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महाकाल की नगरी से ‘विकसित भारत 2047’ की ओर — आईटी सिटी, मेडिसिटी और लॉजिस्टिक हब बनकर उभर रहा उज्जैन; दस मेगा प्रोजेक्ट बदलेंगे शहर की तस्वीर!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन, जो सदियों से अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, अब विकास के नए आयाम छू रहा है। यह शहर न केवल धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन रहा है, बल्कि अब इसे आईटी सिटी, औद्योगिक विकास केंद्र, आर्थिक कॉरिडोर और पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में उज्जैन, “विकसित भारत 2047” की दिशा में मध्यप्रदेश का प्रमुख ग्रोथ इंजन बनकर उभर रहा है।
इंदौर इकोनॉमिक रीजन इनिशिएटिव में उज्जैन की बड़ी प्रस्तुति
कलेक्टर रोशनकुमार सिंह ने गुरुवार को इंदौर इकोनॉमिक रीजन इनिशिएटिव की बैठक में उज्जैन के विकास की रूपरेखा पेश की। बैठक में मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव और नीति आयोग के वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे।
कलेक्टर सिंह ने अपने प्रजेंटेशन में बताया कि आने वाले वर्षों में सिंहस्थ-2028 उज्जैन की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा अवसर साबित होगा। इस दौरान शहर में सड़क, परिवहन, पर्यटन और बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उज्जैन को “वेलनेस और वेडिंग डेस्टिनेशन” के रूप में भी बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे सेवा क्षेत्र में हजारों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
10 प्रमुख प्रोजेक्ट जो उज्जैन के भविष्य को दिशा देंगे
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क्षेत्रीय हवाई अड्डा – पर्यटन, व्यापार और बेहतर संपर्क के लिए उज्जैन में एक नया एयरपोर्ट विकसित किया जाएगा।
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एकीकृत स्वास्थ्य और पर्यटन पारिस्थितिकी तंत्र – आध्यात्मिक, स्वास्थ्य और विरासत पर्यटन को जोड़कर एक मॉडल तैयार किया जाएगा।
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विक्रम उद्योगपुरी चरण-2 – हाई-टेक उद्योगों को आकर्षित करने के लिए औद्योगिक ढांचा और मजबूत किया जा रहा है।
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बंदरगाहों से सीधा संपर्क – उज्जैन से प्रमुख बंदरगाहों तक निर्बाध लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी बनाई जाएगी।
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आईसीडी (Inland Container Depot) – निर्यात-आयात संचालन को सुगम बनाने के लिए नया कंटेनर डिपो बनाया जाएगा।
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एमएमएलपी (Multi-Modal Logistics Park) – सड़क, रेल और हवाई संपर्क को जोड़ने वाला आधुनिक लॉजिस्टिक हब।
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मेडिसिटी – विश्वस्तरीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम का निर्माण।
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अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय – उच्च शिक्षा और अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के लिए ग्लोबल-स्टैंडर्ड संस्थान की स्थापना।
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कौशल विकास उत्कृष्टता केंद्र – युवाओं के लिए एडवांस स्किल डेवलपमेंट सुविधाएं।
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टेक-ड्रिवन इनोवेशन इकॉनमी – स्टार्टअप्स और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देकर तकनीकी अर्थव्यवस्था का निर्माण।
उद्योग, निवेश और रोजगार के नए अवसर
कलेक्टर सिंह ने बताया कि विक्रम उद्योगपुरी परियोजना में अब तक करीब 8 हजार करोड़ रुपए का निवेश आया है, जिससे 20 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
इसके साथ ही, मक्सी औद्योगिक क्षेत्र के दूसरे चरण में 55 हेक्टेयर भूमि पर विकास कार्य जारी है।
मेडिकल उपकरण निर्माण पार्क में 60 उद्योगों को भूमि आवंटित की जा चुकी है, जबकि 2.161 हेक्टेयर क्षेत्र में 46 करोड़ की लागत से आईटी पार्क बनाया जा रहा है।
महाकाल लोक परियोजना ने दी विकास को नई गति
उज्जैन के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में श्री महाकाल लोक परियोजना की भूमिका निर्णायक रही है।
2018 में मंदिर और आसपास के क्षेत्रों से होने वाली वार्षिक आय जहां 46 करोड़ रुपए थी, वहीं 2024 में इसमें 70% से 90% तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
परियोजना की वजह से उज्जैन को “विश्वस्तरीय आध्यात्मिक और पर्यटन राजधानी” के रूप में नई पहचान मिली है।
उज्जैन का भविष्य: विकास के पाँच स्तंभों पर आधारित
कलेक्टर सिंह के अनुसार, उज्जैन का भविष्य पांच मुख्य स्तंभों पर आधारित होगा:
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आध्यात्मिक, स्वास्थ्य और विरासत अर्थव्यवस्था – उज्जैन और श्री महाकाल लोक को ग्लोबल आध्यात्मिक-हेल्थ कैपिटल के रूप में विकसित करना।
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कृषि-व्यवसाय और फूड प्रोसेसिंग हब – डेयरी, फल, सब्जी और निर्यात आधारित उद्यमों को बढ़ावा देना।
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ज्ञान और शिक्षा नगरी – अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, तकनीकी संस्थान और आयुर्वेद-योग केंद्र की स्थापना।
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औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क – इंदौर-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर से जोड़ते हुए एयरपोर्ट, आईसीडी और लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण।
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कौशल और नवाचार विकास – युवाओं के प्रशिक्षण और रोजगार के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर और इंडस्ट्री-एजुकेशन पार्टनरशिप को बढ़ावा देना।
उज्जैन अब सिर्फ एक धार्मिक नगरी नहीं रहा, बल्कि प्रदेश का उभरता ग्रोथ इंजन बन चुका है। यहां हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्री, आईटी और पर्यटन के प्रोजेक्ट “विकसित भारत 2047” की दिशा में एक मजबूत कदम हैं। महाकाल लोक से लेकर मेडिसिटी और आईटी पार्क तक — हर योजना उज्जैन को न केवल आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि देश के विकास मानचित्र पर इसे नई पहचान दिला रही है।