ऐसी आंधी आई सब ध्वस्त:बिजली, पानी और सड़क…सब बंद, पेड़, दुकानों के बोर्ड और घरों की चद्दरें उड़ीं

ऐसा तूफान, ऐसी बारिश कि खिड़की, गैलरी तक जाकर देख पाना मुश्किल…दिल रह-रह कर दहल रहा है। इसी बीच बिजली गुल।… पक्की छत वाले दिल थाम कर दुबके बैठे रहे। कच्चे मकान और छप्पर वालों का तो आशियाना ही उजड़ गया।…तूफान और बारिश थमी लेकिन शहर पूरी तरह ब्लैक आउट की आगोश में।

मोबाइल पर लोगों के मैसेज भी चल पड़े- कई घरों की छत उड़ गई।… सड़कों पर बिजली के तार और पेड़ गिरे पड़े हैं…रास्ते जाम हैं। यानी सब ध्वस्त। यह हालात तो घरों में रहने वालों के हैं… सड़कों पर अलग ही नजारे हैं। धुप्प अंधेरे में शहर का कोना-कोना लिपटा पड़ा है। यह कोठी रोड है.. 15 से अधिक पेड़ गिरे हैं।

पूरी तरह आवागमन अवरुद्ध हो गया है। दुर्गा प्लाजा व देवास रोड पर दुकानों के शेड, बोर्ड और चद्दरें उखड़ गई हैं। आईजी कार्यालय के समीप बिजली के तार टूटकर सड़क पर गिरे होने से रास्ता अवरुद्ध है। जूना सोमवारिया क्षेत्र में कई घरों की छतें उड़ गईं। इससे रहवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

बेगमबाग के रवि बता रहे हैं सीवरेज लाइन और चैंबर में लोग गिरने लगे। अंकपात रोड स्थित गोशाला ध्वस्त हो गई। टीन-बल्लियां गिरने से गाय-बछड़े दब गए। तूफानी बारिश के दौरान गोशाला के टीन गिरने की जानकारी मिलने पर क्षेत्र में मौजूद समाजसेवी सुरेंद्र चतुर्वेदी और विहिप के युवकों ने मौके पर पहुंच कर टीन-बल्लियां हटाने की कोशिश की।

इसके लिए मंगलनाथ पर पाइप लाइन का काम कर रहे टाटा कंपनी के 50 से ज्यादा मजदूरों को मौके पर लाया गया। टीन और बल्लियां हटा कर गाय-बछड़ों को खेतों की तरफ छोड़ा गया। करीब एक घंटे तक लोगों ने मशक्कत कर गाय-बछड़ों की जान बचाई। चतुर्वेदी के अनुसार गोशाला में सौ से ज्यादा मवेशी थे।

निगम ने पेड़ नहीं छांटे, नाले साफ नहीं किए, सड़कें खुदी पड़ी हैं, बिजली कंपनी ने ठीक से मेंटेनेंस नहीं किया

हम बिजली का बिल समय पर चुकाते हैं, नगर निगम के टैक्स समय पर देते हैं, पानी का शुल्क चुकाते हैं… फिर बिजली कंपनी, नगर निगम अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाता? शुक्रवार को तूफानी बारिश ने दोनों विभागों के सारे दावों को उघाड़ कर रख दिया। बारिश के साथ गई बिजली रात 2 बजे तक भी नहीं लौटी। घरों में अंधेरा, सड़कों पर अंधेरा।

बिजली कंपनी के अफसरों ने एक मैसेज मोबाइल पर दौड़ा दिया, सुधार जल्दी नहीं हो पाएगा। अमला मैदान में डट गया है…। सवाल यह है कि अमला तो रोज ही शहर में कहीं न कहीं घंटों बिजली बंद रख कर मेंटेनेंस करता रहता है? वह क्या है? हालांकि देर रात 1.30 बजे से कुछ क्षेत्रों में बिजली सप्लाई चालू हो गई थी। यही हालात नगर निगम के हैं। निगम अमला हमेशा मैदान में डटा बताया जाता है। पर हालात यह है कि न तो नालों की सफाई होती है और न सड़कों की मरम्मत। सड़क किनारे कई पेड़ धराशायी होने की स्थिति में है।

कॉलोनियों में नालों की सफाई के नाम पर केवल ऊपरी कचरा निकाल कर अपनी जिम्मेदारी पूरी की जाती है और बारिश के पहले चंद बड़े नालों पर जेसीबी लगा कर सफाई का ढोंग पूरा किया जाता है। यह हकीकत इस जोरदार बारिश में सामने आ गई। कॉलोनियों बस्तियों में पानी भर गया।

यह तो गनीमत थी कि बारिश कुछ ही देर में थम गई। यदि लगातार होती तो शहर को संभालना मुश्किल हो जाता। पिछली बारिश में जहां पानी भर गया था, वहां साल बीतने के बाद भी निगम ने झांक कर नहीं देखा कि अगली बारिश में ऐसी मुसीबत न आए।

टंकियों पर भी देर रात तक नहीं आई बिजली

भीषण आंधी तूफान में गंभीर डेम जल यंत्रालय के साथ शहर के संपवेलों की बिजली लाइन ध्वस्त हो गई है। गंभीर डेम की गऊघाट तक रॉ वाटर लाने वाली 800 एमएम की पाइप लाइन भी डैमेज हो गई है। पीएचई के सहायक यंत्री राजीव शुक्ला के अनुसार गंभीर से रॉ-वाटर गऊघाट प्लांट लाने वाली 800 एमएम की लाइन लीकेज हो गई है।

इससे गऊघाट प्लांट बंद हो गया है। गंभीर प्लांट चालू है। इसी से शहर की टंकियां भरी जा रही हैं। साहेबखेड़ी जल यंत्रालय की भी बिजली बंद है। इसलिए शहर में शनिवार को जलप्रदाय कम दबाव से होगा।

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