कोरोना की दूसरी लहर:संक्रमित पुलिसकर्मी की मौत 4 दिन बाद सूची में नहीं

  • उज्जैन की 3 निजी लैब में कोरोना की जांच करवा रहे हैं लोग, इन पर किसी की निगरानी तक नहीं
  • संभले नहीं तो हमारा संडे भी लॉकडाउन में गुजरेगा
  • ए स्ट्रेन में 1 पॉजिटिव 7 को कर रहा संक्रमित, बिना निगरानी वाले ऐसे मरीज हमारे लिए बड़ा खतरा

कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण तेजी से फैल रहा है और मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। हर दूसरे-तीसरे दिन कोरोना की शतक… बावजूद सरकारी रिकॉर्ड में आंकड़े कम हैं। प्राइवेट लैब की जांच में पॉजिटिव पाए जा रहे मरीजों को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा रहा है। अगर इन्हें जोड़ें तो उज्जैन जिले में 80 से 100 मरीज ऐसे हैं, जिनकी प्राइवेट लैब में जांच करवाने पर रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। जिसकी रिपोर्टिंग के लिए न तो स्वास्थ्य विभाग प्रयास करता है और न प्राइवेट लैब संचालक रिपोर्ट भेजने में रुचि लेते हैं।

यदि प्राइवेट लैब और सरकारी लैब की रिपोर्ट को जोड़कर देखा जाए तो करीब 80 से 100 मरीज संक्रमित हो रहे हैं, जो शहर में संक्रमण फैला रहे हैं। इसके अलावा मौतों पर भी शक है। एक उदाहरण के तौर पर घटि्टया थाने के प्रधान आरक्षक भेरूसिंह हाड़ा की मौत को देखें। कोरोना संक्रमण से उनकी मौत हुई। फिर भी रिकॉर्ड में इस मौत का जिक्र नहीं है। प्रदेश पुलिस के डीजीपी विवेक जौहरी ने भी प्रधान आरक्षक हाड़ा के निधन पर शोक जताया है।

उन्होंने प्रधान आरक्षक के फोटो के साथ ट्वीट कर लिखा है कि भेरूलाल हाड़ा प्रधान आरक्षक थाना घट्टिया जिला उज्जैन का कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया है। इधर, मंगलवार को 1308 लोगों की रिपोर्ट आई। इनमें शहरी क्षेत्र के 38, बड़नगर तथा नागदा के दो -दो मरीज व खाचरोद तथा तराना के एक-एक मरीज सहित 44 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं एक और मरीज की मौत हुई है। इससे मरने वालों की संख्या 107 हो गई है।

संक्रमित पुलिसकर्मी की मौत

3 प्राइवेट लैब में जांच- एसआरएल, सोडानी सेंटर, सेंट्रल लैब के उज्जैन में सैंपल कलेक्शन सेंटर है। जहां से इंदौर मुख्य लैब जाते हैं। प्राइवेट लैब से प्रतिदिन स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट की जाती है। इसमें मरीज की बीमारी की स्थिति के अनुसार स्वास्थ्य विभाग इलाज के इंतजाम करता है। लक्षण और गंभीर मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती किया जाता है और बाकी को होम आइसोलेट किया जाता है। जिन्हें घर पर ही प्रॉपर ट्रीटमेंट दिया जाता है।

संक्रमण का खतरा बढ़ेगा, क्योंकि एक मरीज 7 को कर रहा संक्रमित
प्राइवेट लैब की जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं करने से संक्रमण का खतरा और बढ़ेगा क्योंकि एक मरीज 7 लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में मरीजों की संख्या और बढ़ेगी। लक्षण नहीं होने पर मरीज होम आइसोलेशन में रहकर इलाज करवा रहे हैं। उनके यहां बेरिकेड्स तक नहीं लगाए जाते, ऐसे में उनके संपर्क में कई लोग आ सकते हैं और उनके भी संक्रमित होने का अंदेशा बना रहेगा।

3 किस्से जो कोरोना की गुमनामी का सबूत दे रहे

1 उड़ीसा से लौटे पिता-पुत्र की तबीयत खराब हुई थी। उन्होंने प्राइवेट लैब में जांच करवाई थी जिसमें वे संक्रमित पाए गए थे। उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में नहीं जोड़ा गया।

2 बेटा-बहू से 10 दिन पहले मुंबई से लौटे दंपती में संक्रमण पाया गया था। प्राइवेट लैब में ही जांच करवाई थी। इनके यहां पर बेरिकेड्स या स्लिप आदि भी नहीं लगाई गई थी।

3 प्रधान आरक्षक हाड़ा की रिपोर्ट 19 मार्च को पॉजिटिव आई थी। उन्हें सीएचएल मेडिकल सेंटर में भर्ती किया गया था, जहां 20 मार्च को मौत हो गई। लेकिन लिस्ट में कहीं जिक्र नहीं है।

लक्षण पूरे, रिपोर्ट निगेटिव- कोरोना के लक्षण वाले 7 मरीजों की 15 दिनों में माधवनगर हॉस्पिटल में मौत हो चुकी है। इनमें ऑक्सीजन लेवल कम था। हालांकि बताया जा रहा है रिपोर्ट निगेटिव थी।

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