शिप्रा शुद्घिकरण के लिए बनेगा ब्लूप्रिंट… बजट का संकट

उज्जैन। शिप्रा शुद्घिकरण के लिए ब्लूप्रिंट जल्द तैयार होगा। विभागों की योजनाओं के साथ इसमें यह भी तय रहेगा कि वे कौनसा काम कैसे करेंगे। नदी के दोनों कनारों पर करीब 60 हेक्टेयर जमीन पर 1 लाख पौधे लगाने की योजना भी तैयार हो गई है, लेकिन बजट की समस्या सामने आ गई है। जिला पंचायत की मनरेगा योजना के माध्यम से काम कराने में रोड़ा आ गया है। इसके चलते न्यास से पैसा लेने के लिए प्रस्ताव रखा जा सकता है।

शिप्रा शुद्घिकरण को लेकर बुधवार शाम नगर निगम आयुक्त व नोडल अधिकारी प्रतिभा पाल की अध्यक्षता में बैठक सिंहस्थ मेला कार्यालय में हुई। निगमायुक्त पाल ने कहा 15 दिनों में ब्लूपिं्रट तैयार कर सबके सामने रखेंगे। डीएफओ पीएन मिश्रा ने बताया त्रिवेणी से कोलूखेड़ी तक पौधारोपण के लिए किनारों पर पैदल चलने की कोशिश की गई, लेकिन जमीन की स्थिति साफ न होने के कारण बीच-बीच में दिक्कतें हैं। किसानों ने जमीन को घेर रखा है और फसलें बो रखी हैं। उन्होंने साफ किया कि जमीन सरकारी हो या गैर सरकारी, पौधारोपण जरूर किया जाएगा। रिवर कॉरिडोर बनाना भी बेहद जरूरी है। उद्यानिकी विभाग 182 हेक्टेयर क्षेत्र पर पौधारोपण कराएगा। इसके लिए 57 हेक्टेयर के वचनपत्र भी किसानों से भराए गए हैं। नगर निगम के सहायक आयुक्त बीके शर्मा ने कार्ययोजना प्रस्तुत की।

वन विभाग 3 साल तक करेगा देखरेख

शिप्रा किनारे लगाए जाने वाले पौधों की देखरेख वन विभाग कराएगा, चाहे वह निजी जमीन पर हो या सरकारी जमीन पर। डीएफओ मिश्रा ने बताया मनरेगा के अंतर्गत न पौधारोपण किया जा सकता है न फेंसिंग वाल बनाई जा सकती है। शिप्रा किनारे की जमीन मालिक किसानों ने कहा है वे पौधे तो लगवा देंगे, लेकिन इसकी सुरक्षा नहीं कर पाएंगे। इसके लिए शिप्रा शुद्घिकरण न्यास के समक्ष बजट स्वीकृति का प्रस्ताव रखा जाएगा। प्रति पौधे के रखरखाव पर एक साल का खर्च 159 रुपए आएगा, जो कि काफी कम है।

सीवरेज लाइन की करो मार्किंग

शिप्रा किनारे पीएचई द्वारा सीवरेज लाइन डाली जा रही है। इसके लिए गड्ढे भी विभाग द्वारा खोदे जा रहे हैं। इस लाइन के पास भी पौधारोपण आसानी से हो सकेगा। इसके लिए निगमायुक्त पाल ने सीवरेज लाइन की मार्किंग करने का निर्देश दिया, जिससे कि पौधारोपण आसानी से किया जा सके। निजी जमीन पर भी पौधारोपण किया जाएगा।

केवल उपस्थिति दर्ज कराने के लिए न रहें… रुचि न हो तो जा सकते हैं

बैठक की शुरुआत में निगमायुक्त पाल ने सभी विभागीय अफसरों से दो टूक कहा केवल उपस्थिति दर्ज कराने के लिए यहां न बैठें। शिप्रा के लिए काम करना है तो मन से करें, अगर किसी की रूचि न हो तो वे बैठक छोड़कर बाहर जा सकते हैं, लेकिन बैठें तो स्वेच्छा से, क्योंकि यह काम स्वेच्छा से ही हो सकता है। न्यास के एकमात्र सदस्य राजीव पाहवा भी इसमें मौजूद रहे।

ब्लूप्रिंट में शामिल हो सकते ये काम

– राजस्व विभाग के माध्यम से शिप्रा व सहायक नदियों का सीमांकन कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई।

– अवैध उत्खनन पर पूरी तरह से रोक लगाई जाने का प्रस्ताव।

– शिप्रा किनारे के कुछ गांवों या घाटों को पर्यटन स्थल के रूप में चि-ांकन।

– बंद शासकीय खदानों को तालाब का रूप देकर पानी संग्रहित किया जाएगा।

– मत्स्याखेट पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव।

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