30/84 श्री च्यवनेश्वर महादेव

30/84 श्री च्यवनेश्वर महादेव

30/84 श्री च्यवनेश्वर महादेव : त्रिशत्तमं विजानीही तवं देवि च्यवनेश्वरम्। यस्य दर्शन मात्रेण स्वर्गभ्रंशो न जायते। । पौराणिक आधार एवं महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन कल में महर्षि भृगु के पुत्र च्यवन थे जिन्होंने पृथ्वी पर कठोर तप किया। वितस्ता नाम की नदी के किनारे वर्षों वे तपस्या में बैठे रहे। तपस्या में लीन रहने के कारण उनके पुरे शरीर को धूल मिट्टी ने ढक लिया और आस पास बैल लग गई। एक समय राजा…

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31/84 श्री खण्डेश्वर महादेव

31/84 श्री खण्डेश्वर महादेव

31/84 श्री खण्डेश्वर महादेव : एकत्रिशत्तमम् विद्धि देवं खण्डेश्वम् प्रिये। सम्पूर्णं जायते यस्य दर्शाड़यांव्रतादिकम्। । परिचय : श्री खंडेश्वर महादेव का मंदिर शिव माहात्म्य के मूल्यों को दर्शाता है। माना जाता है कि श्री खंडेश्वर महादेव के दर्शन से विष्णु, ब्रह्मा, इंद्र, कुबेर, अग्नि आदि देवताओं ने भी सिद्धि प्राप्त की थी। पौराणिक आधार एवं महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में भद्राश्व नाम के राजा थे। उनकी कई रानियाँ थी। उन रानियों में सबसे अद्भुत…

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32/84 श्री पत्त्नेश्वर महादेव

32/84 श्री पत्त्नेश्वर महादेव

32/84 श्री पत्त्नेश्वर महादेव : त्रिषु लोकेषु विख्यातं द्वात्रिंशत्तममुत्तमम्। विद्धि सिद्धि प्रदं पुंसां पत्तनेश्वरमीश्वरम्। । परिचय : श्री पत्त्नेश्वर महादेव की महिमा का गान स्वयं भगवान शिव एवं महर्षि नारद द्वारा किया गया है जो स्कन्द पुराण में वर्णित है। पौराणिक आधार एवं महत्व : एक समय भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत की एक गुफा में विहार कर रहे थे। उस समय पार्वती जी ने कहा कि प्रभु – कैलाश पर्वत जहाँ स्फटिक मणि लगी…

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33/84 श्री आनंदेश्वर महादेव

33/84 श्री आनंदेश्वर महादेव

33/84 श्री आनंदेश्वर महादेव : आनंदनयतः प्राप्तसिद्धिर्देवी सुदुललर्भा। अतोनामसुविख्यात मानन्देश्वरमीक्ष्यताम्। । पौराणिक आधार एवं महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में अनमित्र नाम के राजा थे। वे धर्मात्मा, पराक्रमी एवं सूर्य के समान तेजस्वी थे। उनकी रानी का नाम गिरिभद्रा था जो कि अति सुन्दर एवं राजा की प्रिय थी। राजा को आनंद नाम का एक पुत्र हुआ। पैदा होते ही वह अपनी माता की गोद में हंसने लगा। माता ने आश्चर्यचकित हो उससे…

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34/84 श्री कन्थडेश्वर महादेव

34/84 श्री कन्थडेश्वर महादेव

34/84 श्री कन्थडेश्वर महादेव : वतस्ता नदी के तट पर पांडव नामक एक ब्राम्हण निवास करता था। जातिवालों व उसकी पत्नी ने उसका त्याग कर दिया था। ब्राम्हण के पास प्रेमधारिणी कथा रहती थी। पांडव ने एक गुफा में पुत्र कामना से शिव की तपस्या की। शिव ने प्रसन्न होकर उसे पुत्र प्रदान किया । ब्राम्हण ने ऋषियों की उपस्थिति में पुत्र का यज्ञो पवित संस्कार कराया ओर ऋषियों को उसे दीर्घायु होने का आर्षीवाद…

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35/84 श्री इंद्रेश्वर महादेव

35/84 श्री इंद्रेश्वर महादेव

35/84 श्री इंद्रेश्वर महादेव : काफी समय पहले त्वष्टा नाम के प्रजापति हुआ करते थे, उनका एक पुत्र था कुषध्वज। वह दान-धर्म करता था। एक बार इंद्र ने उसे मार दिया। इस पर प्रजापति ने क्रोध में अपी जटा से एक बाल तोडा ओर उसे अग्नि में डाल दिया। अग्नि से वृत्रासुर नामक दैत्य उत्पन्न हुआ। प्रजापति की आज्ञा से वृत्रासुर ने दवताओं से युद्ध किया ओर इंद्र को बंधक बना लिया ओर स्वर्ग में…

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36/84 श्री मार्कण्डेश्वर महादेव

36/84 श्री मार्कण्डेश्वर महादेव

36/84 श्री मार्कण्डेश्वर महादेव : कई वर्षो पूर्व मृकण्ड नाम के एक ब्राम्हण थे। वे वेद अध्ययन करते थे। उन्हे चिंता थी कि उनके यहां पुत्र नही है। उन्होने पुत्र की कामना से हिमालय पर जाकर कठोर तप प्रारंभ कर दिया। अनके तप के कारण सृष्टि में अकाल पडने ओर सूर्य ओर चांद के अस्त होने की स्थिति निर्मित होने लगी। इस पर पार्वती ने शिव को कहा कि यह आपका भक्त है जो तप…

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37/84 श्री शिवेश्वर महादेव

37/84 श्री शिवेश्वर महादेव

37/84 श्री शिवेश्वर महादेव : काफी समय पहले महाकाल वन में रिपुंजय नामक राजा राज्य करता था। वह प्रजा पालक था व हमेषा भगवान विष्णु के ध्यान में रहता था। उसके राज्य में प्रजा को कोई दुखः नही था। राजा का प्रताप इतना अधिक था कि उसके तेज से पृथ्वी कायम थी ओर कोई शिव का पूजन नही करता था। राजा रिपुंजय के काल में ही शिव ने महाकाल वन में शिवलिंग की स्थापना की…

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38/84 श्री कुसुमेश्वर महादेव

38/84 श्री कुसुमेश्वर महादेव

38/84 श्री कुसुमेश्वर महादेव : एक बार शिव पार्वती दोनो महाकाल वन में भ्रमण कर रहे थे। वहां गणेष बालको का समूह खेल रहा था। शिव ने पार्वती से कहा कि यह जो बालक फूलों से खेल रहा है ओर अन्य बालक उस पर पुष्प वर्षा कर रहे है वह उन्हे बहुत प्रिय है। शिव ने वह बालक पार्वती को दे दिया। पार्वती ने पुत्र को देखने की इच्छा से अपनी सखी विजया से कहा…

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39/84 श्री अक्रूरेश्वर महादेव

39/84 श्री अक्रूरेश्वर महादेव

39/84 श्री अक्रूरेश्वर महादेव : एक बार सभी देवी देवता, इंद्र, किन्नर, मुनि सभी पार्वती की स्तुति की कर रहे थे तब शिव के एक गण भृंगिरिट ने पार्वती की स्तुति करने से मना कर दिया। पार्वती के कई बार समझाने पर कि वह उनका पुत्र है ओर केवल शिव स्तुति से उसका कल्याण नहीं हो सकता है, परंतु वह पार्वती की बात नहीं माना ओर योग विद्या के बल पर उसने संपूर्ण मांस पार्वती…

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