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उज्जैन की पुण्यभूमि पर पुनः गूंजेगी पंचकोशी यात्रा की घंटाध्वनि, 23 अप्रैल से शुरू हो रही यात्रा; श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए प्रशासन ने की हाईटेक तैयारियां!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
धार्मिक नगरी उज्जैन, जहाँ स्वयं भगवान महाकाल विराजते हैं, एक बार फिर आस्था, परंपरा और श्रद्धा के महासंगम की साक्षी बनने जा रही है। 23 अप्रैल से आरंभ हो रही पंचकोशी परिक्रमा इस बार और भी भव्य, व्यवस्थित और दिव्य रूप में दिखाई देगी। यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्तों के हृदयों में बसे परंपरागत विश्वास और पुण्यसंचय की अनुभूति है। अनुमान है कि इस बार करीब 50 हज़ार श्रद्धालु भगवान शिव की इस पुण्य परिक्रमा में सहभागी बनेंगे।
118 किलोमीटर लंबी यह पंचकोशी यात्रा पाँच दिवसीय तप, त्याग और आस्था का प्रतीक है। इसकी शुरुआत महाकाल के रूप नागचंद्रेश्वर मंदिर से होगी और समापन भी वहीं लौटकर पावन शिप्रा स्नान के साथ होगा। हर पड़ाव—पिंगलेश्वर, करोहन, अंबोदिया, जैथल और उंडासा—श्रद्धालुओं को एक नई ऊर्जा और अध्यात्म से जोड़ता है। मार्ग में आने वाले त्रिवेणी शनि मंदिर, सोडंग, राघौपिपल्या और केडी पैलेस जैसे उप-पड़ाव, यात्रा को और भी दिव्यता से भर देते हैं।
इस वर्ष पंचकोशी परिक्रमा को लेकर प्रशासन ने भी विशेष रूप से तैयारी की है। पहली बार यात्रा मार्ग पर हेड काउंटिंग कैमरे और हाईटेक मशीनें लगाई जा रही हैं, ताकि श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक आकलन किया जा सके। यह केवल भीड़ नियंत्रण के लिए नहीं, बल्कि आगामी सिंहस्थ 2028 की भव्यता और सुचारु व्यवस्थाओं की पूर्वाभ्यास के रूप में देखा जा रहा है।
उज्जैन के एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि यह तकनीकी पहल रियल टाइम में श्रद्धालुओं की संख्या पर नजर रखने में मदद करेगी। इससे हर पड़ाव पर सुरक्षा, सुविधा और सेवाओं का मूल्यांकन भी संभव हो पाएगा।
प्रशासन मानता है कि जब विज्ञान और श्रद्धा साथ चलते हैं, तब एक नया आदर्श बनता है। पंचकोशी यात्रा को आधुनिक व्यवस्थाओं के साथ सम्पन्न कराना, महाकाल की नगरी उज्जैन को आने वाले सिंहस्थ में वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त कदम है।