केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में 2500 से अधिक बंदियों पर सिर्फ 1 डॉक्टर

केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में 2500 से अधिक बंदियों पर सिर्फ 1 डॉक्टर, वह भी इंदौर से आता हैइमरजेंसी में फार्मासिस्ट संभालता है मरीज को रात में जेल गार्डों को ले जाना पड़ता है अस्पताल

उज्जैन।केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ किसी छोटे गांव से कम नहीं जिसकी आबादी 2500 से अधिक है। खास बात यह कि जेल में महिला, पुरुष, बच्चे बूढ़े सभी शामिल हैं जिनके सामान्य उपचार के लिए मात्र एक डॉक्टर पदस्थ है वह भी इंदौर से अपडाउन करते हैं। इमरजेंसी के समय यहां की व्यवस्था फार्मासिस्ट और मेल नर्स संभालते हैं।

शासन द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ और मजबूत बनाने के लिये करोड़ों रुपये प्रतिमाह खर्च किये जा रहे हैं, जबकि केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में बंद सजायाफता और हवालाती बंदियों को उपचार की सुविधा नहीं मिल रही।

ऐसा नहीं कि शासन ने बंदियों के उपचार के लिये कोई योजना नहीं बनाई, बल्कि योजना के अनुसार स्टाफ नहीं होने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है। केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ में डॉक्टरों के दो पद स्वीकृत है जिनमें से एक भी पद भरा नहीं है। जिला अस्पताल से 1 डॉक्टर वह भी मेडिसीन पाबंद किया गया है। डॉक्टर साहब इंदौर में रहते हैं, अपडाउन करते हैं। इस कारण मरीजों को 24 घंटे उपलब्ध नहीं हो पाते।

जेल अस्पताल की यह है स्थिति

डॉक्टर के दो पद स्वीकृत हैं। जिस पर 1 डॉक्टर जिला अस्पताल से पाबंद है। दोनों पद रिक्त हैं। मेल नर्स के 2 पद हैं। दोनों भरे हैं, लेकिन एक मेल नर्स लोकायुक्त प्रकरण में निलंबित है और वर्तमान में एक ही काम कर रहा है। 1 फार्मासिस्ट है, एक रेडियोग्राफर और एक लैब टेक्निशियल हैं जो जिला अस्पताल से पाबंद हैं।

कितने बंदी हैं जेल में

जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की स्थिति में जेल में कुल 1903 पुरुष बंदी हैं जो सजायाफ्ता हैं। 674 हवालाती पुरुष बंदी हैं। 134 महिला बंदी हैं जिनमें से 100 सजायाफ्ता और 34 हवालाती है इनके 3 बच्चे भी हैं। महिला पुरुष सभी बंदियों का कुल योग 2500 से अधिक है। हवालाती बंदियों की संख्या कम ज्यादा होती रहती है।

सीधी बात जेल अधीक्षक उषाराज के साथ…

जेल में अस्पताल स्टॉफ की कमी है कैसे मैनेज करते हैं ?

जेल में अस्पताल स्टॉफ की कमी अवश्य है लेकिन फार्मासिस्ट, मेल नर्स की मदद से मरीजों को उपचार दिया जाता है।

इमरजेंसी में क्या करते हैं ?

इमरजेंसी पर गंभीर मरीज को तुरंत जिला अस्पताल भिजवाया जाता है।

रात में बंदी को अस्पताल कैसे भेजते हैं?

नियमानुसार रात के समय बंदी को जिला अस्पताल भेजने के लिए पुलिस गार्ड की आवश्यकता होती है, लेकिन अनेक बार पुलिस गार्ड उपलब्ध नहीं हो पाते ऐसी स्थिति में बंदी मरीज की जीवन रक्षा के लिये जेल गार्डों को मरीज के साथ भेजा जाता है।

जेल प्रशासन ने अस्पताल स्टॉफ की कमी पर क्या कदम उठाये ?

जेल प्रशासन द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों व मुख्यालय को पत्र लिखकर इससे अवगत कराया गया है।

 

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