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नई तकनीक से पानी की सफाई:रुद्रसागर में नैनो बबल एरिएटर लगाएंगे, ताकि मछलियां-कछुए जिंदा रहें और पानी भी साफ रहे
रुद्रसागर के पानी को हमेशा साफ रखने और जलीय जीव-जंतुओं के रहने लायक बनाने के लिए इसमें नैनो एरिएशन सिस्टम लगाया जाएगा। दीपावली के बाद काम शुरू होगा। यह सिस्टम लग जाने से पानी से बदबू भी नहीं आएगी।
महाकाल लोक का सबसे बड़ा हिस्सा रुद्रसागर है। महाकाल लोक इसी के किनारे बसाया है। इसके बड़े भाग का गहरीकरण, सफाई और किनारे पर घाट आदि का निर्माण किया गया है। घाट पर बैठने की व्यवस्था की गई है। इसमें शिप्रा नदी से पानी डालने के लिए फिल्टर प्लांट और पाइप लाइन डाली गई है।
महाकाल लोक में आने वाले श्रद्धालुओं को लाइट एंड साउंड शो, लेजर शो आदि का बंदोबस्त भी किया जा रहा है। कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार करीब 14 हेक्टेयर में फैला बड़ा रुद्रसागर हमेशा साफ-स्वच्छ रहे इसके लिए अनेक बंदोबस्त किए जा रहे हैं।
इसी कड़ी में नैनो एरिएशन सिस्टम भी लगाया जा रहा है। पीएचई के प्रभारी कार्यपालन यंत्री राजीव शुक्ला व एई दीपक टोकारिया इस पर काम कर रहे हैं। शुक्ला के अनुसार देश में चुनिंदा कंपनियां हैं, जो यह काम करती है। दीपावली के बाद इस पर काम शुरू हो जाएगा।
ऐसे काम करता है नैनो एरिएशन
एरिएशन सिस्टम के तहत पानी के भीतर बबल बनाने वाले उपकरण लगाए जाएंगे। इन उपकरणों से पानी में लगातार बुलबुले बनेंगे। इनके कारण वातावरण की ऑक्सीजन पानी में घुलती रहेगी।
इससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा का तय लेवल बना रहेगा।
जलीय जीवों के लिए जीवनदायी
रुद्रसागर को आकर्षक बनाने के लिए इसमें मछलियां, कछुए, बदख आदि भी छोड़े जाएंगे। इन जलीय जीवों के लिए पानी में मापदंड अनुसार ऑक्सीजन का लेवल जरूरी है। इसके लिए नैनो एरिएशन सिस्टम लगाया जाएगा। तय एजेंसी रुद्रसागर का सर्वे कर यहां लगने वाले उपकरणों का स्थान और संख्या तय करेगी।
यह सिस्टम दो तरह का होता है, एक जो अस्थायी (फ्लोटिंग) होता है। इसे बारिश या बाढ़ की स्थिति में निकालकर सुरक्षित रखा जा सकता है। दूसरा परमानेंट होता है, जो स्थायी रूप से लगा रहता है। सर्वे के बाद किस टाइप का सिस्टम लगेगा, यह तय होगा।
पानी में काई और गंदगी नहीं फैलेगी
पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा मापदंड (5.20 पीपीएम) के अनुसार बनी रहने से मछलियों, कछुओं आदि सुरक्षित रहेंगे। मछलियां और अन्य जीव पानी में रहने से वे पानी को साफ रखेंगे। काई नहीं
होगी। लगातार पानी में ऑक्सीजन घुलने से पानी साफ होता रहेगा।
छोटे रुद्रसागर के लेक फ्रंट को फायदा
छोटे रुद्रसागर के किनारे लेक फ्रंट कॉरिडोर बनाया जाना है। श्रद्धालु इसके चारों तरफ घूम सकेंगे तथा किनारे पर बैठकर पानी का आनंद ले सकेंगे। इसलिए छोटे रुद्रसागर का पानी भी साफ होना आवश्यक है। नैनो एरिएशन सिस्टम से पानी साफ रहेगा, इसमें बदबू आने की समस्या नहीं रहेगी। रुद्रसागर का कुल एरिया 17 हेक्टेयर है। दोनों रुद्रसागर में साफ पानी और सौंदर्यीकरण होने से महाकाल आने वाले यात्रियों को इनके किनारे घूमने और अन्य सुविधाओं का फायदा मिलेगा।
पक्षियों को भी मिलेगा आश्रय
रुद्रसागर में ऐसे पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं, जो पानी को साफ करते हैं तथा पक्षियों को भी आश्रय देते हैं। पक्षियों के लिए गुलर, पीपल, जामून, जामफल, आम आदि लगाए जा रहे हैं। बड़े रुद्रसागर के बीच एक टापू भी विकसित किया गया है।
यह टापू आंख के आकार में बनाया गया है। इस पर ऐसे रंग-बिरंगे पौधे लगाए हैं, जिससे ऊपर से देखने पर यह आंख की शक्ल में दिखाई देता है। भगवान शिव के तीसरे नेत्र के रूप में इसे विकसित किया गया है। पक्षी इस टापू पर विश्राम कर सकेंगे।