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- भस्म आरती: बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार त्रिपुण्ड, भांग, चन्दन अर्पित करके किया गया!
- भस्म आरती: राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, त्रिपुण्ड, त्रिनेत्र, चन्दन और फूलों की माला अर्पित कर किया गया दिव्य श्रृंगार
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आज महाशिवरात्रि : दुल्हा बने महाकाल, भस्म रमाई के बाद भक्तों को दर्शन
उज्जैन | रात 2 बजे भस्मारती के बाद से ही महाकाल मंदिर में दर्शन का सिलसिला जारी है। कई राजनेताओं सहित 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन कर महाकाल का आशीर्वाद लिया। आज पूरी रात गर्भगृह खुला रहेगा और सुगंधित द्रव्यों से स्नान के साथ बाबा महाकाल को फूलों का सेहरा बांध दुल्हा बनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि पर्व पर रात २ बजे बाबा महाकाल की भस्मारती दर्शन के साथ ही मंदिर में दर्शनों का सिलसिला जारी हो गया जो अनवरत जारी है। मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार समाचर लिखे जाने तक 50 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन कर लिए थे।
मंदिर पर कल रात १०.३० बजे शयन आरती तक निरंतर दर्शनार्थियों के लिए खुला रहेगा। आज महाशिवरात्रि पर निरंकार रूप में दर्शन देने वाले बाबा महाकाल आज रात सुगंधित द्रव्यों से स्नान करने के बाद सवा क्विंटल फूलों का सेहरा धारण करेंगे। शिव विवाह की इस रात के दिव्य दर्शन को भक्त आतुर है। सुबह ९ बजे तक बाबा सेहरा स्वरूप में दर्शन देंगे। कल दोपहर १२ बजे भस्मारती होगी। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए रात से ही उल्लास बना हुआ था तथा निर्बाध रूप से दर्शन जारी थे। यह अलग बात है कि हरसिद्धि चौराहे से दर्शन के लिए कतार में लगने वाले श्रद्धालुओं को पूरी रात इंतजार करना पड़ा। भस्मारती रात २ बजे आरंभ हुई। भस्मारती प्रवेशधारियों के बाद तड़के ४ बजे से सामान्य दर्शनार्थियों को मंदिर में प्रवेश दिया गया।
करीब डेढ़ किलोमीटर का कतार मार्ग तय कर श्रद्धालुओं को दर्शन करना पड़े। सुबह ८ बजे तक मंदिर में कतार की स्थिति बनी हुई थी। बाद र्में श्रद्धालुओं का प्रवाह कुछ कम हुआ। प्रशासनिक सख्ती के चलते पैदल श्रद्धालुओं को भी मंदिर पहुंचने में डेढ़ से दो किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ा। सर्वाधिक परेशानी वृद्धों व बच्चों को लेकर बनी। एक बार कतार के लिए बैरिकेड्स में प्रवेश के बाद मंदिर तक पेयजल और शौचालय सुविधा को लेकर श्रद्धालु तरस गए।
इधर मंदिर प्रशासन ने दावा किया कि सुबह एक से डेढ़ घंटे में श्रद्धालुओं को सामान्य कतार से दर्शन कराए जा रहे हैं, जबकि श्रद्धालुओं को कहना है कि बैरिकेड्स मार्ग इतने संकरे थे कि इसमें सामान्य रूप से चलना मुश्किल हो रहा था। रह-रहकर कुछ श्रद्धालु आगे जाने के लिए कतार को लांग रहे थे। इस कारण बैरिकेड्स के भीतर भी श्रद्धालुओं को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था। यहां तक कि कुचलन की स्थिति बन गई थी और कतार में श्रद्धालुओं की सुनने वाला कोई नहीं था।