श्री महाकालेश्वर मंदिर में दो आग की घटनाओं के बाद मचा प्रशासन में हड़कंप, अब कर्मचारियों को दी जा रही है आग से बचाव की विशेष ट्रेनिंग; 50 से ज़्यादा लोगों को सिखाई गई आपातकालीन हालात से निपटने की तकनीकें

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में घटी दो भयावह आग की घटनाओं ने केवल प्रशासन की चिंता बढ़ा दी, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। 5 मई को मंदिर परिसर में स्थित कंट्रोल रूम की छत पर बैटरियों में अचानक आग लग गई थी, जिससे पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई थी। इस हादसे में एक कर्मचारी का हाथ झुलस गया था। इससे पहले होली के अवसर पर मंदिर के गर्भगृह में भीषण आग की चपेट में आकर 14 लोग घायल हुए थे, जिसमें पुजारियों और कर्मचारियों के साथ एक सेवक की मौत भी हो गई थी।

इन दो झकझोर देने वाली घटनाओं से सबक लेते हुए मंदिर प्रशासन ने अब सुरक्षा प्रबंधन को पूरी तरह से सुदृढ़ करने की दिशा में कदम उठाया है। 13 मई से 16 मई तक चलने वाले चार दिवसीय विशेष ट्रेनिंग सेशन में मंदिर के 50 से अधिक कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों, पुलिस बल, होमगार्ड्स और आउटसोर्स स्टाफ को आग से बचाव, आपदा प्रबंधन, फायर फाइटिंग और मेडिकल रेस्क्यू जैसी ज़रूरी तकनीकों की जानकारी दी जा रही है।

यह प्रशिक्षण जिला कमांडेंट संतोष कुमार जाट और एसडीआरएफ होमगार्ड्स के मास्टर ट्रेनर्स द्वारा टनल छत पर दिया जा रहा है। ट्रेनिंग के दौरान मॉक ड्रिल के तहत जानबूझकर एक स्थान पर आग लगाई गई और फिर कर्मचारियों को फायर एक्सटिंग्विशर के इस्तेमाल का अभ्यास करवाया गया। उन्हें समझाया गया कि आग लगने पर पिन कैसे निकाली जाती है, किस दिशा में स्प्रे किया जाता है और किस प्रकार से आग को नियंत्रित किया जा सकता है।

इस प्रशिक्षण के दौरान मंदिर सुरक्षा के ओएसडी जयंत सिंह राठौर, डिविजनल कमांडेंट रोहिताश पाठक, प्लाटून कमांडेंट पुष्पेंद्र त्यागी और दिलीप बामनिया भी मौजूद रहे। वे लगातार पूरे सेशन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर प्रतिभागी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित और तैयार हो।

डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट संतोष कुमार जाट ने स्पष्ट किया कि महाकाल मंदिर संवेदनशील श्रेणी में आता है। यहां श्रद्धालुओं की संख्या अत्यधिक रहती है और सुरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अब से प्रत्येक कर्मचारी को स्किल्ड और रेस्क्यू ट्रेनिंग से लैस किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में लोगों को बचाने में कोई देरी हो।

इस विशेष सत्र में हवाई हमले या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों की भी कल्पना कर उनसे निपटने के उपाय बताए गए। यह पहला अवसर है जब श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में इतने व्यापक स्तर पर सुरक्षा और बचाव की ट्रेनिंग दी जा रही है।

दो गंभीर हादसों के बाद महाकाल मंदिर प्रशासन का यह कदम केवल साहसिक है, बल्कि यह भविष्य में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर एक नई दिशा भी तय करता है। उम्मीद की जा रही है कि इस प्रकार के व्यावहारिक प्रशिक्षण से कर्मचारियों में सिर्फ आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि किसी भी आपात स्थिति में उनके निर्णय और प्रतिक्रिया की गति भी पहले से बेहतर होगी।

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