- महाकाल मंदिर के विस्तार के लिए बड़ा कदम, हटाए गए 257 मकान; महाकाल लोक के लिए सवा दो हेक्टेयर जमीन का होगा अधिग्रहण
- भस्म आरती: मस्तक पर भांग, चन्दन, रजत चंद्र और आभूषणों से किया गया बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार!
- महाकालेश्वर मंदिर में अब भक्तों को मिलेंगे HD दर्शन, SBI ने दान में दी 2 LED स्क्रीन
- उज्जैन में कला और संस्कृति को मिलेगा नया मंच, 1989.51 लाख रुपये में बनेगा प्रदेश का पहला 1000 सीट वाला ऑडिटोरियम!
- भस्म आरती: रजत के आभूषणों से किया गया बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार!
जापानी मोती और दिल्ली के रेशमी धागों से बनी पोशाक पहनेंगे कान्हा
उज्जैन। जन्माष्टमी के अवसर पर इस्कॉन मंदिर समिति द्वारा 4 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन रखा गया है। जिसकी शुरूआत 1 सितंबर से होगी। इन चार दिनों में भक्तों को कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखने के साथ उसमे भाग लेने का मौका भी मिलेगा।
भरतपुरी स्थित इस्कॉन मंदिर में इस वर्ष जन्माष्टमी के त्यौहार को अंतराराष्ट्रीय रूप में मनाया जाएगा। कार्यक्रम का शुभारंभ १ सितंबर को श्री कृष्ण लीला के साथ होगा। 4 दिनों तक भक्तों के लिए मंदिर समिति द्वारा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। भक्तों के परिक्रमा के लिए गोवर्धन पर्वत भी बनाया जा रहा है।
2 और 3 सितंबर शाम 8 बजें से भक्त सामूहिक कीर्तन कर श्री कृष्ण की आराधना करगें। जन्माष्टमी के लिए कान्हा के लिए कोलकाता के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा पिछलें दो माह से श्री कृष्ण के लिए ड्रेस तैयार की जा रही है। जिसमें जापानी मोती, दिल्ली के रेशमी धागे, बंबइया चिड़ आदि सामग्री का उपयोग कर तैयार किया गया है।
पीआरओ पं.राघव दास ने बताया बच्चों के भगवान श्री कृष्ण के प्रति रूझान को बढ़ाने के लिए मंदिर परिसर में किड्स झोन, सेल्फी झोन, फेन्सी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। 3 सितंबर जन्माष्टमी वाले दिन मंदिर समिति द्वारा दोपहर 2 बजे से रात 11 बजे तक दर्शन करने आने वाले भक्तों फरियाली प्रसाद वितरित की जाएगी।
देशी 56 भोग के साथ लगाएंगे 11 विदेशी व्यंजनों का भोग
जन्माष्टमी के दिन इस्कॉन मंदिर में श्री कृष्ण को देशी 56 भोग के साथ 11 देशों के विदेशी व्यंजनों का भोग भी लगाया जाएगा। जिसमें इटली का चाऊमीन, मंचूरियन, यके, ग्रीक व यूएसए के करीब 21 प्रकार के केक, श्रीलंका की इटली, ड्रायफू्रट डोसा, सांभर वड़ा आदि व्यंजन रहेंगे। श्रद्धालुओं को यह व्यंजन सशुल्क उपलब्ध होंगे।
विदेशी सोच का प्रदर्शन
हमने बचपन से भगवान को सात्विक भोजन का भोग लगाया है। यह मंदिर विदेशी है। इसलिए यह मंदिर समिति विदेशी सोच का प्रदर्शन कर रही है।
मनोज मुखिया, पुजारी श्रीनाथ मंदिर
परंपराओं का निर्वहन नहीं
भारतीय परंपरा के अनुसार भगवान को देशी व्यंजनो के भोग लगाए जाने चाहिए। इस्कॅान द्वारा इस प्रकार से विदेशी व्यंजनो से भोग लगाए जाना गलत है।
पं. रवि व्यास