम, जिसमें मांडू, सांची, खजुराहो, महेश्वर, भीम बेटका, ग्वालियर, उदयगिरि, विदिशा, धार की झांकियां सजेंगी।
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पंचम सवारी में धार्मिक थीम, जिसमें श्रीकृष्ण पाथेय और प्रदेश के धार्मिक स्थलों की झांकियां होंगी।
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राजसी सवारी में 70 से अधिक भजन मंडलियां अपने भजनों से वातावरण को भक्तिमय बनाएंगी।
बता दें, महाकाल महालोक में श्रावण महोत्सव के अंतर्गत 13 जुलाई से 16 अगस्त तक (सवारी, नागपंचमी और 15 अगस्त को छोड़कर) प्रतिदिन शाम 6 बजे से 8 बजे तक सप्तऋषि प्रतिमा स्थल पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इसमें देशभर से आए 47 कलाकार समूह अपनी प्रस्तुतियां देंगे, जिससे महालोक का वातावरण पूरे सावन माह में भक्तिरस से सराबोर रहेगा।