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अक्षय ऊर्जा… तीन वर्ष में 475 पंजीयन और केवल 195 को मिले पम्प
अक्षय ऊर्जा के दोहन को प्रोत्साहित करने के साथ किसानों को सिंचाई के लिए आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार की 90 से 85 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान भी है।
अक्षय ऊर्जा के दोहन को प्रोत्साहित करने के साथ किसानों को सिंचाई के लिए आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार की 90 से 85 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान भी है। इसके बाद भी किसानों की उदासीनता और सरकार की नीति से योजना पर ग्रहण लगा हुआ है। जिले में तीन वर्षो के दौरान 475 किसानों ने पंजीयन कराया है और 195 को सोलर पम्प मिले हैं।
मध्यप्रदेश शासन, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना द्वारा देय अनुदान के माध्यम से सिंचाई प्रयोजन के लिए सोलर पम्प स्थापना की योजना है। इसमें 3 एचपी तक सोलर पम्प के लिए लागत का 10 प्रतिशत और उससे अधिक क्षमता के सोलर पम्प के लिए लागत का 15 प्रतिशत की किसान को देना होता है। शेष राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है।
सिंचाई के लिए किसानों को बिजली आने-जाने पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। न्यू एंड ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने और किसानों की सुविधा के लिए सोलर वॉटर पम्प के लिए ऊर्जा विकास निगम के माध्यम सेकिसानों को नाममात्र की लागत पर बिना बिजली के काम करने वाले सोलर पम्प दिए जा रहें है। सोलर वॉटर पम्प योजना के तहत भारत सरकार और प्रदेश शासन की ओर से अधिकतम 90 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को पारम्परिक ऊर्जा में दी जाने वाली विद्युत के अंतर्गत प्रति वर्ष अनुदान दिया जाता है, जबकि इस योजना में एकमुश्त अनुदान दिया जाना सरकार एवं किसान दोनों के लिए लाभकारी है। इसके बाद उज्जैन जिले में मात्र १९५ किसानों को सोलर पम्प का लाभ मिल रहा हैं।