चार युवा, एक सोच, रतलामी स्वाद की होम डिलीवरी

रतलाम। बेटा बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी में है और माता-पिता को उनकी सालगिरह पर रतलामी स्वाद का सरप्राइज गिफ्ट देना चाहता है। पर कैसे? महानगरों में तो हर चीज की होम डिलीवरी की सुविधा है लेकिन रतलाम जैसे शहर में यह मुश्किल है। ऐसे में चार युवाओं को एक तरकीब सूझी और ऑन डिमांड खाने की डिलीवरी शुरू की। महज एक साल में इस सुविधा की सफलता का आलम यह है कि स्थानीय लोगों के अलावा रतलाम के हाईवे से गुजरने वाले लोग अब हाईवे पर ही डिलीवरी ले रहे हैं।

नमकीन सहित लजीज खाने की रतलाम की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए रतलामी फूड होम डिलीवरी सर्विस के नाम से दीपेंद्र टांक, केशव पुरोहित, शुभम कुमावत और शशांक राव ने अक्टूबर 2015 में वेबसाइट रतलामी डॉट कॉम शुरू की। ये लोग इस पर ऑनलाइन ऑर्डर लेते हैं। नामी दुकानों से खाना, नमकीन, पोहे, समोसे, मिठाई लोगों के घर पहुंचाते हैं। मकसद कम कीमत में घर पहुंच सेवा देना है। दीपेंद्र ने बताया शहर के साथ बाहर से भी रिस्पांस मिल रहा है। ऑनलाइन, ऑन कॉल, वॉट्सएप बुकिंग कर शुद्धता के साथ और समय पर डिलीवरी से लोग जुड़ते जा रहे हैं।

चुनौती – स्वादिष्ट खाने का चयन और उसकी समय पर डिलीवरी

टर्निंग पाइंट – एक आइडिया पर चार दोस्तों का साथ काम करने का फैसला

पढ़े: एक इनकार ने विदेश तक पहुंचाया कारोबार

स्टार्टअप : दूध के धंधे ने बदली किस्मत, छूटी शराब, लौटी खुशी

मुरैना। उमरियापुरा 75 घरों की बस्ती है। 2013 तक यह गांव शराबखोरी के लिए कुख्यात था। महिलाएं शराब के नशे में रहने वाले पति की मारपीट झेलने को मजबूर थीं। आर्थिक स्थिति खराब रहती थी। आखिर गांव की महिलाओं और किशोरियों के सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने तय किया कि अब गांव में शराब नहीं रहेगी। महिलाओं ने अपनी पूरी टीम तैयार की। अवैध शराब की बिक्री बंद करवाने खुद थाने पहुंचकर अपने पति और पिता की शिकायतें कीं।

इस साहस के आगे अवैध शराब की बिक्री बंद हो गई। 3 साल की मशक्कत के बाद यह गांव आखिर शराब की लत से उबर गया। इन महिलाओं ने गांव में दूध के कारोबार की नीव रखीं। दूध की गंगा इस कदर बही कि नशे के कारण बिके मकान और जमीनें महिलाओं ने वापस खरीद लीं। हर घर संपन्नता की सीढ़ियां चढ़ने लगा। गांव हर रोज 500 लीटर दूध का उत्पादन करता है। यह बात अभिनेत्री शबाना आजमी को मालूम हुईं तो उन्होंने ‘सखी’ संगठन की आशा सिकरवार के सहयोग से राष्ट्रपति तक बात पहुंचाई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गांव की महिलाओं की पीठ थपथपाई।

चुनौती – शराब माफिया के खिलाफ लड़ाई और नया व्यवसाय जमाना

टर्निंग पाइंट – राष्ट्रपति की ओर से महिलाओं को मिली सराहना

पढ़ें : स्टार्टअप की दस ऐसी कहानियां जो बदल देंगी आपकी सोच

 

जीराफूल चावल की ब्रांडिंग, देशभर में फैलाई खुशबू

अंबिकापुर। सरगुजा जिले के बतौल में स्थित है बांसाझाल गांव। यहां महिलाओं ने जीराफूल चावल की पैकेजिंग कर बाजार में बेचने का कारोबार शुरू किया। देखते ही देखते यह मिसाल बन गया। सफलता कुछ ऐसी मिली कि इस गांव की महिलाएं आसपास के दूसरे गांवों की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गईं। अब करीब 500 गांव की महिलाओं को चावल की ब्रांडिंग से जोड़े जाने की तैयारी है।

महिलाओं की लगन को देखते हुए प्रशासन ने इसे स्टार्टअप इंडिया से जोड़कर 500 महिलाओं के समूह की फार्म्स प्रोडक्शन कंपनी बनाने की पहल की है। जीराफूल चावल की ख्याति देखते हुए इसकी वैज्ञानिक तरीके से खेती इंदिरा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की सहायता से शुरू कराई गई तो इसका उत्पादन भी बढ़कर 16 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ हो गया।

जीराफूल चावल की विशेषता है कि बाजार में इसका दाम 45 से 50 रुपए प्रति किलो से कम कभी नहीं होता। इस वर्ष 1000 एकड़ में जीराफूल की खेती कर अगले वर्ष के लिए बीज के रूप में भी तैयार किया गया है। उत्पादन के साथ आय बढ़ना भी तय है।

चुनौती – वैज्ञानिक तरीके से चावल की पैकेजिंग करना

टर्निंग पाइंट – कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से जीराफूल का उत्पादन बढ़ना

 

‘बिजनेस कीड़ा’ दिखा रहा उत्साही युवाओं को रास्ता

भोपाल। ‘बिजनेस कीड़ा’ नाम कुछ अजीब सा है लेकिन ये भी एक नमूना है आज की युवा पीढ़ी की अलग सोच का। ‘बिजनेस कीड़ा’ कुछ छात्रों द्वारा शुरू किया गया स्टार्टअप है जिसके जरिए वे युवाओं को बिजनेस करने का तरीका सीखा रहे हैं। यह एक स्टार्टअप इंक्यूबेशन सेंटर है, जो नए-नए आइडियाज देता है।

इसे अविनाश सेठ, अर्शी खान और रोथर जेलेस ने मिलकर शुरू किया। नवंबर 2016 में शुरू हुए इस नेटवर्किंग स्टार्टअप के जरिए अब तक 140 स्टार्टअप जुड़े हैं। अविनाश सेठ को दो साल पहले इसका आइडिया आया था। भोपाल में ज्यादा जानकारी नहीं मिलने पर अविनाश ने दो दोस्तों के साथ इस बारे में बात की और सफर शुरू हो गया। अविनाश बताते हैं हमारा काम कम्यूनिटी बनाना है।

जो लोग स्टार्टअप से जुड़ना चाहते हैं हम उन्हें रजिस्टर करते हैं। फिर उनकी रुचि के बारे में जानने का प्रयास करते हैं। एक या दो मीटिंग के बाद प्लानिंग और लोन जैसी अन्य प्रक्रियाओं के बारे में भी जानकारी दी जाती है। स्टार्टअप बायर कस्टमर्स को प्रोटेक्शन और कई सुविधाएं दे रहे हैं। बेंगलुरू, इंदौर के बाद अब भोपाल को भी स्टार्टअप हब के रूप में जाना जा रहा है।

चुनौती – लोगों को स्टार्टअप के नए आइडिया से जोड़ना

टर्निंग पाइंट – प्लानिंग के बाद फाइनेंस के सही स्रोत का पता ग्राहक को बताना

Leave a Comment