70/84 श्री दुर्घरेश्वर महादेव

70/84 श्री दुर्घरेश्वर महादेव

70/84 श्री दुर्घरेश्वर महादेव नेपाल में एक राजा दुधर्ष था। उसकी तीन रानियां थी। एक समय मृग्या करते हुए वह एक तालाब पर पहुंचा। वहां उसे एक सुंदर कन्या दिखाई दी। वे दोनों एक-दूसरे पर मोहित हो गये। उसने कन्या से उसका परिचय पूछा। कन्या ने कहा वह कल्प मुनि की कन्या है। आप मुनि के पास जाकर मेरा हाथ मांगो। राजा ने वैसा ही किया। कल्प मुनि ने कन्या का राजा से विवाह करा…

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71/84 श्री प्रयागेश्वर महादेव

71/84 श्री प्रयागेश्वर महादेव

71/84 श्री प्रयागेश्वर महादेव काफी समय पहले एक राजा थे शांतनु। धर्मात्मा ओर वेदों को जानने वाले राजा एक दिन सेना के साथ शिकार करने लिए वन में गए। वहा एक स्त्री को देखा। राजा ने उससे परिचय पूछा तो स्त्री ने कहा कि राजन आप मेरा परिचय न पूछें, आप जो चाहते है उसके लिए वह तैयार है। इसके लिए उसने एक शर्त रखी की वह रानी बनने के बाद जो भी करें राजा…

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72/84 श्री चन्द्रादित्येश्वर महादेव

72/84 श्री चन्द्रादित्येश्वर महादेव

72/84 श्री चन्द्रादित्येश्वर महादेव सालों पहले एक दैत्य था शंबरासुर। उसने युद्ध में देवताओं को जीत लिया ओर स्वर्ग पर राज्य शुरू कर दिया। युद्ध में हारे देवता छिप गए, वही चंद्र ओर सूर्य भी भय के कारण भागने लगे। चंद्र के पुत्र अरूण चंद्र को राहु से युद्ध के दौरान पिता को दूसरे स्थान पर ले गया। सूर्य और चंद्र वहां से भगवान विष्णु के पास गए और स्तुति कर रक्षा की प्रार्थना की,…

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73/84 श्री करभेश्वर महादेव

73/84 श्री करभेश्वर महादेव

73/84 श्री करभेश्वर महादेव बहुत वर्ष पूर्व अयोध्या में एक राजा थे वीरकेतु। एक बार वे वन में शिकार करने के लिए गए। वहां उन्होने कई जंगली जानवरों का शिकार किया। फिर उन्हे कोई पशु नजर नहीं आया। अचानक उन्हे एक करभ (ऊट) नजर आया ओर उन्होन उसे तीर मार दिया। वह उंट तीर लगने के बाद वहां से भागा। राजा वीरकेतु उसके पीछे भाग। कुछ देर बाद ही वह उंट गायब हो गया। राजा…

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74/84 श्री राजस्थलेश्वर महादेव

74/84 श्री राजस्थलेश्वर महादेव

74/84 श्री राजस्थलेश्वर महादेव काफी वर्ष पूर्व पृथ्वी पर कोई राजा नही बचा था। ब्रम्हा को चिंता हुई राजा नही हुआ तो प्रजा पालन कौन करेगा। राजा नहीं होगा तो यज्ञ, हवन, धर्म की रक्षा कौन करेगा। इस दौरान उन्होने राजा रिपंजय को तपस्या करते देखा ओर उससे कहा कि राजा अब तपस्या त्याग कर प्रजा का पालन करों। सभी देवता तुम्हारे वश में रहेगे ओर पृथ्वी पर राज करोगे। राजा ने ब्रम्हा की आज्ञा…

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75/84 श्री बडलेश्वर महादेव

75/84 श्री बडलेश्वर महादेव

75/84 श्री बडलेश्वर महादेव कुबेर के एक मित्र थे, जिनका नाम था मणिभद्र। उनका एक पुत्र था बडल, जो अत्यंत रूपवान ओर बलिष्ठ था। एक बार वह कुबेर के बगीचे में नलिनी नामक सुंदरी के पास गया। वहां पहुँचने पर बडल को वहां की रक्षा करने वाले रक्षकों ने रोका तो बडल ने आपने बल से सभी को मारकर भगा दिया। सभी कुबेर पास पहुंचे जहां मणिभद्र भी बैठा था। उन्होने बडल की पूरी बात…

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76/84 श्री अरुणेश्वर महादेव

76/84 श्री अरुणेश्वर महादेव

76/84 श्री अरुणेश्वर महादेव प्रजापिता ब्रम्हा की दो कन्या थी एक का नाम था कद्रु ओर दूसरी विनता। दोनो का विवाह कश्यप मुनि से किया गया। कश्यप मुनि भी दो पत्नी पाकर प्रसन्न थे। एक दिन दोनो ने कश्यप मुनि से वरदान प्राप्त किया। कद्रु ने सौ नाग पुत्रों की माता होने ओर विनता ने दो पुत्र जो नाग पुत्रों से भी अधिक बलवान हो, ऐसा वर प्राप्त किया। एक समय दोनो कन्याएं गर्भवती हुई।…

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77/84 श्री पुष्पदन्तेश्वर महादेव

77/84 श्री पुष्पदन्तेश्वर महादेव

77/84 श्री पुष्पदन्तेश्वर महादेव काफी समय पहले एक ब्राम्हण था तिमि। उसके कोई पुत्र नहीं था। उसने कई प्रकार से भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की । शिव के प्रसन्न न होने पर उसने और भी अधिक कठोर तप प्रांरभ कर दिया, इस प्राकर बारह वर्ष बीत गए। एक दिन माता पार्वती ने भगवान शंकर को कहा कि यह तिमि नामक ब्राम्हण कई वर्षो से आपकी आराधना कर रहा है। उसके तेज…

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78/84 श्री अविमुक्तेश्वर महादेव

78/84 श्री अविमुक्तेश्वर महादेव

78/84 श्री अविमुक्तेश्वर महादेव शाकल नाम के नगर मे राजा थे, चित्रसेन। उनकी रानी का नाम था चन्द्रप्रभा। राजा ओर रानी दोनो रूपवान थे। उनकी एक पुत्री हुई वह भी अत्यंत सुंदर थी, इस कारण राजा ने उसका नाम रखा लावण्यावती। लावण्यावती को पूर्व जन्म की बातें याद थी। लावण्यावती युवा हुई तो राजा ने उसे बुलाया ओर कहा कि बताओं बेटी में तुम्हारा विवाह किससे करूॅ। राजा की बात सुनकर लावण्यावती कभी रोती तो…

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79/84 श्री हनुमत्केश्वर महादेव

79/84 श्री हनुमत्केश्वर महादेव

79/84 श्री हनुमत्केश्वर महादेव भगवान राम ने धरती से रावण ओर अन्य राक्षसों का वध कर दिया ओर वे अयोध्या में राज्य करने लगे। तब कुछ ऋषि ओर मुनि उनके दर्शन के लिए उनके राज्य में उपस्थित हुए। मुनियों ने भगवान राम के सामने प्रस्तुत होकर उनकी आराधना की ओर उनका गुणगान किया। मुनियों ने कहा कि आपने रावण के कुल का नाश किया, इसमें आपका हुनमान ने सहयोग किया। वानरों ने उस युद्ध को…

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