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महाकाल मंदिर के बाहर तिलक लगाने वालों की भरमार
उज्जैन | महाकालेश्वर मंदिर के बाहर सड़क पर माला और अन्य प्रकार की दुकानें लग रही हैं तो थाली में कंकू, चंदन लिये बच्चे और वृद्धों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। खास बात यह कि दो दर्जन से अधिक तिलक लगाने वालों में बच्चों और वृद्धों की संख्या सबसे अधिक है। मंदिर प्रशासन अथवा पुलिस द्वारा ऐसे लोगों का रिकार्ड तक नहीं रखा जाता।
जयसिंहपुरा में रहने वाला 10 वर्षीय बालक थाली में चंदन, कंकू लेकर महाकाल मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को रोककर जबरन तिलक लगा रहा था। पूछने पर उसने बताया कि पिता मिस्त्री का काम करते हैं, वह स्वयं सरकारी स्कूल में 5वीं का छात्र है, लेकिन दादी के कहने पर स्कूल की छुट्टी मनाकर मंदिर के बाहर लोगों को तिलक लगाने आता है।
दिन भर में 150 से 250 रुपये तक कमाई हो जाती है। इसी प्रकार गधा पुलिया में रहने वाला 11 वर्षीय बालक भी मंदिर के बाहर लोगों को तिलक लगा रहा था। उसका कहना था कि माता-पिता को मालूम है कि मंदिर के बाहर तिलक लगाने का काम करता हूं। स्कूल में पढऩे भी जाता हूं लेकिन एक दो दिन में छुट्टी मनाकर मंदिर के बाहर तिलक लगाने का काम भी कर लेता हूं।
बच्चों के अलावा 60 से 70 वर्ष के वृद्ध भी मंदिर के बाहर यही काम करते नजर आते हैं। उनका कहना है कि घर में बेकार बैठे तो बच्चे परेशान करते हैं, उनकी बातें सुनने से अच्छा है मंदिर के बाहर लोगों को तिलक लगाकर दो पैसे कमा लें। कुछ वृद्धों का घर में देखभाल करने वालाकोईनहीं ऐसे में उन्होंने तिलक लगाने को ही गुजर बसर का साधन बना लिया है।रुपए देकर काम कराते हैं लोग
सूत्र बताते हैं यहां हर कोई अपनी मर्जी से तिलक लगाने का काम नहीं कर सकता। एक व्यक्ति बच्चों और बूढ़ों को चंदन, कंकू थाली में रखकर देता है और उसके निर्देशन में ही मंदिर के प्रवेश और निर्गम द्वारों पर खड़ा किया जाता है। तिलक लगाकर मिलने वाली राशि का एक हिस्सा वह व्यक्ति रखता है और कुछ रुपये तिलक लगाने वालों को दिये जाते हैं।
पुलिस के पास रिकॉर्ड नहीं
महाकालेश्वर मंदिर के आसपास पक्की दुकानें, होटल, लॉज संचालित करने वालों का रिकॉर्ड पुलिस द्वारा रखा जाता है लेकिन मंदिर के बाहर सड़क पर बैठकर व्यापार करने वाले अथवा श्रद्धालुओं को तिलक लगाकर रुपये मांगने वालों का रिकॉर्ड न तो मंदिर प्रशासन के पास है और न ही पुलिस के पास।