गणेश विसर्जन में लुप्त होती झांकियों की परंपरा:बड़े उद्योगों के बंद होने से कम हुआ रूझान, कुछ विभागों के भरोसे निकल रही

उज्जैन। शहर में एक समय था जब अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाले गणेश विसर्जन चल समारोह को देखने के लिए जिले के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग यहां पहुंचते थे। पूरी रात गणेश प्रतिमा और झांकियों का कारवां निकलता था। सुबह लोग घर पहुंचते थे। इस स्वर्णिम समय के चार दशक बाद तो अब कुछ शासकीय विभागों के भरोसे ही कुछ झांकी निकल रही है।

शहर में करीब चार दशक पहले निकलने वाले गणेश विसर्जन चल समारोह और आज के दौर में निकलने वाले समारोह में जमीन-आसमान का फर्क है। पहले कपड़ा मिलें अन्य बड़े उद्योगों के चलते शहर के त्यौहारों मेंं उत्साह नजर आता था। समय के साथ पहले मिलें बंद हुई फिर उद्योगों को भी ग्रहण लग गया। इसके बाद भी कुछ सरकारी विभाग झांकियां बनाकर परंपरा को कायम रखे हुए थे, लेकिन आर्थिक कमजोरी के चलते बजट नही होने से इन विभागों ने भी हाथ पीछे खींच लिए। ऐसे में अब गणेश विसर्जन चल समारोह का उत्साह कम होता जा रहा है। वैसे भी इस बार नगर निगम और पीएचई के अलावा दो नवयुवक मंडल की झांकी चल समारोह में शामिल होगी।

नगर निगम की झांकी में कोरोना की व्यथा

नगर निगम द्वारा एक झांकी तैयार की जा रही है। इस झांकी में कोरोना संक्रमण के शुरू होने से खत्म होने तक नगर निगम के माध्यम से की गई सेवाओं के दृश्य दिखाए जाएंगे। झांकी द्वारा कोरोना के दौरान किए गए कार्यो को दर्शाया है।

पीएचई की झांकी मेंं वर्षा जल सवर्धन का संदेश

नगर निगम के अधीन दूसरे विभाग पीएचई द्वारा भी इस वर्ष एक झांकी तैयार की गई है। इसमें वर्षा जल सहेजने का संदेश देते हुए जल के महत्व को बताया है।

चिंतामन गणेश की झांकी मंदिर परिसर में ही निकलेगी

इस वर्ष चिंतामन गणेश मंदिर से निकलने वाली भगवान श्री चिंतामन गणेश की प्रतिमूर्ति वाली झांकी भी नगर में नही निकलेगी। चिंतामन गणेश मंदिर के प्रबंधक अभिषेक शर्मा ने बताया कि पुजारी परिवार द्वारा किसी कारण से झांकी शहर में नही आएगी। मंदिर परिसर में ही भ्रमण कराया जाएगा।

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