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अपराधियों की पहचान हुई आसान:घटनास्थल पर मिले फिंगर प्रिंट किस अपराधी के हैं यह महज दो मिनट में पता कर बता देगा नाफिस
किसी भी घटनास्थल पर अगर अपराधी के फिंगर प्रिंट मिलते हैं तो उसके बारे में अब महज दो मिनट में पुलिस पता कर लेगी कि फिंगर प्रिंट किसके हैं। भले ही वह देश के किसी भी शहर अथवा राज्य का रहने वाला हो। बस मौके से मिलने वाले फिंगर प्रिंट का डेटा पहले से नेशनल ऑटोमेटेड फिंगर प्रिंट आईडेंटीफिकेशन सिस्टम (नाफिस) में होना चाहिए। केंद्र सरकार ने नाफिस से देशभर के थानों को नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो से जोड़ दिया है।
उज्जैन पुलिस ने फिंगर प्रिंट जांच की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण सौगात बताया है। पहले होता ये था कि अगर कहीं भी चोरी, लूट, डकैती समेत अन्य घटनाओं में अगर किसी के फिंगर प्रिंट मिलते तो ये तकनीक नहीं थी कि दो मिनट में ये पता चल जाए कि उक्त फिंगर प्रिंट किस अपराधी के हैं। पुलिस ऐसे में जिन पर भी शंका होती, उन्हें थाने लेकर आती व उनके फिंगर प्रिंट लेकर मैन्युअल मैच करती थी, जिसमें काफी समय लग जाता था।
इस लंबी प्रक्रिया में समय ज्यादा लगने से अपराधी का पता करना व उसे पकड़ पाना मुश्किल होता था। फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट का मानना है कि किसी भी अपराध में अगर पुलिस ने आरोपी का फिंगर प्रिंट लिया है व साफ्टवेयर में अपलोड कर रखा है तो ये मानकर चलिए कि वह दोबारा अपराध करता है और फिंगर मौके पर मिलते हैं तो नाफिस की बदौलत अधिकतम दाे मिनट में ही डिटेल सामने आ जाएगी।
एक हत्या, एक मर्ग और 15 चोरियां भी ट्रेस कर पाए
माकड़ौन में बैतूल निवासी अपराधी की हत्या कर लाश फेंक गए थे। पुलिस ने मृतक के फिंगर प्रिंट नाफिस में डाले तो संबंधित युवक का आपराधिक रिकाॅर्ड होने पर उसकी पहचान हुई। माधवनगर की दो, चिमनगंज की तीन, नागझिरी, नानाखेड़ा व इंदौरियों का एक-एक चोरी फिंगर प्रिंट की मदद से ट्रेस हो पाई। ताला-चाबी सुधारने के बहाने नानाखेड़ा में बड़ी वारदात करने वाले भी पिछले दिनों फिंगर प्रिंट की बदौलत ही पकड़े गए। एडिशनल एसपी आकाश भूरिया के मुताबिक सारे क्रिमिनलों को डिटेक्ट व आइडेंटिफाई करना नाफीस की मदद से सरल हुआ है।
फिंगर प्रिंट मिलने की अधिक उम्मीद
फिंगर प्रिंट जाेनल कार्यालय में डीएसपी किरण शर्मा के साथ टीम के आशा सोलंकी, प्रणव अग्रवाल, पवन वर्मा घटनास्थल पर इस बात को लेकर जोर देते हैं कि जहां भी घटना अथवा वारदात हुई हो, उस घटनास्थल को सुरक्षित रखे। ऐसा नहीं करने से कई बार फिंगर प्रिंट ओपनर लैप्स हो जाते हैं। कोशिश करें, जांच फिंगर प्रिंट टीम आने तक किसी भी चीज को न हाथ न लगाए।
उज्जैन में 50 हजार फिंगर प्रिंट अपलोड
नाफिस सिस्टम 8 से 10 माह पहले शुरू हुआ था लेकिन विधिवत प्रक्रिया में कुछ समय पहले ही आया है। साफ्टवेयर में उज्जैन जाेनल कार्यालय के पुलिस यहां के हर तरह के अपराध में चिह्नित 50 हजार अपराधियों के फिंगर प्रिंट सॉफ्टेवयर में अपलोड कर चुकी है। किसी भी केस में पकड़े जाने वाले व्यक्ति का पुलिस फिंगर प्रिंट पहले करा रही है।