9 साल से पसरे अतिक्रमण पर चला प्रशासन का डंडा: मकोड़ियाआम नाके से लेकर खाक चौक तक 45 से अधिक अवैध अतिक्रमण हटाए, 5 घंटे तक चली कार्रवाई!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन की पुण्यभूमि, वह भूमि जहाँ हर 12 वर्ष में सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है, जहां लाखों श्रद्धालु मोक्ष की कामना लेकर आते हैं, उस पवित्र भूमि पर बीते 9 वर्षों से फैले अतिक्रमण को रविवार को प्रशासन ने सख्ती से हटाया। नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने मिलकर मकोड़ियाआम नाके से लेकर खाक चौक तक क्षेत्र में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। धर्म और आस्था की इस भूमि पर टीनशेड से बनी 45 से अधिक दुकानों, ट्रस स्ट्रक्चर, गोडाउन, कार वाशिंग सेंटर और कार गैरेज जैसी अवैध संरचनाओं को ध्वस्त किया गया। दोपहर 1:30 बजे शुरू हुई यह कार्रवाई शाम 5 बजे तक चली, जिसमें 2 पोकलेन, 5 जेसीबी, 5 डंपर, एक क्रेन और 2 फायर फाइटिंग मशीनों की मदद ली गई।

जब प्रशासन की टीमें धर्म क्षेत्र की रक्षा के लिए पहुँचीं, तो कई दुकानदारों ने कार्रवाई रोकने की कोशिश की। उन्होंने विनती की कि पहले सामान हटाने का समय दिया जाए, परंतु नगर निगम पहले ही एक माह पूर्व मुनादी कर चुका था और बार-बार नोटिस जारी कर चुका था। बावजूद इसके, अतिक्रमण हटाने के निर्देशों की अनदेखी की गई, जिससे अंततः जेसीबी चलानी पड़ी।

दुकानदारों ने आरोप लगाया कि उन्हें रविवार को अचानक बिना सूचना के कार्रवाई की गई, जिससे वे अपना सामान भी नहीं निकाल सके और कई का नुकसान भी हो गया। लेकिन प्रशासन का तर्क स्पष्ट था: धर्मभूमि पर अवैध कब्जा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। बता दें, कार्रवाई के दौरान एडीएम प्रथम कौशिक, निगम आयुक्त आशीष पाठक, अपर आयुक्त संदीप शिवा, एडिशनल एसपी नीतेश भार्गव, सीएसपी सुमित अग्रवाल सहित भारी पुलिस बल मौजूद रहा।

गौरतलब है कि 2016 के सिंहस्थ महाकुंभ के बाद से इस क्षेत्र में अनधिकृत दुकानों और निर्माणों की बाढ़ सी आ गई थी। टीनशेड से शुरू हुआ व्यवसाय धीरे-धीरे सड़कों तक फैल गया था। न केवल दुकानें, बल्कि एक मैरिज गार्डन और अन्य स्थायी निर्माण भी खड़े कर दिए गए थे। हालाँकि, क्षेत्र में बने एक मैरिज गार्डन पर फिलहाल कोर्ट का स्टे आदेश होने के चलते कार्रवाई नहीं हो सकी।

नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक ने स्पष्ट किया कि मकोड़ियाआम नाके से खाक चौक तक की शासकीय भूमि, जो कि सिंहस्थ क्षेत्र का हिस्सा है, पर लगभग 40 से अधिक अवैध अतिक्रमण थे। सभी अतिक्रमणकर्ताओं को पूर्व में नोटिस और चेतावनी दी गई थी, जिसके बावजूद जब अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो प्रशासन को सख्त कदम उठाना पड़ा।

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