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उज्जैन:पोरवाल के लिए दिग्विजय का दबाव, भाजपा आ सकती सड़क पर
उज्जैन:जिला पंचायत उपाध्यक्ष पद प्रशासन के जिम्मेदारों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। वजह भरत पोरवाल को पुन: पदस्थ करने के लिए कमिश्नर अजीत कुमार द्वारा जिपं को दिया आदेश। पुन: नियुक्ति आदेश के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के दबाव बताया जा रहा है। वहीं भाजपा सड़क से कोर्ट तक लडऩे की तैयारी कर रही है।
करीब छह माह पहले जिपं उपाध्यक्ष पद से हटाए गए पोरवाल के मामले में हाल ही में उस समय नया मोड़ आ गया जब वे हाईकोर्ट का फैसला लेकर आए जिसमें उनके निर्वाचन शून्य के आदेश को निरस्त किया था। चूंकि बहाली के आदेश स्पष्ट नहीं होने पर प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा था। सूत्रों का कहना है इसे देख २० मार्च को पोरवाल ने जबलपुर में पूर्व सीएम सिंह से मिले।
जानकारी लगने पर सिंह ने कमिश्नर को कॉल किया। यही वजह रही २२ मार्च को कमिश्रर ने आचार संहिता लगी होने के बावजूद जिपं सीईओ नीलेश पारीख को पोरवाल को पुन: उपाध्यक्ष बनाने का आदेश दे दिया। जबकि दो माह पूर्व ही डॉ. मदन चौहान उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए हैं। ऐसे में प्रशासन अब किन नियमों के तहत उन्हें हटाकर पोरवाल को पुन: पदस्थ करता है देखना दिलचस्प होगा।
मामला एक नजर में
२०१५ में जिंप के चुनाव हुए, अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुने गए। सितंबर २०१८ को अपर आयुक्त पीआर कतरोलिया ने पोरवाल का चुनाव शून्य घोषित कर दिया था। बाद में चुनाव आयोग द्वारा तीन बाद चुनाव टालने के बाद २३ जनवरी को अध्यक्ष करण कुमारिया के साथ ही उपाध्यक्ष पद पर डॉ. मदन चौहान चुने गए।
प्रशासन सवालों के घेरे में
पोरवाल का चुनाव शून्य घोषित कर दिया था तो तय समय में जांच पूरी क्यों नहीं की।
मामला विचाराधीन होने पर पुन: चुनाव व परिणाम की जानकारी हाईकोर्ट को क्यों नहीं दी
बहाली का स्पष्ट आदेश नहीं होने पर भी नवीन कार्रवाई के लिए तुरंत कोई कदम क्यों नहीं उठाया।
पोरवाल मामले में आदेश निरस्त होने पर भी अब तक कोर्ट में डबल बैंच में रिट पिटीशन क्यों नहीं दी।
संवैधानिक संकट होने पर भी शासन या डिप्टी जनरल एडवोकेट से अभिमत क्यों नहीं मांगा।
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर जिला पंचायत को पत्र लिखा है। वहां अधिकारी देखेंगे कि कैसे आदेश का पालन करवाना है। जो कार्रवाई हुई वह विधि संवत नहीं हुई इसलिए हाल ही में हुए चुनाव स्वत: ही शून्य घोषित हो जाते हंै।
– अजीत कुमार, संभागायुक्त
हटाने का आदेश समाप्त हो चुका है लेकिन इसमें पद पर पुन: बहाली का उल्लेख नहीं। नवीन नियुक्ति हो चुकी है। ऐसे में प्रशासन रिव्यू पिटीशन दायर कर अपील कर सकता है। कोर्ट ने पुन: कार्रवाई के लिए भी प्रशासन को स्वतंत्र कर रखा है।
– वीरेंद्र शर्मा, वरिष्ठ अभिभाषक
इनका कहना
प्रकिया अनुसार निर्वाचित व्यक्ति के होते हुए कमिश्नर कैसे ऑर्डर दे सकते हैं। ऐसा है तो शासन दो उपाध्यक्ष रखने के लिए कानून में संशोधन कर दे। किसी भी हाल से पद से नहीं हटने देंगे। कोर्ट, निर्वाचन आयोग और जरूरत पड़ी तो सड़क पर भी आएंगे।
– श्याम बंसल, जिला अध्यक्ष भाजपा
20 मार्च को राजा साहब से मिला था। उनका आशीर्वाद हमेशा से बना हुआ है। रंगपंचमी के बाद पदभार गृहण करूंगा।
– भरत पोरवाल, निष्कासित उपाध्यक्ष जिपं
निर्वाचन आयोग द्वारा तय चुनाव में निर्वाचित हुआ है। किस आधार पर पद से हटाएंगे। आचार संहिता का उल्लंघन कर प्रशासन ने आदेश जारी किया है लेकिन अब तक हटाने का पत्र नहीं मिला है। हटाते हैं तो कोर्ट जाएंगे, जरूरत पड़ी तो सड़क पर भी उतरेंगे।
– डॉ. मदन चौहान, उपाध्यक्ष जिपं