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अब प्रशासन की नजर सीबीएसई स्कूलों पर
खुद की बनवाई कॉपियां भी खरीदने के लिए करते हैं मजबूर
सीबीएसई स्कूल संचालकों को अब शायद परिजनों को किताब-कॉपियां व ड्रेस खरीदने पर मजबूर करना भारी पड़ सकता है। शिकायतें सामने आने के बाद कलेक्टर शशांक मिश्र ने सख्त रूख अपनाते हुए शनिवार को जिले के सभी निजी स्कूल संचालकों को बैठक के लिए तलब किया है।
सर्व विदित है कि जिले में 33 सीबीएसई स्कूल हैं। इनमें से 20 शहर में हैं। नियमानुसार स्कूल कमर्शियल एक्टिविटी में नहीं आता, लेकिन अधिकांश स्कूल संचालकों ने इसे व्यवसायिक केंद्र बना दिए हंै।
यही वजह है कि कई स्कूलों में हर वर्ष कोर्स व ड्रेस तो बदली ही जाती है। कॉपियों की डिजाइन भी बनाकर तय संस्थानों से खरीदने पर मजबूर किया जाता है। ऐसी ही शिकायतों को देखते हुए कलेक्टर मिश्र ने शनिवार शाम चार बजे स्कूल संचालकों से मीटिंग तय की है। बैठक में कलेक्टर समझाइश के साथ चेतावनी भी देंगे।
यह है नियम
बताया जाता है कि सीबीएसई की गाइड लाइन के अनुसार एनसीईआरटी की बुक से पढ़ाना अनिवार्य है। तीन वर्ष तक कोर्स परिवर्तन नहीं किया जा सकता। बावजूद स्कूल संचालक पब्लिशर्स से सांठगांठ कर मनमर्जी की न सिर्फ किताब बल्कि कॉपियां भी खरीदने के लिए परिजनों को मजबूर करते हैं।
बुक के साथ ड्रेस भी
शहर में सीबीएसई स्कूलों द्वारा तय कोर्स चुनिंदा दुकानों पर ही मिलता है। ऐसी ही सूचना के बाद शुक्रवार को एसडीएम मुनीष सिकरवार व डीईओ संजय गोयल की टीम ने फ्रीगंज स्थित एमपी पब्लिशर्स व श्रीगंगा पर दबिश दी। तलाशी में यहां से बुकों के बंडल मिले, जिन में स्कूलों की ड्रेस व शार्ट फार्म में नाम लिखे मिले।
इनका कहना
पाठ्यक्रम वाजिब वजह और पैरेंटस से चर्चा के बाद परिवर्तन किया जाना चाहिए। जबरन कोर्स बदलने व कॉपियां, ड्रेस खरीदने पर मजबूर करने की शिकायत मिलने पर जिम्मेदार स्कूल संचालकों पर कार्यवाही की जाएगी।
– संजय गोयल, डीईओ