बुधवार रात 11 बजे से प्रारंभ हुई चार प्रहर की महापूजा, भगवान महाकाल ने धारण किया भव्य पुष्प सेहरा: महाकाल को अर्पित हुए 108 किलो सप्तधान्य और सवा लाख बिल्वपत्र, साल में एक बार दोपहर 12 बजे होगी भस्म आरती

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन का पावन महाकालेश्वर मंदिर, जहां स्वयं काल भी महाकाल के चरणों में नतमस्तक होता है। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है, जहां शिवत्व की अनुभूति होती है, जहां हर कण में महादेव की महिमा गूंजती है। महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर जब भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित होती है, तो पूरा उज्जैन शिवमय हो जाता है और ऐसे में महाशिवरात्रि यह रात और भी खास हो जाती है क्योंकि यह केवल जागरण की नहीं, बल्कि आत्मा के परमात्मा से मिलने की रात होती है।
इसी क्रम में आपको बता दें, महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर बुधवार रात 11 बजे से प्रारंभ हुई चार प्रहर की महापूजा के पश्चात भगवान महाकाल ने अपने भक्तों को सवा मन पुष्पों से बना भव्य सेहरा धारण कर दर्शन दिए। यह अलौकिक दर्शन केवल एक बार, वर्ष में सिर्फ महाशिवरात्रि पर ही होते हैं।
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महाकाल की इस पावन पूजा में 101 लीटर दूध, दही, शक्कर, शहद, घी, गंगाजल, गुलाब जल, गन्ने का रस और केसर मिश्रित जल से अभिषेक किया गया। भांग और बिल्वपत्रों के अर्पण से वातावरण दिव्यता से ओतप्रोत हो गया। सप्तधान्य—चावल, मूंग, तिल, मसूर, जौ, गेहूं, और उड़द से भगवान के मुखारविंद का श्रृंगार कर उन्हें 108 किलो अनाज अर्पित किया गया। सप्तधान अर्पण के बाद भगवान को सेहरा चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद भगवान महाकाल को सवा लाख बिल्वपत्र अर्पित कर उनका भव्य श्रृंगार किया गया। इसके पश्चात उन्हें स्वर्ण और रजत आभूषणों से सजाया गया, चंद्रमौली स्वरूप का दर्शन हुआ और त्रिपुंड का विशेष अनुष्ठान संपन्न हुआ। वहीं, सुबह 11 बजे बाबा महाकाल का सेहरा उतारा गया। इसके बाद भगवान के आभूषण, मुखारविंद और वस्त्रों को भी बाहर निकाला गया।
गुरुवार को दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक भस्म आरती का आयोजन होगा। इसके आधे घंटे बाद, 2:30 से 3 बजे तक भोग आरती होगी। बता दें, सेहरा दर्शन के बाद दोपहर 12 बजे होने वाली भस्म आरती साल में एक बार होती है महाशिवरात्रि के मौके पर। भस्म आरती के उपरांत दोपहर 2:30 बजे भोग आरती संपन्न होगी, जिसमें भगवान को विशेष रूप से तैयार नैवेद्य अर्पित किया जाएगा। इसके पश्चात श्री महाकालेश्वर अन्नक्षेत्र में ब्राह्मणों का भोजन और दक्षिणा प्रदान की जाएगी। पूरे दिन के पूजन, आरती और अनुष्ठान के पश्चात शनिवार को संध्या आरती और शयन आरती के बाद भगवान के पट रात 11 बजे बंद कर दिए जाएंगे।