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मेट्रो ट्रेन…देवास हाेकर चली ताे विक्रमनगर, इंदौर से उज्जैन चली तो नानाखेड़ा पर बन सकता स्टेशन
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए दो रूट पर स्टेशन बनाए जा सकते हैं। लांग रूट यानी वाया देवास पर विक्रमनगर और शॉर्ट रूट यानी वाया सांवेर पर नानाखेड़ा में स्टेशन बनाया जा सकता है। इसकी डीपीआर बनाने में छह महीने लगेंगे। प्रोजेक्ट के लिए दस हजार करोड़ की जरूरत होगी।
इंदौर के मेट्रो कंसल्टेंट रोहित गुप्ता के मुताबिक राज्य सरकार इसके लिए प्रोजेक्ट बनाकर स्वीकृति के लिए केंद्र को भेजेगी। स्वीकृति मिलने की तारीख से चार साल में प्रोजेक्ट पूरा होने की बात कही जा रही है। इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया में उज्जैन के शामिल होने से दिल्ली, जयपुर, बेंगलुरू की तरह शहर में भी मेट्रो ट्रेन चलाने की कवायद शुरू हो गई है। हाल ही में दिल्ली से आई तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम ने इंदौर के उन क्षेत्रों का दौरा किया जहां मेट्रो ट्रेन चलाई जाएगी। टीम ने विभिन्न क्षेत्रों में दौरे के बाद उन्होंने सांवरे रोड पर जंक्शन बनानेे की बात कही है। इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो चलाने का प्रोजेक्ट बहुत बड़ा होगा। सर्वे सहित अन्य प्रक्रिया पूरी करने में कम से कम दो साल का वक्त लगेगा। भास्कर ने रेलवे और निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों से चर्चा की तो पता चला कि मेट्रो की तर्ज पर इंदौर-उज्जैन में रीजनल कनेक्टिविटी के लिए मेट्रो/मोनाेे रेल चलाई जा सकती है। इसके लिए हाई क्वालिटी सिस्टम बनाया जाएगा जो मेट्रो से भी बेहतर होगा। रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति के सदस्य महेंद्र गादिया ने बताया वर्तमान में जिन शहरों में मेट्रो चल रही हैं वहां स्टेशनों की अधिकतम दूरी एक हजार मीटर होती है। इंदौर-उज्जैन के बीच इस मानक को बदलनेे की जरूरत होगी।
प्रत्येक 10 किमी पर एक स्टेशन बनाने की योजना, शहरी क्षेत्र में अंडरग्राउंड चलेगी
इंदौर हाईवे पर इस जगह पर बनाया जा सकता है मेट्राे स्टेशन। विक्रमनगर पर वह स्थान जिसका चयन स्टेशन के लिए हो सकता।
बढ़ावा: धार्मिक पर्यटन को विकसित करने में मदद मिलेगी
उज्जैन के मेट्रोपॉलिटन एरिया में जुड़ने से नॉलेज सिटी, धार्मिक पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने की याेजनाएं अब प्रभावी ढंग से लागू हो सकेंगी। इंदौर-उज्जैन का मिलकर डेवलपमेंट प्लान बनेगा। दोनों शहर के जुड़नेे सेे मेट्रो सिटी का एरिया दो हजार वर्ग किलोमीटर हो जाएगा। बेंगलुरू (4 हजार वर्ग किलोमीटर) से आधा है। बेंगलुरू का विकास भी मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनने के बाद बहुत तेजी से हुआ।
फायदा 1500 अपडाउनर्स को
उज्जैन से देवास, इंदौर और पीथमपुर के लिए रोज 1500 अपडाउनर्स यात्रा करते हैं। एसोसिएशन के प्रवीण मेंहदेले के अनुसार मेट्रो ट्रेन चलन से इन लोगों को सबसे ज्यादा सहुलियत होगी। मेट्रो की टाइमिंग सुबह-शाम की रखी गई तो वेे ऑफिस टाइम पर पहुंच जाएंगे। इसके अलावा शाम को ऑफिस का काम पूरा करने के बाद वे जल्दी घर के लिए रवाना हो सकेंगे।
अधिग्रहण…जमीन लेने में लगेगा सबसे ज्यादा वक्त
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन चलाने के प्रोजेक्ट में सबसे ज्यादा वक्त जमीन अधिग्रहण में लगने की बात कही जा रही है। पटरियां डालनेे, पूल, स्टेशन बनाने के लिए अतिरिक्त जमीन की जरूरत होगी। जानकारों के अनुसार इसके लिए फिजिबिलिटी सर्वे किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि जमीन वर्तमान ट्रैक से ज्यादा दूर न हो। खेतों के स्थान पर रेलवे पहले अपनी उस जमीन का सर्वे करेगा जो अभी अनुपयोगी मानी जा रही है।