80 पेंशनर उतरे मैदान में, कुपोषण के खिलाफ छेड़ी जंग

उज्जैन. अमूमन पेंशनर्स सरकार से अपने भत्ते और सुविधाओं के लिए लड़ाई लड़ते हैं, लेकिन शहरमेंपेंशनर्स का एक समूह ऐसा भी है जो कुपोषण को हराने में जुटा हुआ है। सामाजिक सरोकार निभाते हुए इन पेंशनर्स न केवल कुपोषित बच्चों को गोद लिया बल्की आंगनवाडिय़ों में जाकर देखभाल भी कर रहे हंै। इनके प्रयासों से अल्प समय में ही 95 बच्चे कुपोषण से मुक्त होकर तदुंरुस्त हो गए हैं।

कुपोषण से लड़ाई
कुपोषण से यह लड़ाई मप्र सहकारिता विभाग पेंशनर्स अधिकारी संघ के 80 सदस्य लड़ रहे हैं। संघ ने शहर के पिपलीनाका, भेरूनाला और दुर्गा कॉलोनी की 24 आंगनवाडिय़ों के कुपोषित बच्चों को गोद लिया। इन्हें आयुर्वेदिक तेल से मालिश व औषधियुक्त खीर का सेवन कराया। 21 दिन तक होने वाले इस उपचार के लिए प्रति बच्चा 200 रुपए खर्च भी संघ की ओर से किया गया। संघ के इस प्रयास का असर भी सामने आया कुपोषण से ग्रस्त 95 बच्चों को नया जीवन मिला। पेंशनर्स के अभिनव पहल में अपने साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका को भी साथ लिया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के रजनीश सिन्हा भी पेंशनर्स की इस मुहिम कुपोषित बच्चों की जानकारी व अन्य इंतजाम कर रहे हैं।
ऐसे आया विचार
कुपोषण के खिलाफ इस लड़ाई को लेकर पेंशनर्स संघ से जुड़े लोग उत्साहित हैं। संघ अध्यक्ष राधेश्याम सोनी और सचिव राधेश्याम दुबे का कहना है कि पहले भी हम सामाजिक गतिविधियां करते थे। कुछ बड़े प्रोग्राम भी हाथ में लिए थे लेकिन अफसरों के अपेक्षित सहायोग से नहीं कर पाए। पिछले दिनों आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनएन पांडे से मुलाकात हुई। उन्होंने कुपोषण की गंभीरता और इससे जुड़े बच्चों की स्थिति बताई तो हमने इसे दूर करने का बीड़ा उठाया। कुछ दिनों के प्रयास में ही हमें बेहतर नतीजे मिले। सदस्य भी खुश है कि उन्होंने परोपकारी कार्य में हाथ बंटाया।

 

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