घूसखोर हो गए शातिर, फंसने से बचने का निकाल लिया तरीका

संभागभर में अब रिश्वत लेते कम पकड़ा रहे अधिकारी-कर्मचारी, क्योंकि सीधे रुपए लेने की बजाय बाहरी व्यक्ति से लेते हैं रिश्वत

 

मामला एक

मंदसौर गई लोकायुक्त की टीम की ट्रेप की कार्रवाई फेल हो गई। क्योंकि जिस सरकारी अधिकारी ने रिश्वत मांगी थी उसने सीधे रुपए नहीं लेकर किसी और व्यक्ति को देने की बात कही। मौके पर वह रुपए लेने वाला व्यक्ति नहीं पहुंचा। लिहाजा कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी। हालांकि लोकायुक्त ने धारा ७ के तहत प्रकरण दर्ज किया।

 

मामला दो

लोकायुक्त के चंगुल में सबसे ज्यादा पटवारी पकड़ में आए हैं। लेकिन पिछले सालों में रिश्वत लेने में पटवारी कम ही पकड़ में आए। दरअसल कई जगह पटवारियों ने बाहरी कर्मचारी रख लिए हंै। जो सीधे ही लोगों से बात करके काम ले लेते हैं और अपना कमीशन लेकर रिश्वत की राशि पहुंचा देते हैं।

 

उज्जैन

रिश्वतखोरी के बदले पेटर्न के यह दो उदाहरण हैं, जो बताते हैं कि अब सरकारी कर्मचारी व अधिकारी सीधे रिश्वत न लेकर किसी ओर माध्यम से रुपए ले रहे हैं। यही वजह है कि 2019 में पूरे संभाग में रिश्वत व पद के दुरुपयोग के महज 26 प्रकरण ही दर्ज हो सके हैं। दरअसल पिछले सालों में बड़ी संख्या कर्मचारी-अधिकारियों को रंगेहाथों रिश्वत लेते पकड़ा गया था। ऐसे में लोकायुक्त से बचने के लिए अधिकारी-कर्मचारी ने बाहरी व्यक्ति को नियुक्त कर दिया है। ऐसे में यह सीधे रुपए नहीं लेते हैं और न ही बात करते हैं। लिहाजा इनके रिश्वत लेने के सबूत भी सामने नहीं आते और बच जाते हैं। हालांकि लोकायुक्त पुलिस इन बाहरी व्यक्तियों पर भी कार्रवाई कर रही है जो अधिकारी के नाम का उपयोग कर रुपए लेते हैं। वहीं पद के दुरुपयोग के मामले भी अब कम हो गए हैं। इसके पीछे भी सरकार द्वारा किए गए नया अमिटमेंट है, जिसमें अब शासन की मंजूरी के बाद ही कार्रवाई हो पाती है।

 

अब ऐसे मांग रहे हैं रिश्वत

बाहरी व्यक्ति को काम के लिए रख लिया है। यही व्यक्ति से संपर्क कर काम करवाते हैं और रुपए लेते हैं।

अधिकारी-कर्मचारी अब इशारों में बात करते हैं, ताकि उनकी बात को कोई रेकॉर्ड नहीं कर सके।

कुछ जगह दुकानों के माध्यम से रुपए लिए जाते हैं। फलां व्यक्ति को वहां सामान लेने के बहाने भेजते हैं और रुपए रखवा लेते हैं।

-व्यक्ति से सीधे लेन-देन की बात नहीं कर उनको संबंधित व्यक्ति से मिलने की बात कहते हैं। बाद में वहीं व्यक्ति पूरी डिलिंग करता हैं।

 

पांच वर्ष में 222 भ्रष्टाचारी पकड़ में आए

लोकायुक्त द्वारा पिछले पांच वर्ष में २२२ भ्रष्टाचारियों के ऊपर प्रकरण दर्ज किए हैं। इसमें सर्वाधिक उज्जैन मंदसौर जिल में 59- 59 कर्मचारी-अधिकारी हैं। वहीं शाजापुर में 10, देवास में 42, रतलाम में 19, नीमच में 14, मंदसौर में 59 तथा आगर में 19 प्रकरण दर्ज हुए हैं।

 

सजा दिलाने पर जोर…110 भ्रष्टाचारियों को सजा

लोकायुक्त पुलिस भ्रष्टाचारियों को पकडऩे के अलावा अब सजा दिलाने पर भी ज्यादा काम कर रही है। पांच वर्षों के भीतर 110 भ्रष्टाचारियों को भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट से सजा दिलवाई गई है। इसमें उज्जैन में 33, शाजापुर में 18, देवास व रतलाम में 20-20, नीमच में 3 तथा मंदसौर में 16 लोगों को अब तक सजा मिल चुकी है। लोकायुक्त पुलिस का कहना है कि कुछ मामलों में शासन की ओर से धीमे मंजूरी के कारण भ्रष्ट्राचारियों के खिलाफ देरी से चालान प्रस्तुत होते हंै। इससे न्यायालयीन कार्रवाई में लंबा वक्त लग जाता है।

 

100 से ज्यादा भ्रष्टाचारी पकड़े

उज्जैन लोकायुक्त में पिछले वर्षों में पद के दुरुपयोग, रिश्वत व आय से अधिक संपत्ति के 500 से अधिक मामले दर्ज कर चुकी है। इनमें 100 से अधिक प्रकरणों में निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने कार्रवाई की है। इसमें रिश्वत के ही 65 से 70 के करीब प्रकरण हैं। करीब सात वर्ष से उज्जैन में पदस्थ श्रीवास्तव अकेले ऐसे निरीक्षक हैं, जिन्होंने प्रदेश में सर्वाधिक ट्रेप की कार्रवाई की है। उनके मुताबिक रिश्वत के प्रकरणों में अब कमी के पीछे आउटसोर्स कर्मचारियों के रखा जाना है। जिसके चलते अब शिकायत कम आती है बावजूद इसके धारा 7 के तहत बाहरी व्यक्ति के रुपए लेने पर कार्रवाई करते हैं। उनके अनुसार रिश्वत या भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में लोगों को आगे आकर शिकायत दर्ज करवाना चाहिए।

 

 

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