रक्षाबंधन पर सबसे पहले भगवान को बांधी जाएगी राखी, महाकाल को लगेगा शुद्ध घी और भक्ति से बने सवा लाख लड्डू का महाभोग; भट्टी पूजन से शुरू हुई प्रसाद की तैयारी!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि परंपराओं और भक्ति का जीवंत प्रतीक भी है। इसी परंपरा की अगली कड़ी में इस वर्ष रक्षाबंधन के पावन अवसर पर भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का महाभोग अर्पित किया जाएगा। यह आयोजन हर साल की तरह इस बार भी विशेष श्रद्धा और विधि-विधान से संपन्न होगा, जिसकी शुरुआत मंगलवार को भट्टी पूजन से हो चुकी है।

मंदिर परिसर में अब शुद्ध देसी घी, बेसन, शक्कर और प्रीमियम ड्रायफ्रूट्स से लड्डू तैयार किए जा रहे हैं। यह कोई सामान्य प्रसाद नहीं, बल्कि भक्ति से परिपूर्ण वह भोग है जो रक्षाबंधन के दिन बाबा महाकाल को अर्पित किया जाएगा। इन लड्डुओं को तैयार करने में श्रद्धालुओं, सेवादारों और मंदिर कर्मचारियों की सामूहिक भागीदारी देखी जा रही है।

रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले भगवान महाकाल को ही राखी बांधी जाती है। उज्जैन में मान्यता है कि किसी भी पर्व की शुरुआत महाकालेश्वर मंदिर से होती है। सुबह की भस्म आरती के दौरान परंपरागत विधि से भगवान को राखी अर्पित की जाती है, और फिर नंदी हॉल से लेकर गर्भगृह तक को रंग-बिरंगे पुष्पों से सजाया जाता है।

इस विशेष पर्व पर पुजारी परिवार की महिलाएं स्वयं भगवान के लिए विशेष राखियाँ बनाती हैं, जो न केवल धार्मिक भावना से जुड़ी होती हैं, बल्कि भगवान और भक्त के उस पवित्र संबंध की प्रतीक भी होती हैं, जिसमें हर बाधा से रक्षा की प्रार्थना छिपी होती है।

जब सवा लाख लड्डुओं का यह महाभोग भगवान को अर्पित किया जाएगा, तब मंदिर का वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाएगा। मान्यता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। भोग के बाद यह लड्डू हज़ारों श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं।

महाकाल की यह राखी परंपरा केवल श्री महाकालेश्वर मंदिर तक सीमित नहीं है, बल्कि उज्जैन के अनेक मंदिरों में भी इसी भाव से भगवान को राखी बांधी जाती है।

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