आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ कहना नहीं करना भी है !

अमेरिका ने यह जता दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ केवल कहेगा नहीं करेगा भी सही।   उसने  अफगानिस्तान के उस इलाके पर गैर परमाणु हमला किया है जो isis के प्रमुख आतंकी ठिकाने थे। इस हमले में सबसे बड़े बम को गिराकर विश्व समुदाय के समक्ष अमेरिका ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं।अब उनसे उन्हीं की भाषा में बात होगी।दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है ,भारत और अमेरिका दोस्ती के इसी छोर पर एक साथ खड़ें हैं। 6 महीने पहले भारत ने भी पाक सीमा में घूस कर आतंकी ठिकाने पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप व भारत के प्रधानन्मन्त्री नरेंद्र मोदी  के तेवर आतंकवाद के खिलाफ एक जेसे हैं, चूँकि ये दोंनो ही देश आतंकियों के निशाने पर रहते हैं लिहाजा
इनकी यह एक जेसी तल्खी आतंक के खिलाफ पूरे विश्व समुदाय को एक साथ खड़ा कर सकती है

बीते 6 माहों में दुनिया में आतंक के खिलाफ जो माहौल बना है,ऐसा पहले नहीं बना। भारत ने इस मामले में पहले मुलाकात फिर बात और जरूरत पड़े तो लात यह लीक अपनाई ।यही हमारी परंपरा व संस्कृति है,जबकि अमेरिका ने न कोई मुलाकात न बात सीधे लात वाली लीक अपनाई जो उसकी संस्कृति है।

निःसन्देह अब आतंकियों को उन्ही की भाषा में समझाना होगा राष्ट्रपति ट्रंप ने अपना पद ग्रहण करते ही उन कट्टरपंथी देशों को सबक दे दिया जो येन केन प्रकारेण आतंक को पनाह देतें हैं। भारत के दुश्मन नं.2 हाफिज सईद को नजरबन्द कर दिया गया यह भारत हित में अमरिकी दबाव का परिणाम था। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आतंक की अति होने पर ट्रंप जैसा सख्त हो जाना चाहिये। हमें भी अब सिर्फ कहना ही नहीं करना भी होगा। जिस तरह अमेरिका ने उसके दुश्मन नं.1 ओसामा बिन लादेन को  उसी की माद में घूस कर मार गिराया भारत को भी अपने दुश्मन  नं.1 दाऊद को पाकिस्तान या दुबई जहां भी वह छुपा है वहीं घूस कर वैसा ही हाल कर देना चाहिए।

आतंकवाद को समूल नष्ट करने केई लिए यह उपयुक्त समय है दुनिया के सभी देशों को आतंक के नासूर को नेस्तनाबूत करने में अमेरिका व भारत के साथ हो जाना चाहिए।क्यूं कि  आतंकियों के खतरों से कोई भी देश अछूता नहीं है,खुद इन्हें पनाह देने वाले पाकिस्तान में भी बड़ी आतंकी घटनाएं हुई है।

अमेरिका ने isis के ठिकाने पर उस बड़े बम से हमला किया है जो दुनिया में केवल 15 ही है, इस बम की कीमत ही 2 हजार करोड़ रु है। यानि कहा जा सकता है कि आतंकवाद के खिलाफ यह सबसे बड़ी कार्रवाही है।भारत यदि इस अवसर का लाभ उठा कर आतंक के खिलाफ और उग्र हो जाय तो पाकिस्तान कश्मीर का राग अलापना छोड़ देगा।

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