शिप्रा में प्रवाहित नहीं होंगी अस्थियां, पूजन सामग्री भी प्रतिबंधित

उज्जैन | शिप्रा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिये प्रशासन द्वारा हर प्रकार के प्रयास किये जा रहे हैं बावजूद इसके धार्मिक आस्थाओं के चलते लोग पूजन सामग्री, भगवान के फोटो, हार-फूल और मृतकों की अस्थियां प्रवाहित कर रहे हैं। इसे रोकने के लिये नगर निगम ने रामघाट किनारे सीमेंट की टंकियां रखवाई हैं।

ऐसा कहा जाता है कि मोक्षदायिनी मां शिप्रा में मृतकों की अस्थियां विसर्जित करने के साथ पूर्ण रूप से कर्मकाण्ड किया जाये तो मृतात्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी धारणा के चलते देश भर के लोग पिण्डदान आदि क्रियाकर्म करने बड़ी संख्या में उज्जैन पहुंचते हैं और नदी किनारे क्रिया करने के बाद मृतकों की अस्थियां नदी में विसर्जित कर देते हैं। धार्मिक आस्थाओं के चलते प्रशासन इन्हें रोक नहीं पाता।

इसी तरह कई श्रद्धालु पूजन हवन सामग्री, फूल, भगवान के फोटो आदि भी नदी में प्रवाहित कर देते हैं जिससे नदी का पानी प्रदूषित होता है। नगर निगम ने नदी में प्रदूषण रोकने के लिये श्मशान घाट से लेकर नृसिंह घाट तक सीमेंट की बड़ी टंकियां लगवाई हैं। अधिकारियों का कहना है कि इन टंकियों में नदी का जल भरा जायेगा और जो लोग क्रिया घाटा आदि कर्म करने के पश्चात अस्थियां नदी में प्रवाहित करते हैं उन्हें व पण्डों को भी समझाईश दी जायेगी कि अस्थियों को नदी में प्रवाहित न करते हुए टंकियों में डाल दिया जाये ताकि घाट के इलाकों से आगे टंकियां भरने पर प्रवाहित की जा सके। हालांकि नगर निगम के इस प्रयास को लोगों का कितना सहयोग मिलता है यह आने वाले समय में पता चलेगा।

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