दीपावली से पहले दो दिन रहेगा खरीदी का महामुहूर्त पुष्य नक्षत्र

दीपावली की खरीदारी शुभ मुहूर्त से शुरू की जाती है। इसमें भी पुष्य नक्षत्र विशेष माना गया है। इस बार दीपावली से पहले चार व पांच नवंबर को दो दिन खरीदी के महामुहूर्त पुष्य नक्षत्रका संयोग बन रहा है।

चार नवंबर को होगी पुष्य नक्षत्र की शुरुआत

चार नवंबर शनिवार को सुबह आठ बजे से पुष्य नक्षत्र की शुरुआत होगी, जो अगले दिन रविवार को सुबह 11 बजे तक विद्यमान रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार दोनों ही दिन नए कार्य की शुरुआत, भूमि, भवन, वाहन, सोने चांदी के आभूषण, बहीखाते आदि की खरीदी के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया भारतीय ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र का विशेष महत्व है। 27 नक्षत्र में पुष्य नक्षत्रों का राजा माना जाता है। इस नक्षत्र में की गई खरीदी स्थायी समृद्धि प्रदान करती है। पुष्य नक्षत्र में सोने का खरीदना विशेष शुभ माना जाता है।
स्थायी संपत्ति खरीदी जाए तो स्थायी सुख का कारक

यह ऐसा नक्षत्र है अगर इसमें भूमि, भवन के रूप में स्थायी संपत्ति खरीदी जाए तो स्थायी सुख का कारक होती है। नया व्यवसाय शुरू करने से उतरोत्तर प्रगति होती है। इस दिन बही खाते, धार्मिक पुस्तकें, साेने,चांदी, तांबे, स्फटिक आदि से निर्मित मूर्तियां, यंत्र, सिक्के आदि खरीदना भी शुभ माना जाता है। नए वाहन, इलेक्ट्रानिक उत्पाद आदि खरीदना भी शुभता प्रदान करता है।
रविवार को सुबह 11 बजे तक रहेगा मुहूर्त
खरीदारी का शुभ मुहूर्त पुष्य नक्षत्र शनिवार को सुबह 8 बजे से शुरू होकर अगले दिन रविवार को सुबह 11 बजे तक रहेगा क्योंकि उदय काल से अस्त काल तक की मान्यता भारतीय परंपरा में और व्यवहार में दिखाई देती है। इस दृष्टिकोण से शनिवार और रविवार दोनों ही दिन पुष्य नक्षत्र की साक्षी रहेगी।
सर्वार्थ सिद्धि योग भी
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योगों का बड़ा महत्व है यदि कोई पर्व काल या विशेष माह या विशेष त्यौहार के पूर्व नक्षत्र के साथ दिनों का शुभ संयोग बनता है तब विशेष प्रकार का योग निर्मित होता है। रविवार के दिन भी पुष्य नक्षत्र का प्रभाव होने से यह सर्वार्थ सिद्धि योग कहलाएगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में सभी कार्य सिद्ध होते हैं। खरीदारी से लेकर पॉलिसी, बैंकिंग आदि के लिए इसको शुभ माना जाता है।
शनि व देवगुरु बृहस्पति का मिलता है आशीर्वाद
पुष्य नक्षत्र को श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है, इसका मुख्य कारण यह है कि इस नक्षत्र का अधिपति शनि और उप स्वामी बृहस्पति है। दोनों ग्रहदेव प्रगति व लाभ के लिए अनुकूल माने जाते हैं। नए व्यापार की शुरुआत, नई दुकान या नए प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए भी यह समय उपयुक्त माना जाता है। निवेश के मान से भी इस समय को सकारात्मक बताया गया है। सोच समझकर निवेश तथा कार्य की प्रगति के संबंध में सोच विचार कर आगे बढ़ने से लाभ भी मिलेगा।

Leave a Comment