कार्यपरिषद बैठक में सदस्य नाराज ,स्थगित हुई बैठक:एजेंडा के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई, विद्यार्थी हित में सवाल पूछे तो अधिकारी जवाब नहीं दे पाए

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय कार्यपरिषद की बैठक गुरुवार को दोपहर 3 बजे से प्रशासनिक भवन में आयोजित हुई। बैठक में सदस्यों ने एजेंडे मुद्दों पर चर्चा के पहले छात्रों की समस्याओं के साथ ही पीएचडी प्रवेश परीक्षा के प्रकरण को लेकर चर्चा कर जवाब चाहा गया तो बैठक में मौजूद अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। नतीजा यह हुआ कि पांचों अशासकीय सदस्य बैठक से उठकर रवाना हो गए। सभी सदस्य शुक्रवार को विक्रम उच्च शिक्षा मंत्री से मिलकर वस्तु स्थिति से अवगत कराएंगे।

विक्रम विद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक गुरुवार को दोपहर 12 बजे से होना थी। बाद में बैठक का समय दोपहर 3 बजे तय किया गया। देरी के पीछे कारण बताया गया कि दोपहर में राजभवन से ऑनलाइन बैठक होने से समय परिवर्तीत किया है। इधर दोपहर 3 बजे से बैठक शुरू होते ही अशासकीय सदस्यों ने विक्रम विश्वविद्यालय के अधिकारियों से परीक्षा परिणाम देरी से जारी होने, परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्र पर कई तरह की त्रुटि होने, विद्यार्थियों को समय पर अंकसूची नहीं मिलने जैसे कई प्रकरणों पर जवाब मांगा गया था। सदस्यों ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा में हुई हेरफेर के प्रकरण को लेकर चर्चा की तो विश्वविद्यालय के अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इस दौरान सभी सदस्यों के कई बार कई सवाल पूछने के बाद भी जब जवाब नहीं मिले तो अशासकीय सदस्यों ने बैठक से उठ कर चले जाना ही उचित समझा।

कार्यपरिषद के अशासकीय सदस्य राजेश सिंह कुशवाह, विनोद यादव, सचिन दवे, संजय नाहर और ममता बैंडवाल बैठक अधूरी छोड़कर कक्षा से बाहर निकल कर रवाना हो गए। अचानक हुए इस घटनाक्रम से विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया। कुछ लोगों ने सदस्यों को समझाने का प्रयास भी किया, लेकिन सदस्य नही माने। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा बैठक मेें कुछ बिंदूओं पर चर्चा हुई थी। जिससे सदस्य नाराज दिखाई दिए। सदस्यों के चले जाने से बैठक स्थगित हो गई है।

उच्च शिक्षा मंत्री से मिलकर करेंगे चर्चा
विक्रम विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली और यहां की व्यवस्थाओं को लेकर कार्यपरिषद के पांचों अशासकीय सदस्य शुक्रवार को उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलकर विश्वविद्यालय की वस्तु स्थिति से अवगत कराएंगे। बताया गया कि सभी सदस्य विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली के कारण खासे नाराज है।

सदस्यों की नाराजगी का एक कारण यह भी
विक्रम विश्वविद्यालय कार्यपरिषद सदस्यों की नाराजगी अक्सर सामने आती रहती है। सदस्यों की नाराजगी को लेकर विश्वविद्यालय के गलियारों में ही चर्चा है कि सदस्यों के नाराज होने के पीछे विश्वविद्यालय की व्यवस्थाओं की कमी के साथ ही कार्यपरिषद सदस्यों को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पर्याप्त सम्मान नहीं दिया जाना भी सामने आया है। कारण है कि राजभवन द्वारा नियुक्त अशासकीय सदस्य सीधे तौर पर राज्यपाल के प्रतिनिधि के रूप में कार्यपरिषद की बैठक में शामिल होते है। वहीं विश्वविद्यालय के प्रमुख अंग होने से उन्हें जितना मान सम्मान दिया जाना चाहिए उसमें भी कमी देखी गई। अभी तक कुछ ऐसे मुद्दे भी हुए हैं जिसमें पर्याप्त मान सम्मान नहीं मिलने के कारण भी सदस्यों की नाराजगी सामने आई है।

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