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कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में CM डॉ. यादव का आह्वान — जवाबदेह शासन और जनता के भरोसे से बनेगा ‘विकसित मध्यप्रदेश’, सिंहस्थ-2028 को बनाया जाए विश्व स्तर का अवसर!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश के समग्र और समावेशी विकास के लिए सभी लोक सेवकों को प्राण-प्रण से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन का लक्ष्य सिर्फ योजनाएं चलाना नहीं, बल्कि जनता के जीवन में वास्तविक बदलाव लाना है। मुख्यमंत्री मंगलवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित दो दिवसीय कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
जनता का विश्वास ही सबसे बड़ी पूंजी
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि “जनता में यह विश्वास पैदा करना कि सरकार उनके साथ है — यही सुशासन का सबसे बड़ा उद्देश्य है।” उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने जो भरोसा दिया है, उसे हर हाल में बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपनी लगन, प्रतिभा और समर्पण से योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाएं।
मिशन मोड में काम करें अफसर
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की विकास यात्रा तभी तेज़ होगी जब हर अधिकारी अपने जिले में मिशन मोड में काम करेगा। उन्होंने कहा कि शासन व्यवस्था को और अधिक सरल, पारदर्शी और जनता-केंद्रित बनाने के लिए नवाचार जरूरी है।
उन्होंने यह भी कहा कि “अधिकारी अपने काम और नवाचार से अपनी पहचान बनाएं। स्थानीय जनता, मीडिया और जनप्रतिनिधियों से आत्मीय संवाद बनाए रखें।”
गुड गवर्नेंस से ग्रेट रिजल्ट की दिशा में
डॉ. यादव ने अधिकारियों को प्रेरित करते हुए कहा कि “गुड गवर्नेंस से ही हम ग्रेट रिजल्ट प्राप्त कर सकते हैं।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परफॉर्म, रिफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म मंत्र को याद करते हुए कहा कि हमें “विकसित और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश” के निर्माण के लिए पूरी ईमानदारी से काम करना होगा।
किसानों और कृषि पर विशेष फोकस
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। “हमारा लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करना है और इसके लिए सिंचाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।” उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश आज दाल, मसाले और टमाटर उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है, जबकि गेहूं और मक्का उत्पादन में दूसरे स्थान पर। डॉ. यादव ने कहा कि अब प्रदेश को ‘दूध की राजधानी’ बनाने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं और आने वाले समय में दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश का योगदान 20% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
शिक्षा, नवाचार और जिम्मेदारी पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर बच्चे तक गुणवत्ता पूर्ण और रोजगारमुखी शिक्षा पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने अफसरों से कहा कि वे स्कूल, हॉस्टल, आंगनबाड़ी, अस्पताल और राशन दुकानों का औचक निरीक्षण करें ताकि योजनाओं का लाभ जमीन तक पहुंचे।
सोशल मीडिया और संवाद पर भी दी सलाह
डॉ. यादव ने कहा कि आज सोशल मीडिया जनता तक पहुंचने का सबसे प्रभावी माध्यम है। “शासन के कामों को सोशल मीडिया के जरिए जनता तक पहुंचाया जाए और किसी भी गलत खबर का तुरंत खंडन किया जाए।” उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जनता से सीधा संवाद बनाना जरूरी है — जनसुनवाई को और प्रभावी बनाया जाए।
सिंहस्थ-2028: विश्व के सामने मध्यप्रदेश की पहचान
उज्जैन के लिए विशेष रूप से बोलते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि “सिंहस्थ-2028 हमारे लिए सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को दुनिया के सामने रखने का अवसर है।”
उन्होंने निर्देश दिए कि सभी जिलाधिकारी अपने-अपने जिलों में धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के सौंदर्यीकरण पर ध्यान दें ताकि आने वाले श्रद्धालु प्रदेश की भव्यता का अनुभव कर सकें।
उन्होंने कहा कि सिंहस्थ से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी, स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ेंगे और यह आयोजन प्रदेश के गौरव को नए शिखर पर ले जाएगा।
प्रशासन में संवेदनशीलता और टीमवर्क जरूरी
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कॉन्फ्रेंस में कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में ‘विकसित मध्यप्रदेश @2047’ पर तेजी से कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि विज़न डॉक्यूमेंट जल्द लॉन्च होने वाला है, जो “समृद्ध, सुखद और सांस्कृतिक मध्यप्रदेश” की दिशा तय करेगा।
उन्होंने कहा कि बेहतर परिणाम तभी संभव हैं जब जिले के सभी अधिकारी एक टीम की तरह काम करें और जनता के साथ संवाद बनाए रखें।
मुख्यमंत्री ने उज्जैन का उल्लेख करते हुए कहा कि “महाकाल लोक बनने के बाद 7 करोड़ से अधिक श्रद्धालु उज्जैन आए — इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।” उन्होंने कहा कि आने वाले सिंहस्थ के माध्यम से यह संख्या और भी बढ़ेगी, इसलिए उज्जैन को मॉडल सिटी के रूप में विकसित किया जाए।
अंत में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी अधिकारियों से कहा — “हम सब संकल्प लें कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश को सुशासन, विकास और जनता की संतुष्टि के मामले में देश का अग्रणी राज्य बनाएंगे।”