सप्त सागर के उद्धार की रिपोर्ट तैयार, हमेशा पानी के लिए गहरीकरण, पर्यटन बढ़ाने के लिए हेरिटेज लुक का सुझाव

उज्जैन|शहर के सप्त सागरों की दुर्दशा का मुद्दा उठाया तो इनके विकास की रिपोर्ट तैयार हो गई। यह रिपोर्ट मौजूदा स्थिति, सुधार के बिंदू और पर्यटन व्यावसायिक विकास की संभावनाओं को ध्यान में रखकर तैयार की है। सागरों में हमेशा पानी रहे इसके लिए गहरीकरण और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इसका हेरिटेज लुक वापस लाने के सुझाव दिए। कलेक्टर शशांक मिश्र ने यह रिपोर्ट स्मार्ट सिटी कंपनी के विशेषज्ञों से तैयार करवाई है। विशेषज्ञों की टीम सभी सागरों पर पहुंची और अवलोकन किया। इसके बाद 49 पेज की रिपोर्ट बनाई। इसमें 81 फोटोग्राफ्स भी शामिल किए। रिपोर्ट कहती है शिप्रा और सप्त सागर उज्जैन की धार्मिक और पर्यावरणीय विरासत के मुख्य अंग हैं। इनका संरक्षण नहीं हुआ तो शहर अपना महत्व और अर्थ खो सकता है। दोनों गंभीर खतरे से गुजर रहे हैं। सिंहस्थ 2016 में किए गए कॉस्मेटिक समाधान की जगह इनकी निरंतरता और पुनरुद्धार के लिए दीर्घकालीन योजना की जरूरत है।

मास्टर प्लान…सप्त सागर के आसपास 30 मीटर ग्रीन बेल्ट हाेना चाहिए

रिपोर्ट में उज्जैन मास्टर प्लान 2021 के हवाले से बताया सप्त सागरों का मूल स्वरूप भू-उपयोग के कारण कम होता जा रहा है। इनकी सीमाओं को कम होने से बचाने की जरूरत है। चारों ओर 30 मीटर ग्रीन बेल्ट रखा जाना आवश्यक है, तभी शहर की सांस्कृतिक धरोहरों का अस्तित्व बना रहेगा।

सप्त सरोवर

हमारी धरोहर

स्मार्ट सिटी कंपनी के विशेषज्ञों ने 49 पेज की रिपोर्ट दी, अब अमल होगा

रिपोर्ट में ये सुझाव : सभी सागरों में कचरा मिल रहा, इसे रोकने के लिए कचरा प्रबंधन जरूरी

1. पुरषोत्तम सागर
सोलह घाटों, मंडपों को पुनर्जीवित करना चाहिए। स्ट्रॉम वाटर ड्रेन प्रबंधन से पानी की व्यवस्था करें। नौका विहार और चौपाटी विकसित की जा सकती है। भगवान कृष्ण से संबंधित इसके महत्व दर्शाने वाले भित्ति चित्र बनाए जा सकते हैं। झील के सौंदर्यीकरण के लिए उपाय करना होंगे।

 

2. क्षीरसागर
इसके कायाकल्प की अत्यावश्यकता है। कचरे को साफ कर गहरीकरण होना चाहिए। कचरा प्रबंधन व पानी आने व उसे साफ रखने के लिए उपाय जरूरी है। प्राचीन विष्णु मंदिर का जीर्णोद्धार, लकड़ी की कारीगरी का संरक्षण, हेरिटेज दीवार का संरक्षण करना होगा। म्यूरल्स बना कर इसके महत्व को प्रदर्शित किया जा सकता है।

 

3. गोवर्धन सागर
सीमांकन कर बाउंड्रीवाल बनाई जाना चाहिए। झील के सामने के गलियारे का विकास व सड़क के किनारे बगीचा बन सकता है। इसे क्षेत्र के बाजार से साथ जोड़ कर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू की जा सकती हैं। उद्यान, लैंडस्कैप, बैठक व्यवस्था की जाना चाहिए। मनोरंजन पार्क विकसित करना चाहिए।

 

4. पुष्कर सागर
सागर का गहरीकरण हो तथा बारिश का पानी आने के इंतजाम करें। इसकी प्राचीनता को पुनर्जीवित करना होगा। धार्मिक महत्व के कारण पूजा स्थल का संरक्षण जरूरी है। फ्लोटिंग फव्वारे चालू हों, प्रकाश व्यवस्था की जाए तथा इसके हेरिटेज लुक को बहाल करना जरूरी है।

 

5. विष्णु सागर
जल शोधन, कचरा प्रबंधन, प्रकाश और सफाई व्यवस्था करना होगी। छात्रों के लिए एक थीम्ड आयुर्वेदिक उद्यान के रूप में इसका विकास किया जा सकता है। सुलभ मार्गों का निर्माण, मंदिर संरक्षण, मराठा कालीन पेंटिंग्स का संरक्षण, मंदिर में कुंड का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए। इसके आसपास काफी हरियाली है।

6. र|ाकर सागर
मंदिरों और घाटों का पुरातत्व संरक्षण, तटबंधों का विकास, कचरा प्रबंधन, पानी की सुरक्षा के उपाय करना होंगे। यह ग्रामीण पयर्टन का सबसे अच्छा केंद्र बन सकता है। इसके किनारे पर्यटकों के लिए ग्रामीण परिवेश के आवास, भोजन, भ्रमण और ग्रामीण जनजीवन व संस्कृति की जानकारी देने के लिए व्यवस्था की जा सकती है।

7. रुद्र सागर
इसके गहरीकरण की जरूरत है। परिसीमन करने के बाद इसकी बाउंड्रीवाल बनाना होगी। इसमें साफ पानी रहे इसका इंतजाम करना चाहिए। इसके किनारे बाजार नहीं हो। सफाई के इंतजाम के साथ घाटों का निर्माण, लेजर लाइट शो से महाकाल मंदिर के इतिहास की जानकारी दी जा सकती है।

रिपोर्ट का निष्कर्ष

1 सप्तसागरों में रहवासियों के कारण प्रदूषण हो रहा है।

2 पानी की गुणवत्ता इतनी बिगड़ गई है जिससे गंभीर गड़बड़ी हो सकती है।

3 सागरों की जैव विविधता भी प्रभावित हुई है।

4 संतुलन बनाने के लिए सागरों के कायाकल्प का प्रस्ताव जरूरी है।

5 इन पर पर्यटन सुविधा, व्यावसायिक गतिविधियां, मनोरंजक खुली जगह होना चाहिए।

6 पटवारी और राजस्व अधिकारी द्वारा भूमि के स्वामित्व का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।

7 हेरिटेज स्थलों का संरक्षण और विकास होना चाहिए।

दो बड़े फायदे

 वर्षा जल संचय- यह सागर प्राकृतिक वर्षा जल के संग्रहण और भंडारण की एक विधि है।

 भूजल बढ़ाना- इन्हें पूरी क्षमता से भरने से भूजल स्तर भी बढ़ेगा।

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