विक्रमकीर्ति मंदिर

विक्रमकीर्ति मंदिर

उज्जैन के पवित्र शहर में विक्रम कीर्ति मंदिर का निर्माण युवा पीढ़ी के मन में मौर्य वंश के गौरव को स्थापित करने के लिए किया गया था। विक्रम कीर्ति मंदिर में एक सिंधिया ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, एक पुरातात्विक संग्रहालय, एक आर्ट गैलरी और एक सभागार है। इस जगह को विक्रम युग की दूसरी सहस्राब्दी के अवसर पर एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय में नर्मदा घाटी में पाई गई मूर्तियों…

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शनि मंदिर

शनि मंदिर

नगर से थोड़ी दूर सांवेर रोड पर प्राचीन शनि मंदिर भी यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने करवाया था। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां शनि देव के साथ-साथ अन्य नवग्रह भी विराजमान हैं इसलिए इसे नवग्रह मंदिर भी कहा जाता है। यहां दूर-दूर से शनि भक्त तथा शनि प्रकोप से प्रभावित लोग दर्शन करने आते हैं और शनि देव…

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चामुण्डा माता का मंदिर

चामुण्डा माता का मंदिर

श्री छत्रेश्वरी चामुण्डा माता का मंदिर शहर के मध्य चामुण्डा माता चौराहे पर स्थित है । यहाँ देवी छत्रेश्वरी तथा चामुण्डा दो रूप में विराजित है। इस मंदिर में माता पूर्व दिशा की ओर मुख करके विराजित है । इस मंदिर का जीर्णोद्धार १९७१ में हुआ था । शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी पर दोपहर १२ बजे माता की शासकीय पूजा होती है । चैत्र नवरात्रि तथा अंग्रेजी नववर्ष की पहली तारीख पर मंदिर में माताजी…

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गयाकोठा मंदिर

गयाकोठा मंदिर

पौराणिक एवं धार्मिक नगरी उज्जैन में विभिन्न धर्मस्थल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं। इन धर्म स्थलों में से एक हैं गयाकोठा जैसा कि नाम से स्पष्ट है। गया कोठा में अपने पितरों की मुक्ति की कामना लेकर लोग प्रार्थना करते हैं। यहां भगवान श्री विष्णु के सहस्त्र चरण विद्यमान हैं। जिन पर दुग्धाभिषेक कर यहां आने वाले अपने पितरों की मुक्ति और मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं। हालांकि श्राद्धपक्ष के प्रारंभ में और सर्वपितरी अमावस्या…

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बिजासन माता का मंदिर

बिजासन माता का मंदिर

विंद्यवासिनी को बिजासन माता कहा जाता है । यह विंध्य पर्वत के आसपास के क्षेत्रो में या आर्यावत अथवा मध्य देश में विशेष पूजी जाती है। उज्जैन में इस प्रमुख देवी का मंदिर होना स्वाभाविक है । उज्जैन के देवास मार्ग पर नागझिरी के दक्षिण में और पुराने शहर के सिंहपुरी में बिजासन देवी का प्राचीन मंदिर है । इसी प्रकार गढ़कालिका के पास ओखलेश्वेर मार्ग पर भी बिजासन माता का प्राचीन स्थान है। यह…

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चौंसठ योगिनी का मंदिर

चौंसठ योगिनी का मंदिर

पुराने शहर के नयापुरा क्षेत्र में देवी के रूप में चौंसठ योगिनियों का अनूठा है। इसे तंत्र साधना और पूजा के लिए भी प्रमुख स्थान माना जाता है। मंदिर का नाम सुनकर भक्तों में मन में यह सवाल जरूर आता है कि यहां देवी रूप में चौंसठ प्रतिमाएं विराजित होगी। लेकिन ऐसा कहते हैं कि यहां कई प्रतिमाएं हैं पर अलग-अलग संख्या में चौंसठ प्रतिमाएं विराजित नहीं है। यह भी मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य…

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खोखा माता का मंदिर

खोखा माता का मंदिर

पटनी बाजार के पास मोदी की गली में खोखा माता का अति प्राचीन मंदिर है । ८४ महादेवो में से एक इंद्र धूमनेश्वेर महादेव मंदिर के अग्रभाग में खोखा माता की मूर्ति विराजित है । चतुर्भुज स्वरुप वाली मूर्ति में माताजी अपने हाथों में खप्पर, डमरू ,तलवार तथा मुंड लिए हुए है । साथ ही माताजी का मुख खुला हुआ है । मान्यता है कि माताजी के मुख में रखा प्रसाद खाने से पुरानी से…

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नागचंद्रेश्वर मंदिर

नागचंद्रेश्वर मंदिर

हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का,जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्तिथ है। इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के…

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नौ नारायणों के मंदिर

नौ नारायणों के मंदिर

पुरुषोत्तम मास में जहाँ दान धर्म आदि करने का उल्लेख पुराणों में किया गया है वहीं विभिन्न यात्राएँ भी इसी माह में होती है। नौ नारायण यात्रा प्रमुख है। नौ नारायणों के दर्शन करने से नौ ग्रहों की शांति हो जाती है। इनकी पंचोपचार पूजा करना चाहिए। पूजा या यात्रा के साथ दान का भी महत्व शास्त्रों में बताया गया है। नौ नारायण भगवान विष्णु के दशावतारों के विभिन्न स्वरूप हैं। ये नौ स्वरूप उज्जैन…

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श्री विक्रांत महाभैरव मंदिर

श्री विक्रांत महाभैरव मंदिर

उज्जैन नगर से पांच किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन बस्ती भैरवगढ़ या भैरूगढ़ में श्री कालभैरव मंदिर के सामने कुछ कदम चलने पर शिप्रा नदी के तट पर स्थित है प्राचीन श्री विक्रांत महाभैरव मंदिर। जनश्रुति है कि यह मंदिर तीन-चार सहस्राब्दियों पूर्व एक विशाल भैरव मंदिर था। इसकी प्राचीनता स्वत: सिद्ध है। प्राचीन मन्दिर के भग्रावशेष, कंगूरेदार शिखर, टूटे हुए स्तम्भ व पाषाण पर नक्काशीदार खंडित मूत्तियाँ शिप्रा से प्राप्त हुई हैं जो इसके…

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