महाकाल के कोतवाल भी निकले पालकी में

उज्जैन |  राजाधिराज भगवान महाकाल के सेनापति बाबा कालभैरव पूरे लाव-लश्कर के साथ क्षेत्र भ्रमण करने निकले, तो प्रजावासी जय-जयकार कर उठे। भैरव अष्टमी के पावन पर्व पर कालभैरव मंदिर में दो दिवसीय धार्मिक आयोजन संपन्न हुए। इसके साथ ही बुधवार शाम 4 बजे पालकी में विराजमान होकर ढोल, नगाड़ों और झांकियों के साथ सवारी निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में शहरवासी शामिल हुए।

 

बाबा कालभैरव का पंचामृत स्नान

सवारी आरंभ होने के पहले बाबा कालभैरव का पंचामृत स्नान कराया और अभिषेक पूजन व आरती हुई। मंदिर प्रांगण में आस्था का सैलाब उमड़ रहा था, तो बाहर बैंड पर भक्तिगीतों की धुन बज रही थी और कड़ाबीन के तेज धमाके बाबा की पालकी आने का संकेत दे रहे थे। बाबा को राजसी पगड़ी सिंधिया परिवार की ओर से पहनाई गई। कालभैरव की पालकी के अलावा अन्य झांकियां भी सवारी के साथ शामिल हुईं।

 

हाथी-घोड़े और रथ के साथ निकले बाबा

परंपरानुसार भैरव अष्टमी के उपलक्ष्य में शाम 4 बजे भैरवगढ़ क्षेत्र में भव्यता के साथ बाबा की पालकी निकाली गई। सवारी का पूजन कलेक्टर शशांक मिश्र द्वारा किया गया। सवारी में हाथी, घोड़े, रथ, बैंड एवं अखाड़े शामिल हुए। पालकी यात्रा कालभैरव मंदिर से आरंभ होकर केन्द्रीय जेल के मुख्य द्वार पहुंची, जहां जेल अधीक्षक द्वारा समस्त कैदियों की ओर से पूजन संपन्न किया गया। प्रमुख मार्गों से होती हुई सवारी सिद्धवट पहुंची, जहां क्षिप्रा के जल से पूजन-आरती बाद पुन: मंदिर पहुंची।

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